भोपाल। पूर्व सीएम कमलनाथ ने उपज क्रय केंद्रों पर बारिश से भींगकर बर्बादी की कगार पर पहुंचे अनाज के लिए प्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. कमलनाथ ने कहा है कि, सरकार की लापरवाही से करोड़ों का नुक़सान हुआ है. खुले में पड़ा लाखों मीट्रिक टन गेहूं-चना भींग गया है.
उन्होंने कहा कि, सरकार ने गेहूं खरीदी की तारीख जरूर बढ़ायी, लेकिन खरीदी केन्द्र कम कर दिये. आज भी कई केंद्रों पर खरीदी बंद होने से किसान परेशान हो रहा है. उन्होंने कहा कि, सरकार के सारे दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं, जमीन पर कुछ भी नहीं है.
पूर्व सीएम कमलनाथ ने आज जारी अपने एक बयान में प्रदेश की शिवराज सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि, सरकार की लापरवाही से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ख़रीदा गया, खुले आसमान के नीचे पड़ा लाखों मीट्रिक टन गेहूं भीग गया है, जिससे करोड़ों का नुकसान और बड़ी बर्बादी हुई है.
देश भर में निसर्ग तूफान की चेतावनी और प्रदेश के कई हिस्सों में भारी बारिश की चेतावनी को भी सरकार ने नजरअंदाज किया, जिससे यह नुकसान हुआ है, इसकी जिम्मेदार सरकार की है. उन्होंने कहा कि, मध्यप्रदेश में इस वर्ष गेहूं की बंपर पैदावार हुई है. कोरोना महामारी के लॉकडाउन के कारण न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी इस बार देरी से प्रारंभ हुई.
सरकार ने खरीदी को लेकर शुरू से बड़े-बड़े दावे किए, बड़े-बड़े आंकड़े जारी किए. लेकिन वास्तविकता सभी के सामने हैं. इस बार किसान अपनी उपज बेचने के लिए सबसे ज्यादा परेशान हुआ है.
कई खरीदी केंद्रों पर बारदानों की कमी रही, तुलाई की व्यवस्था नहीं रही, भंडारण की व्यवस्था नहीं रही, इससे समय पर खरीदी नहीं हो पाई. किसानों को मैसेज देकर बुला लिया गया और उनकी खरीदी कई-कई दिन तक नहीं की गयी. जिससे किसानों को कई-कई दिनों तक कई किमी लंबी लाइनों में इस भीषण गर्मी व लू के थपेड़ों को झेलते हुए अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा.
कमलनाथ ने की खरीदी की तारीख बढ़ाने की मांग
कमलनाथ ने कहा कि, देरी से 15 अप्रैल से प्रारंभ खरीदी 31 मई तक चली. इस अवधि में भी हजारों किसानों की उपज की खरीदी नहीं हो पाई. हमने सरकार से मांग की थी कि, आज भी हज़ारों किसान ट्रैक्टर -ट्राली में अपना गेहूं लेकर खरीदी केंद्रों के बाहर लाइन लगाकर खड़े है. खरीदी की तारीख को आगे बढ़ाया जाए.
सरकार ने इंदौर, भोपाल, देवास, उज्जैन और शाजापुर के जिलों सहित कुल 350 केंद्रों के लिए खरीदी की तारीख 5 जून तक बढ़ाई. सरकार ने तारीख तो आगे बढ़ा दी, लेकिन खरीदी केंद्र कम कर दिए, जिससे किसानों को और अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
सरकार की लापरवाही से भीगा किसानों का गेहूं
उन्होंने कहा कि बड़ा ही आश्चर्यजनक है कि, हम सरकार से निरंतर मांग कर रहे थे कि, किसानों से खरीदा गया लाखों मीट्रिक टन गेहूं व चना खुले आसमान के नीचे पड़ा हुआ है. बारिश की संभावना को देखते हुए यह भींग सकता है, खराब हो सकता है, जिससे करोड़ों रुपए की बर्बादी होगी.
सरकार के ज़िम्मेदार सिर्फ कमरों में बैठकर खरीदी के, परिवहन के और भंडारण के बड़े-बड़े आंकड़े जारी करते रहे. जमीनी स्तर पर गेहूं और चने को खुले आसमान के नीचे से परिवहन की कोई व्यवस्था नहीं की गई. आज भी किसान बड़ी संख्या में खरीदी केंद्रों के बाहर लाइन लगाकर खड़ा है. बारिश की संभावना से उसका गेहूं भीगने की आशंका है. गेहूं भीगने पर उसके गेहूं की खरीददारी नहीं होगी, इसका जवाबदार कौन है.
अव्यवस्थाओं को दूर करे सरकार-कमलनाथ
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि, हम सरकार से मांग करते है कि, जब तक सभी किसानों का पूरा गेहूं नहीं खरीद लिया जाता, तब तक खरीदी चालू रहे. खरीदी केंद्रों पर जो खरीदी बंद पड़ी है, उसे चालू किया जाए. खरीदी केंद्रों पर बारदानों की कमी दूर की जाए, अव्यवस्थाओं को दूर किया जाए.
बारिश में भीगा किसान का गेहूं भी खरीदा जाए, खरीदे गए गेहूं और चने का शीघ्र परिवहन कर उसका सुरक्षित भंडारण किया जाए. गेहूं-चने के भीगने से और खराब होने से हुई करोड़ों की बर्बादी की जिम्मेदारी तय हो. जिन किसानों की खरीदी केंद्रों पर उपज बेचने के दौरान अभी तक मौत हुई है, उनके परिवार को एक-एक करोड़ का मुआवजा दिया जाए.