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भोपाल गैस कांड पीड़ितों पर कोरोना का कहर, सीएम को पत्र लिखकर की ये मांग

कोरोना का गैस पीड़ितों पर असर देखते हुए एक बार फिर गैस पीड़ित संगठनों ने सीएम शिवराज सिंह चौहान के नाम एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने मुआवजे को बढ़ाने की मांग रखी है.

Gas victim organizations wrote a letter to CM
गैस पीड़ित संगठनों ने सीएम को लिखा पत्र
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Published : Jun 22, 2020, 4:00 PM IST

Updated : Jun 22, 2020, 4:16 PM IST

भोपाल। राजधानी भोपाल में करीब 35 साल पहले हुए गैस कांड का असर यहां के कई लोगों पर अब भी बरकरार है. सैकड़ों की संख्या में ऐसे लोग हैं, जिन्हें गैस के असर के कारण कई तरह की बीमारियों ने घेर रखा है और अब जब कोरोना वायरस का प्रकोप भोपाल में बढ़ रहा है, तो इस वायरस ने गैस पीड़ितों को आसानी से अपनी चपेट में ले लिया है.

कोविड-19 के असर को लेकर गैस पीड़ित संगठनों ने सीएम शिवराज को पत्र लिखा

भोपाल में कोविड 19 से मरने वालों में करीब 75 फीसदी मृतक गैस पीड़ित थे और किसी ना किसी बीमारी से ग्रसित थे, जिससे इन पर वायरस का असर बहुत ज्यादा हुआ. इस बात को लेकर के गैस पीड़ितों के लिए काम करने वाले सामाजिक संगठन लगातार सरकार से गैस पीड़ितों के स्वास्थ्य और मुआवजे को लेकर मांग कर रहे हैं.

Gas victim organizations wrote a letter to CM
गैस पीड़ित संगठनों ने सीएम को लिखा पत्र

सामाजिक कार्यकर्ता रचना ढींगरा ने इस बारे में बताया कि यह बहुत ही चिंता का विषय है. कोरोना वायरस का असर गैस पीड़ितों को सबसे ज्यादा हो रहा है. इस बात को लेकर पहले भी गैस पीड़ित संगठन बार-बार यह बता चुके हैं कि गैस पीड़ितों की पुरानी बीमारी के चलते वह कोरोना की चपेट में आएंगे और उनकी मौत भी होगी.

कोरोना वायरस के असर को देखते हुए सभी गैस पीड़ित संगठनों ने सीएम से आग्रह किया है कि सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका लगी है, सभी गैस पीड़ितों को मुआवजा दिलवाने के लिए उसमें यह बताया जाए कि गैस पीड़ित अस्थायी नहीं बल्कि स्थायी क्षति से गुजर रहे हैं और उसी के हिसाब से कम्पनी से सही मुआवजा की मांग की जाए.

Gas victim organizations wrote a letter to CM
गैस पीड़ित संगठनों ने सीएम को लिखा पत्र

60 साल से कम उम्र के जिन लोगों की मृत्यु कोरोना संक्रमण से हुई है, उनमें 87 फीसदी मृतक भी गैस पीड़ित थे और 81 फीसदी मृतक पहले से ही किसी ना किसी बीमारी से पीड़ित थे. जिस कारण से कोरोना वायरस ने इन पर ज्यादा असर किया.

जानिए क्या था भोपाल गैस कांड

साल 1984 में भोपाल में मानव इतिहास की एक सबसे बड़ी औद्योगिक रिसाव की घटना हुई थी. जहां जहरीली गैस का रिसाव हुआ और हजारों लोगों की जान चली गई. 35 साल बाद भी इस त्रासदी का विनाशक असर पड़ रहा है. यही वजह है कि इस घटना का नाम सुनते ही लोग आज भी सहम उठते हैं.

भोपाल में साल 1984 में 2-3 दिसंबर की बीच की रात यूनियन कार्बाइड से निकली जहरीली गैस से हजारों लोग प्रभावित हुए थे. भोपाल में इस समय साढ़े तीन लाख के करीब गैस पीड़ित हैं. इन लोगों ने जहरीली मिथाइल आइसोसायनाइड को तो मात दी थी, मगर वे कोरोना से जंग हार गए.

इन लोगों की इम्यूनिटी पावर बहुत कम है और ये लोग आसानी से कोरोना की चपेट में आ रहे हैं, इसीलिए भोपाल के कोरोना पीड़ितों में सबसे बड़ी संख्या इन्हीं की है. 35 साल बाद भी गैस त्रासदी का दंश झेलने को ये लोग मजबूर हैं, ऐसे में अब एक बार फिर सरकार के सामने मदद की गुहार लगाई है.

भोपाल। राजधानी भोपाल में करीब 35 साल पहले हुए गैस कांड का असर यहां के कई लोगों पर अब भी बरकरार है. सैकड़ों की संख्या में ऐसे लोग हैं, जिन्हें गैस के असर के कारण कई तरह की बीमारियों ने घेर रखा है और अब जब कोरोना वायरस का प्रकोप भोपाल में बढ़ रहा है, तो इस वायरस ने गैस पीड़ितों को आसानी से अपनी चपेट में ले लिया है.

कोविड-19 के असर को लेकर गैस पीड़ित संगठनों ने सीएम शिवराज को पत्र लिखा

भोपाल में कोविड 19 से मरने वालों में करीब 75 फीसदी मृतक गैस पीड़ित थे और किसी ना किसी बीमारी से ग्रसित थे, जिससे इन पर वायरस का असर बहुत ज्यादा हुआ. इस बात को लेकर के गैस पीड़ितों के लिए काम करने वाले सामाजिक संगठन लगातार सरकार से गैस पीड़ितों के स्वास्थ्य और मुआवजे को लेकर मांग कर रहे हैं.

Gas victim organizations wrote a letter to CM
गैस पीड़ित संगठनों ने सीएम को लिखा पत्र

सामाजिक कार्यकर्ता रचना ढींगरा ने इस बारे में बताया कि यह बहुत ही चिंता का विषय है. कोरोना वायरस का असर गैस पीड़ितों को सबसे ज्यादा हो रहा है. इस बात को लेकर पहले भी गैस पीड़ित संगठन बार-बार यह बता चुके हैं कि गैस पीड़ितों की पुरानी बीमारी के चलते वह कोरोना की चपेट में आएंगे और उनकी मौत भी होगी.

कोरोना वायरस के असर को देखते हुए सभी गैस पीड़ित संगठनों ने सीएम से आग्रह किया है कि सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका लगी है, सभी गैस पीड़ितों को मुआवजा दिलवाने के लिए उसमें यह बताया जाए कि गैस पीड़ित अस्थायी नहीं बल्कि स्थायी क्षति से गुजर रहे हैं और उसी के हिसाब से कम्पनी से सही मुआवजा की मांग की जाए.

Gas victim organizations wrote a letter to CM
गैस पीड़ित संगठनों ने सीएम को लिखा पत्र

60 साल से कम उम्र के जिन लोगों की मृत्यु कोरोना संक्रमण से हुई है, उनमें 87 फीसदी मृतक भी गैस पीड़ित थे और 81 फीसदी मृतक पहले से ही किसी ना किसी बीमारी से पीड़ित थे. जिस कारण से कोरोना वायरस ने इन पर ज्यादा असर किया.

जानिए क्या था भोपाल गैस कांड

साल 1984 में भोपाल में मानव इतिहास की एक सबसे बड़ी औद्योगिक रिसाव की घटना हुई थी. जहां जहरीली गैस का रिसाव हुआ और हजारों लोगों की जान चली गई. 35 साल बाद भी इस त्रासदी का विनाशक असर पड़ रहा है. यही वजह है कि इस घटना का नाम सुनते ही लोग आज भी सहम उठते हैं.

भोपाल में साल 1984 में 2-3 दिसंबर की बीच की रात यूनियन कार्बाइड से निकली जहरीली गैस से हजारों लोग प्रभावित हुए थे. भोपाल में इस समय साढ़े तीन लाख के करीब गैस पीड़ित हैं. इन लोगों ने जहरीली मिथाइल आइसोसायनाइड को तो मात दी थी, मगर वे कोरोना से जंग हार गए.

इन लोगों की इम्यूनिटी पावर बहुत कम है और ये लोग आसानी से कोरोना की चपेट में आ रहे हैं, इसीलिए भोपाल के कोरोना पीड़ितों में सबसे बड़ी संख्या इन्हीं की है. 35 साल बाद भी गैस त्रासदी का दंश झेलने को ये लोग मजबूर हैं, ऐसे में अब एक बार फिर सरकार के सामने मदद की गुहार लगाई है.

Last Updated : Jun 22, 2020, 4:16 PM IST
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