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IES विश्वविद्यालय के वेबिनार को राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने किया संबोधित

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Published : Nov 9, 2020, 7:44 PM IST

मध्यप्रदेश राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने अपने भोपाल प्रवास के दौरान आज IES विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति अवसर एवं चुनौतियां' विषय पर हुए वेबिनार को संबोधित किया.

Governor Anandi Ben Patel addressed webinar
वेबिनार को राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने किया संबोधित

भोपाल। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल अभी भोपाल प्रवास पर हैं, और इस दौरान वह कई कार्यक्रमों में ऑनलाइन शिरकत कर रही हैं, इसी कड़ी में आज IES विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा नीति अवसर एवं चुनौतियां विषय पर हुए वेबिनार को राज्यपाल ने संबोधित किया.

अपने सम्बोधन में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति विद्यार्थी की प्रकृति और प्रवृत्ति के अनुसार गढ़ने का अवसर है. शिक्षकों को शिक्षण काल में छात्र-छात्राओं में उत्साह, अनुशासन और अनुभव के गुणों का समावेश कर, उनको आत्म निर्भर बनाने की चुनौती को स्वीकरना होगा. देश के उज्ज्वल भविष्य के सपनों को साकार करने की दिशा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति एक बड़ा कदम है. नीति नवाचारी और दूरगामी उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए शिक्षा व्यवस्था में बड़े परिवर्तनों के लिए आउट ऑफ बॉक्स सोच के साथ कार्य करने की कोशिश हैं, जिसमें संस्कृति, जीवन मूल्यों के संरक्षण और जड़ों से जुड़े रहने की मजबूत संकल्प शक्ति भी है. इसे लागू करने के लिए उस की अवधारणा, प्रावधानों और अपेक्षित परिणामों पर व्यापक विचार विमर्श जरुरी है. नीति में दीर्घकालिक दिक्कतों को दूर करने के साथ ही भविष्य की जरूरतों को पूरा करने की कोशिश की गई है.'

विश्वविद्यालय इनफॉर्मेशन सेंटर से बने ज्ञान के ट्रांसफॉर्मेशन सेंटर

राज्यपाल पटेल ने कहा कि 'शिक्षा नीति के अमलीकरण में विद्यार्थियों की अपेक्षाओं, जरूरतों और देश के गरीब, वंचित, पिछड़े वर्ग और आदिवासी क्षेत्रों में आधुनिक टेक्नोलॉजी की पहुंच, सूचना और ज्ञान के प्रसार की स्थिति को समझना होगा. समय की मांग है कि विश्वविद्यालय इनफॉर्मेशन सेंटर से ज्ञान के ट्रांसफॉर्मेशन सेंटर बने, शिक्षक ज्ञान के ट्रांसफार्मर बने. उन्होंने कहा कि हमारे कार्यबल में केवल पांच प्रतिशत ही व्यवसायिक शिक्षा प्राप्त हैं. आगामी पांच वर्षों में इसे 50 प्रतिशत करने के लिए व्यवसायिक और तकनीकी शिक्षा को नये मायने देने होंगे.'

राज्यपाल का कहना है कि 'भारतीय परंपरा में विकसित ‘लोक-विद्या’ को उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा व्यावसायिक शिक्षा से जोड़ना होगा. लोक विद्या को मुख्यधारा की शिक्षा का अंग बनाया जाए, उसे बराबर का सम्मान मिले, ताकि बच्चों और युवाओं में कौशल वृद्धि के साथ-साथ श्रम की गरिमा के प्रति सम्मान का भाव भी पैदा हो. शैक्षणिक संस्थानों का वातावरण, ऐसा होना चाहिए, जहां विद्यार्थी को जो चाहिए, वह उन्हें मिल जाए.

राज्यपाल ने कहा कि 'उच्चतर शिक्षा प्रणाली में ऐसी शिक्षण पाठ्यक्रम ऐसा हो जो विद्यार्थियों में अन्वेषण, समाधान, तार्किकता और रचनात्मकता विकसित करें. कोविड के बाद दुनिया में अनुसरण की बजाए, हमें मौजूदा परिपाटियों से आगे बढ़ने की कोशिश करनी चाहिए'. उन्होंने सभी प्रतिभागियों से कहा कि 'नीति के मूलभूत परिवर्तनों को कैसे उपयोगी बनाना है, इस पर चिंतन करें, मुड़कर देखें, कि क्या दिक्कतें और समस्याएं आईं. उनसे सबक लेकर भविष्य के पथ का निर्देशन करें.'

भोपाल। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल अभी भोपाल प्रवास पर हैं, और इस दौरान वह कई कार्यक्रमों में ऑनलाइन शिरकत कर रही हैं, इसी कड़ी में आज IES विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा नीति अवसर एवं चुनौतियां विषय पर हुए वेबिनार को राज्यपाल ने संबोधित किया.

अपने सम्बोधन में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति विद्यार्थी की प्रकृति और प्रवृत्ति के अनुसार गढ़ने का अवसर है. शिक्षकों को शिक्षण काल में छात्र-छात्राओं में उत्साह, अनुशासन और अनुभव के गुणों का समावेश कर, उनको आत्म निर्भर बनाने की चुनौती को स्वीकरना होगा. देश के उज्ज्वल भविष्य के सपनों को साकार करने की दिशा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति एक बड़ा कदम है. नीति नवाचारी और दूरगामी उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए शिक्षा व्यवस्था में बड़े परिवर्तनों के लिए आउट ऑफ बॉक्स सोच के साथ कार्य करने की कोशिश हैं, जिसमें संस्कृति, जीवन मूल्यों के संरक्षण और जड़ों से जुड़े रहने की मजबूत संकल्प शक्ति भी है. इसे लागू करने के लिए उस की अवधारणा, प्रावधानों और अपेक्षित परिणामों पर व्यापक विचार विमर्श जरुरी है. नीति में दीर्घकालिक दिक्कतों को दूर करने के साथ ही भविष्य की जरूरतों को पूरा करने की कोशिश की गई है.'

विश्वविद्यालय इनफॉर्मेशन सेंटर से बने ज्ञान के ट्रांसफॉर्मेशन सेंटर

राज्यपाल पटेल ने कहा कि 'शिक्षा नीति के अमलीकरण में विद्यार्थियों की अपेक्षाओं, जरूरतों और देश के गरीब, वंचित, पिछड़े वर्ग और आदिवासी क्षेत्रों में आधुनिक टेक्नोलॉजी की पहुंच, सूचना और ज्ञान के प्रसार की स्थिति को समझना होगा. समय की मांग है कि विश्वविद्यालय इनफॉर्मेशन सेंटर से ज्ञान के ट्रांसफॉर्मेशन सेंटर बने, शिक्षक ज्ञान के ट्रांसफार्मर बने. उन्होंने कहा कि हमारे कार्यबल में केवल पांच प्रतिशत ही व्यवसायिक शिक्षा प्राप्त हैं. आगामी पांच वर्षों में इसे 50 प्रतिशत करने के लिए व्यवसायिक और तकनीकी शिक्षा को नये मायने देने होंगे.'

राज्यपाल का कहना है कि 'भारतीय परंपरा में विकसित ‘लोक-विद्या’ को उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा व्यावसायिक शिक्षा से जोड़ना होगा. लोक विद्या को मुख्यधारा की शिक्षा का अंग बनाया जाए, उसे बराबर का सम्मान मिले, ताकि बच्चों और युवाओं में कौशल वृद्धि के साथ-साथ श्रम की गरिमा के प्रति सम्मान का भाव भी पैदा हो. शैक्षणिक संस्थानों का वातावरण, ऐसा होना चाहिए, जहां विद्यार्थी को जो चाहिए, वह उन्हें मिल जाए.

राज्यपाल ने कहा कि 'उच्चतर शिक्षा प्रणाली में ऐसी शिक्षण पाठ्यक्रम ऐसा हो जो विद्यार्थियों में अन्वेषण, समाधान, तार्किकता और रचनात्मकता विकसित करें. कोविड के बाद दुनिया में अनुसरण की बजाए, हमें मौजूदा परिपाटियों से आगे बढ़ने की कोशिश करनी चाहिए'. उन्होंने सभी प्रतिभागियों से कहा कि 'नीति के मूलभूत परिवर्तनों को कैसे उपयोगी बनाना है, इस पर चिंतन करें, मुड़कर देखें, कि क्या दिक्कतें और समस्याएं आईं. उनसे सबक लेकर भविष्य के पथ का निर्देशन करें.'

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