भोपाल। मध्यप्रदेश में उपचुनाव से पहले नेताओं के सुर तेज हो चुके हैं. पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने कहा है कि, प्रधानमंत्री मोदी की नकल को आतुर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बिना किसी जानकारी के फिर एक घोषणा कर दी है कि, प्रदेश में शासकीय नौकरियों के लिए युवाओं को अलग से कोई परीक्षा देने की आवश्यकता नहीं होगी. एनआरए द्वारा आयोजित परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर ही इन्हें प्रदेश की शासकीय नौकरियां मिलेंगी.
पीसी शर्मा ने कहा है कि, सीईटी (कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट) कोई चयन परीक्षा नहीं है, बल्कि यह एक पात्रता परीक्षा है. ऐसी कई पात्रता परीक्षाओं के माध्यम से मध्य प्रदेश सरकार बेरोजगारों को 15 सालों से ठग चुकी है, उन्हें नौकरियां नहीं मिली हैं. इसमें शामिल होने के बाद भी युवाओं को अलग-अलग एजेंसी में परीक्षा देने के लिए आवेदन करना पड़ेगा. पूर्व मंत्री पीसी ने नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी को बड़ा व्यापमं बताया है.
पीसी शर्मा ने आरोप लगाया है कि, 'ये बयान साफ तौर पर एक कोरी घोषणा है. जो मध्यप्रदेश सरकार ने युवाओं को लुभाने के लिए की है, अब इस घोषणा में शिवराज सिंह खुद फंस गए हैं'. उन्होंने कहा कि, 'मध्य प्रदेश के बेरोजगारों को शासकीय नौकरी में मध्य प्रदेश के रोजगार कार्यालय में पंजीकरण अनिवार्य करके नौकरी देने का फैसला जुलाई 2019 में ही कमलनाथ सरकार कर चुकी है'. पीसी शर्मा ने कहा कि, 'जिन रोजगार कार्यालयों को सीएम शिवराज बंद कर चुके थे, उन्हें वापस शुरू कर सशक्त बनाने का काम कमलनाथ ने किया था'.