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शिक्षकों की भर्ती को लेकर कमलनाथ का शिवराज को पत्र, प्रक्रिया शुरू कर जल्द नियुक्ति देने की मांग - एमपी शिक्षक भर्ती प्रक्रिया

पूर्व सीएम कमलनाथ ने सीएम शिवराज को पत्र लिखा है. कमलनाथ ने सीएम को पत्र लिखकर 30 हजार से ज्यादा चयनित शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया जल्द शुरू कराने की मांग की है. कमलनाथ ने कहा है कि अगर भर्ती प्रक्रिया जल्द शुरू होती है तो प्रदेश में शिक्षण कार्य को सुव्यवस्थित किया जा सकता है.

Former CM Kamal Nath
पूर्व सीएम कमलनाथ
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Published : Nov 28, 2020, 3:22 PM IST

भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रदेश के 30 हजार से ज्यादा शासकीय स्कूलों में चयनित शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को तत्काल शुरू करने की मांग की है. पूर्व सीएम ने कहा है कि इन पदों पर भर्ती की सारी प्रक्रियाएं कांग्रेस सरकार ने पूरी कर ली थी. इसमें अंतिम चरण में मात्र दस्तावेजों का सत्यापन किया जाना था. लेकिन भाजपा सरकार आने के बाद इस प्रक्रिया को पूरा ना करने के कारण प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है.

LETTER
पत्र

कांग्रेस सरकार ने पूरी कर ली थी शिक्षक भर्ती की औपचारिकताएं

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को लिखे पत्र में कमलनाथ ने कहा है कि वर्ष 2011 के बाद से प्रदेश में शिक्षकों की भर्ती नहीं की गई थी. इस कारण कई शासकीय स्कूल शिक्षक विहीन थे. इस कमी को दूर करने और शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए प्रदेश के 19 हजार से ज्यादा उच्चतर माध्यमिक व 11 हजार से ज्यादा माध्यमिक शालाओं में शिक्षकों की नियुक्ति होनी थी. कांग्रेस सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान इन पदों पर भर्ती की सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली थीं. अंतिम चरण में दस्तावेजों का सत्यापन किया जाना था, जो कि बीजेपी द्वारा कांग्रेस की चुनी हुई सरकार को गिराने के कारण पूरा ना हो सका.

कमलनाथ ने शिवराज सिंह को लिखा पत्र

लॉकडाउन की आड़ में लगाई थी भर्ती प्रक्रिया पर रोक

पूर्व सीएम ने लिखा है कि कोरोना और परिवहन व्यवस्था उपलब्ध ना होने की आड़ में बीजेपी ने शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी. आज अनलॉक व्यवस्था हुए काफी समय हो गया है. लेकिन अभी भी भर्ती प्रक्रिया को रोक कर रखा गया है. इस कारण चयनित अभ्यर्थियों में आक्रोश व्याप्त है, वे अधर में लटके हुए हैं और अपनी नियुक्ति की लंबे समय से बांट जोह रहे हैं. उन्होंने कहा है कि कांग्रेस सरकार इन शिक्षकों की नियुक्ति के लिए कटिबद्ध थी. लेकिन सत्ता परिवर्तन के कारण यह संभव नहीं हो सका है.

कमनलाथ ने शिवराज सिंह से की मांग

कमलनाथ ने मुख्यमंत्री से कहा है कि वे चयनित अभ्यर्थियों को शिक्षक पद पर नियुक्ति देने की प्रक्रिया जल्द शुरू कराने का कष्ट करें. जिससे प्रदेश में शिक्षण कार्य को सुव्यवस्थित किया जा सके.

पढ़ें:देवी अहिल्या विश्वविद्यालय: सालों से अटकी पदोन्नति और शिक्षक भर्ती प्रक्रिया जल्द होगी शुरू

शिवराज सरकार क्यों कर रही है देरी

वहीं इस बारे में कांग्रेस प्रवक्ता जितेंद्र मिश्रा का कहना है कि भर्ती प्रक्रिया में देरी होने से शिवराज सरकार पर सवाल खड़े होते हैं. जब पुरानी सरकार द्वारा सारी प्रक्रियाएं पूरी कर ली गई थी, तो क्या वजह है कि आज भर्ती में इतनी देरी क्यों हो रही है. उन्होंने कहा कि आज 19 हजार माध्यमिक शिक्षक 11 हजार प्राथमिक विद्यालय खाली पड़े हैं. प्रदेश में अगर शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में देरी की गई तो यह निश्चित है कि प्रदेश में शिक्षा की हालत बदतर है.

30 हजार से ज्यादा शिक्षकों की नहीं हुई भर्ती

बता दें प्रदेश में 30 हजार 594 से ज्यादा शिक्षकों की भर्ती नहीं हो सकी है. जहां स्कूल शिक्षा विभाग व आदिम जाति कल्याण विभाग के अंतर्गत उच्च माध्यमिक शिक्षक के 19220 पदों पर भर्ती होनी है. जिसके लिए पीईबी ने उच्च माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा का रिजल्ट घोषित किया था. लिहाजा एक साल बाद भी इन पदों पर नियक्ति नहीं हुई, जिसके बाद चयनितों ने रिजल्ट की कॉपियां जलाकर विरोध जताया था.

भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रदेश के 30 हजार से ज्यादा शासकीय स्कूलों में चयनित शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को तत्काल शुरू करने की मांग की है. पूर्व सीएम ने कहा है कि इन पदों पर भर्ती की सारी प्रक्रियाएं कांग्रेस सरकार ने पूरी कर ली थी. इसमें अंतिम चरण में मात्र दस्तावेजों का सत्यापन किया जाना था. लेकिन भाजपा सरकार आने के बाद इस प्रक्रिया को पूरा ना करने के कारण प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है.

LETTER
पत्र

कांग्रेस सरकार ने पूरी कर ली थी शिक्षक भर्ती की औपचारिकताएं

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को लिखे पत्र में कमलनाथ ने कहा है कि वर्ष 2011 के बाद से प्रदेश में शिक्षकों की भर्ती नहीं की गई थी. इस कारण कई शासकीय स्कूल शिक्षक विहीन थे. इस कमी को दूर करने और शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए प्रदेश के 19 हजार से ज्यादा उच्चतर माध्यमिक व 11 हजार से ज्यादा माध्यमिक शालाओं में शिक्षकों की नियुक्ति होनी थी. कांग्रेस सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान इन पदों पर भर्ती की सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली थीं. अंतिम चरण में दस्तावेजों का सत्यापन किया जाना था, जो कि बीजेपी द्वारा कांग्रेस की चुनी हुई सरकार को गिराने के कारण पूरा ना हो सका.

कमलनाथ ने शिवराज सिंह को लिखा पत्र

लॉकडाउन की आड़ में लगाई थी भर्ती प्रक्रिया पर रोक

पूर्व सीएम ने लिखा है कि कोरोना और परिवहन व्यवस्था उपलब्ध ना होने की आड़ में बीजेपी ने शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी. आज अनलॉक व्यवस्था हुए काफी समय हो गया है. लेकिन अभी भी भर्ती प्रक्रिया को रोक कर रखा गया है. इस कारण चयनित अभ्यर्थियों में आक्रोश व्याप्त है, वे अधर में लटके हुए हैं और अपनी नियुक्ति की लंबे समय से बांट जोह रहे हैं. उन्होंने कहा है कि कांग्रेस सरकार इन शिक्षकों की नियुक्ति के लिए कटिबद्ध थी. लेकिन सत्ता परिवर्तन के कारण यह संभव नहीं हो सका है.

कमनलाथ ने शिवराज सिंह से की मांग

कमलनाथ ने मुख्यमंत्री से कहा है कि वे चयनित अभ्यर्थियों को शिक्षक पद पर नियुक्ति देने की प्रक्रिया जल्द शुरू कराने का कष्ट करें. जिससे प्रदेश में शिक्षण कार्य को सुव्यवस्थित किया जा सके.

पढ़ें:देवी अहिल्या विश्वविद्यालय: सालों से अटकी पदोन्नति और शिक्षक भर्ती प्रक्रिया जल्द होगी शुरू

शिवराज सरकार क्यों कर रही है देरी

वहीं इस बारे में कांग्रेस प्रवक्ता जितेंद्र मिश्रा का कहना है कि भर्ती प्रक्रिया में देरी होने से शिवराज सरकार पर सवाल खड़े होते हैं. जब पुरानी सरकार द्वारा सारी प्रक्रियाएं पूरी कर ली गई थी, तो क्या वजह है कि आज भर्ती में इतनी देरी क्यों हो रही है. उन्होंने कहा कि आज 19 हजार माध्यमिक शिक्षक 11 हजार प्राथमिक विद्यालय खाली पड़े हैं. प्रदेश में अगर शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में देरी की गई तो यह निश्चित है कि प्रदेश में शिक्षा की हालत बदतर है.

30 हजार से ज्यादा शिक्षकों की नहीं हुई भर्ती

बता दें प्रदेश में 30 हजार 594 से ज्यादा शिक्षकों की भर्ती नहीं हो सकी है. जहां स्कूल शिक्षा विभाग व आदिम जाति कल्याण विभाग के अंतर्गत उच्च माध्यमिक शिक्षक के 19220 पदों पर भर्ती होनी है. जिसके लिए पीईबी ने उच्च माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा का रिजल्ट घोषित किया था. लिहाजा एक साल बाद भी इन पदों पर नियक्ति नहीं हुई, जिसके बाद चयनितों ने रिजल्ट की कॉपियां जलाकर विरोध जताया था.

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