भोपाल: मध्यप्रदेश विधानसभा बजट सत्र में आज धर्म स्वातंत्र्य विधेयक पारित हो सकता है. गुरूवार को हुई कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में कांग्रेस ने विधेयक पर चर्चा के लिए डेढ़ घंटे का समय तय करने का सुझाव दिया था. आज गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा विधेयक को सदन में प्रस्तुत करेंगे.
स्पीकर ने चर्चा के लिए निर्धारित किए हैं डेढ़ घंटे
विधेयक पर चर्चा के लिए विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने डेढ़ घंटे का समय निर्धारित किया है. एमपी सरकार इस कानून को 6 माह की अवधि के लिए अध्यादेश के माध्यम से 9 जनवरी 2021 को प्रदेश में लागू कर चुकी है.
एक मार्च को सदन में पेश हुआ था विधेयक
मध्य प्रदेश विधानसभा बजट सत्र के छठे दिन गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने सदन में धर्म स्वातंत्र्य विधेयक पेश किया था. अब सदन में विधेयक को पारित कर कानून के रूप में मुहर लगनी है.
MP बजट सत्र: विधानसभा में पेश धर्म स्वातंत्र्य कानून-2020
26 दिसंबर को विधेयक को कैबिनेट की मंजूरी मिली थी
26 दिसंबर 2020 को मध्य प्रदेश में शिवराज कैबिनेट कथित लव जिहाद के खिलाफ सख्त कानून को मंजूरी दे दी थी. कैबिनेट की वर्चुअल बैठक में मंजूरी मिल गई है, मंजूरी मिलने के बाद अध्यादेश को राज्यपाल के पास अनुमोदन के लिए भेजा गया था, जहां विधेयक को संशोधित बिंदुओं के साथ मंजूरी मिल गई थी. इसके बाद मध्य प्रदेश विधानसभा बजट सत्र के छठे दिन विधेयक को सदन में धर्म स्वातंत्र्य विधेयक पेश किया गया. जिसके बाद मध्य प्रदेश धर्म स्वातंत्र्य विधेयक कानून का रूप ले लेगा.
क्या हैं कानून के प्रावधान ?
- बहला-फुसलाकर, धमकी देकर जबरदस्ती धर्मांतरण और विवाह पर 10 साल की सजा का प्रावधान होगा.
- इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह में सहयोग करने वाले सभी आरोपियों के खिलाफ मुख्य आरोपी की तरह ही न्यायिक कार्रवाई की जाएगी.
- धर्मांतरण और धर्मांतरण के पश्चात होने वाले विवाह के 1 माह पूर्व डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को धर्मांतरण और विवाह करने और करवाने वाले दोनों पक्षों को लिखित में आवेदन प्रस्तुत करना होगा.
- बगैर आवेदन प्रस्तुत किए धर्मांतरण कराने वाले धर्मगुरु, काजी, मौलवी या पादरी को 5 साल तक की सजा का प्रावधान होगा.
- इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं को डोनेशन देने वाली संस्थाएं या लेने वाली संस्थाओं का पंजीयन भी निरस्त होगा.
- धर्मांतरण और जबरन विवाह की शिकायत स्वयं पीड़ित, माता- पिता, परिजन या गार्जियन द्वारा की जा सकती है.
- जबरन धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं का पंजीयन निरस्त किया जाएगा.
- संस्थाओं पर होगी कार्रवाई
- कानून के तहत इस तरह की गतिविधियों को संचालित करने वाली संस्थाओं को वित्तीय सहायता देने वाली संस्थाओं के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. बगैर आवेदन धर्मांतरण कराने वाले धर्मगुरुओं को भी 5 साल की सजा होगी.