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पूर्व PM अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला का कोरोना से निधन

भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी और कांग्रेस नेता करुणा शुक्ला का निधन सोमवार देर रात कोरोना के कारण हो गया. उनका इलाज रायपुर के निजी अस्पताल में चल रहा था. आज उनका अंतिम संस्कार बलौदाबाजार में किया जाएगा.

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करुणा शुक्ला का कोरोना से निधन
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Published : Apr 27, 2021, 7:55 AM IST

भोपाल/ रायपुर। कोरोना वायरस ने पूरे देश में कहर मचा रखा है. क्या आम और क्या खास आज सभी कोरोना के कारण असमय जान गंवाने को मजबूर हैं. भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी और कांग्रेस नेता करुणा शुक्ला का निधन भी कोरोना से हो गया. सोमवार देर रात उन्होंने अस्पताल में अंतिम सांस ली. उनका इलाज राजधानी रायपुर के रामकृष्ण अस्पताल में चल रहा था.

बलौदाबाजार में होगा अंतिम संस्कार

करुणा शुक्ला का अंतिम संस्कार बलौदाबाजार में होगा. सीएम भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने उनके निधन पर गहरा शोक जताया है. सीएम भूपेश बघेल ने ट्वीट किया कि मेरी करुणा चाची यानी करुणा शुक्ला जी नहीं रहीं. निष्ठुर कोरोना ने उन्हें भी लील लिया. राजनीति से इतर उनसे बहुत आत्मीय पारिवारिक रिश्ते रहे और उनका सतत आशीर्वाद मुझे मिलता रहा. ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दे और हम सबको उनका विछोह सहने की शक्ति.

छत्तीसगढ़ में सोमवार को मिले 15,084 नए कोरोना पॉजिटिव, 215 की मौत

करुणा शुक्ला वर्तमान में समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष थीं. इससे पहले वे लोकसभा सांसद रहीं. वे भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सहित तमाम बड़े पदों पर रहीं. लेकिन बीजेपी में अनदेखी से नाराज करुणा ने साल 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस का हाथ थाम लिया था. तब कांग्रेस ने उन्हें बिलासपुर से टिकट दिया, लेकिन वे हार गईं. प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने भी उनके निधन पर शोक जताया है.

रमन सिंह के खिलाफ लड़ा चुनाव

वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के खिलाफ कांग्रेस ने करुणा शुक्ला को राजनांदगांव से उम्मीदवार बनाया था.

करुणा शुक्ला का राजनीतिक सफर

1 अगस्त 1950 को ग्वालियर में करुणा शुक्ला का जन्म हुआ था. भोपाल यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी करने के बाद करुणा ने राजनीति में कदम रखा था. उन्हें मध्य प्रदेश विधानसभा में रहते हुए बेस्ट विधायक का खिताब भी मिला था. पहली बार करुणा शुक्ला 1993 में बीजेपी विधायक चुनी गई थीं.

सरकार सुनिश्चित करे कि ऑक्सीजन की कमी से किसी की न हो मौत: हाईकोर्ट

2004 के लोकसभा चुनाव में करुणा ने भाजपा के लिए जांजगीर सीट जीती थी, लेकिन 2009 के चुनावों में करुणा कांग्रेस के चरणदास महंत से हार गई थीं. उस चुनाव में छत्तीसगढ़ में करुणा ही बीजेपी की अकेली प्रत्याशी थीं, जो चुनाव हारी थीं. भाजपा में रहते हुए करुणा कई महत्वपूर्ण पदों पर रहीं, जिनमें भाजपा महिला मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष पद भी है. 32 साल भाजपा में रहने के बाद उन्होंने अचानक कांग्रेस का दामन थाम लिया था.

भोपाल/ रायपुर। कोरोना वायरस ने पूरे देश में कहर मचा रखा है. क्या आम और क्या खास आज सभी कोरोना के कारण असमय जान गंवाने को मजबूर हैं. भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी और कांग्रेस नेता करुणा शुक्ला का निधन भी कोरोना से हो गया. सोमवार देर रात उन्होंने अस्पताल में अंतिम सांस ली. उनका इलाज राजधानी रायपुर के रामकृष्ण अस्पताल में चल रहा था.

बलौदाबाजार में होगा अंतिम संस्कार

करुणा शुक्ला का अंतिम संस्कार बलौदाबाजार में होगा. सीएम भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने उनके निधन पर गहरा शोक जताया है. सीएम भूपेश बघेल ने ट्वीट किया कि मेरी करुणा चाची यानी करुणा शुक्ला जी नहीं रहीं. निष्ठुर कोरोना ने उन्हें भी लील लिया. राजनीति से इतर उनसे बहुत आत्मीय पारिवारिक रिश्ते रहे और उनका सतत आशीर्वाद मुझे मिलता रहा. ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दे और हम सबको उनका विछोह सहने की शक्ति.

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करुणा शुक्ला वर्तमान में समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष थीं. इससे पहले वे लोकसभा सांसद रहीं. वे भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सहित तमाम बड़े पदों पर रहीं. लेकिन बीजेपी में अनदेखी से नाराज करुणा ने साल 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस का हाथ थाम लिया था. तब कांग्रेस ने उन्हें बिलासपुर से टिकट दिया, लेकिन वे हार गईं. प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने भी उनके निधन पर शोक जताया है.

रमन सिंह के खिलाफ लड़ा चुनाव

वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के खिलाफ कांग्रेस ने करुणा शुक्ला को राजनांदगांव से उम्मीदवार बनाया था.

करुणा शुक्ला का राजनीतिक सफर

1 अगस्त 1950 को ग्वालियर में करुणा शुक्ला का जन्म हुआ था. भोपाल यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी करने के बाद करुणा ने राजनीति में कदम रखा था. उन्हें मध्य प्रदेश विधानसभा में रहते हुए बेस्ट विधायक का खिताब भी मिला था. पहली बार करुणा शुक्ला 1993 में बीजेपी विधायक चुनी गई थीं.

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2004 के लोकसभा चुनाव में करुणा ने भाजपा के लिए जांजगीर सीट जीती थी, लेकिन 2009 के चुनावों में करुणा कांग्रेस के चरणदास महंत से हार गई थीं. उस चुनाव में छत्तीसगढ़ में करुणा ही बीजेपी की अकेली प्रत्याशी थीं, जो चुनाव हारी थीं. भाजपा में रहते हुए करुणा कई महत्वपूर्ण पदों पर रहीं, जिनमें भाजपा महिला मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष पद भी है. 32 साल भाजपा में रहने के बाद उन्होंने अचानक कांग्रेस का दामन थाम लिया था.

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