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G-20 Meeting: पारंपरिक तरीके से होगा विदेशी मेहमानों का स्वागत, खजुराहो में बना 'आदिवासी विलेज'

जी-20 की बैठक को लेकर खजुराहो में विदेशी मेहमानों के लिए आदिवासी विलेज तैयार किया गया है. जो प्रदेश की कला-संस्कृति से रूबरू कराएगा. बैठक को लेकर खजुराहों में जोर-शोर से तैयारियां चल रही है.

adiwasi village
आदिवासी विलेज
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Published : Feb 3, 2023, 8:50 PM IST

भोपाल। खजुराहो में होने जा रही जी-20 के संस्कृति कार्य समूह की बैठक में आने वाले विदेशी मेहमानों को प्रदेश की आदिवासी कला-संस्कृति से रूबरू कराया जाएगा. विदेशी मेहमान प्रदेश के सभी सातों जनजातियों की कला-संस्कृति को बारीकी से देख और समझ सकें, इसके लिए खजुराहों में साढ़े तीन एकड़ में एक आदिवासी विलेज तैयार कराया गया है. इस आदिवासी विलेज में प्रदेश की जनजातियों के मकान, उसके रहन-सहन को प्रदर्शित किया गया है.

adiwasi village
आदिवासी विलेज

साढ़े 7 करोड़ रुपए में तैयार हुआ म्युजियम: भोपाल के बाद अब जी-20 की संस्कृति कार्य समूह की बैठक खजुराहो में इस माह 23 से 25 फरवरी के बीच होने जा रही है. इसको लेकर खजुराहों में जोर-शोर से तैयारियां चल रही है. इस बैठक में शामिल होने वाले विदेशी मेहमानों को विश्व विरासत खजुराहो के मंदिरों के अलावा, पन्ना टाइगर रिजर्व का भ्रमण कराया जाएगा. इसके अलावा उन्हें मध्यप्रदेश की आदिवासी जनजातियों की संस्कृति को दिखाया जाएगा. इसके लिए खजुराहो में साढ़े 7 करोड़ की लागत से एक म्युजियम तैयार कराया गया है. इसे संस्कृति विभाग के जनजातीय संग्रहालय की देखरेख में तैयार कराया गया है. संग्रहालय के क्यूरेटर अशोक मिश्रा ने बताया कि प्रदेश के जनजातियों का सौंदर्य इस म्यूजियम में दिखाई देगा. यह म्युजियम साढ़े 3 एकड़ में तैयार किया गया है. इसमें प्रदेश की सभी जनजातियों का रहन-सहन, उनके द्वारा उपयोग की जाने वाली सामग्री, उनकी कला-संस्कृति को बेहद बारीकी से प्रस्तुत किया गया है.

adiwasi village
आदिवासी विलेज

MP: भोपाल में आज से होगा G-20 सम्मेलन का आयोजन, कई देशों के प्रतिनिधि लेंगे हिस्सा

प्रदेश में डेढ़ करोड़ जनसंख्या है आदिवासियां की: देश में सबसे ज्यादा जनजातियों की संख्या मध्यप्रदेश में है. प्रदेश में डेढ़ करोड़ से ज्यादा जनसंख्या आदिवासियों की है. इसमें भील जनजाति सबसे ज्यादा है. भील का अर्थ ही होता है कमान और यह धनुष रखते हैं. भीलों की चित्रकला शैली पिथौरा विश्व प्रसिद्ध है, जिसे इस संग्रहालय में दिखाया जाएगा. इसी तरह गोंड जनजाति के प्रमुख नृत्य करमा, सैला, भडौनी, सुआ आदि को यहां प्रस्तुत किया जाएगा. इसके अलावा बैगा, सहरिया, कोरकु, उरांव, बंजारा जनजातियों की कला-संस्कृति को दिखाया जाएगा. इनकी चित्रकला, मिट्टी शिल्प, धातु शिल्प, काष्ठ शिल्प, कंघी कला, बांस शिल्प और छीपा शिल्प को प्रदर्शित किया गया है.

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आदिवासी विलेज

छत्रसाल कन्वेंशन सेंटर में होगी जी-20 की बैठक: दुनिया के शक्तिशाली देशों के संगठन जी-20 की अध्यक्षता इस बार भारत को मिली है. इस बार जी-20 की बैठक राजधानी में न होकर देश के अलग-अलग स्थानों पर किए जा रहे हैं. इसकी पहली बैठक भोपाल में हो चुकी है. इसमें कई देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था. अब 13, 14 और 15 फरवरी को जी-20 की कृषि कार्य समूह की बैठकें होगी. इसके बाद 23, 24 अैर 25 फरवरी को खजुराहो में जी-20 के संस्कृति कार्य समूह की बैठकें होगी. यह बैठकें महाराज छत्रसाल कन्वेंशन सेंटर में होंगी. इस दौरान प्रतिनिधियों को प्रदेश की संस्कृति, ऐतिहासिक विरासत और वन संपदाओं से रूबरू कराया जाएगा.

भोपाल। खजुराहो में होने जा रही जी-20 के संस्कृति कार्य समूह की बैठक में आने वाले विदेशी मेहमानों को प्रदेश की आदिवासी कला-संस्कृति से रूबरू कराया जाएगा. विदेशी मेहमान प्रदेश के सभी सातों जनजातियों की कला-संस्कृति को बारीकी से देख और समझ सकें, इसके लिए खजुराहों में साढ़े तीन एकड़ में एक आदिवासी विलेज तैयार कराया गया है. इस आदिवासी विलेज में प्रदेश की जनजातियों के मकान, उसके रहन-सहन को प्रदर्शित किया गया है.

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साढ़े 7 करोड़ रुपए में तैयार हुआ म्युजियम: भोपाल के बाद अब जी-20 की संस्कृति कार्य समूह की बैठक खजुराहो में इस माह 23 से 25 फरवरी के बीच होने जा रही है. इसको लेकर खजुराहों में जोर-शोर से तैयारियां चल रही है. इस बैठक में शामिल होने वाले विदेशी मेहमानों को विश्व विरासत खजुराहो के मंदिरों के अलावा, पन्ना टाइगर रिजर्व का भ्रमण कराया जाएगा. इसके अलावा उन्हें मध्यप्रदेश की आदिवासी जनजातियों की संस्कृति को दिखाया जाएगा. इसके लिए खजुराहो में साढ़े 7 करोड़ की लागत से एक म्युजियम तैयार कराया गया है. इसे संस्कृति विभाग के जनजातीय संग्रहालय की देखरेख में तैयार कराया गया है. संग्रहालय के क्यूरेटर अशोक मिश्रा ने बताया कि प्रदेश के जनजातियों का सौंदर्य इस म्यूजियम में दिखाई देगा. यह म्युजियम साढ़े 3 एकड़ में तैयार किया गया है. इसमें प्रदेश की सभी जनजातियों का रहन-सहन, उनके द्वारा उपयोग की जाने वाली सामग्री, उनकी कला-संस्कृति को बेहद बारीकी से प्रस्तुत किया गया है.

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प्रदेश में डेढ़ करोड़ जनसंख्या है आदिवासियां की: देश में सबसे ज्यादा जनजातियों की संख्या मध्यप्रदेश में है. प्रदेश में डेढ़ करोड़ से ज्यादा जनसंख्या आदिवासियों की है. इसमें भील जनजाति सबसे ज्यादा है. भील का अर्थ ही होता है कमान और यह धनुष रखते हैं. भीलों की चित्रकला शैली पिथौरा विश्व प्रसिद्ध है, जिसे इस संग्रहालय में दिखाया जाएगा. इसी तरह गोंड जनजाति के प्रमुख नृत्य करमा, सैला, भडौनी, सुआ आदि को यहां प्रस्तुत किया जाएगा. इसके अलावा बैगा, सहरिया, कोरकु, उरांव, बंजारा जनजातियों की कला-संस्कृति को दिखाया जाएगा. इनकी चित्रकला, मिट्टी शिल्प, धातु शिल्प, काष्ठ शिल्प, कंघी कला, बांस शिल्प और छीपा शिल्प को प्रदर्शित किया गया है.

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छत्रसाल कन्वेंशन सेंटर में होगी जी-20 की बैठक: दुनिया के शक्तिशाली देशों के संगठन जी-20 की अध्यक्षता इस बार भारत को मिली है. इस बार जी-20 की बैठक राजधानी में न होकर देश के अलग-अलग स्थानों पर किए जा रहे हैं. इसकी पहली बैठक भोपाल में हो चुकी है. इसमें कई देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था. अब 13, 14 और 15 फरवरी को जी-20 की कृषि कार्य समूह की बैठकें होगी. इसके बाद 23, 24 अैर 25 फरवरी को खजुराहो में जी-20 के संस्कृति कार्य समूह की बैठकें होगी. यह बैठकें महाराज छत्रसाल कन्वेंशन सेंटर में होंगी. इस दौरान प्रतिनिधियों को प्रदेश की संस्कृति, ऐतिहासिक विरासत और वन संपदाओं से रूबरू कराया जाएगा.

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