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भाषा ही नहीं समाज को भी दूषित कर रही गालियां , महिला चिकित्सक चला रहीं इसके खिलाफ मुहिम

समाज में मां-बहन और बेटियां के लिए बोले जाने वाली गालियों के खिलाफ समाज सेविका डॉ वंदना गुप्ता देशभर में एक अभियान चला रही है जिसमें स्कूलों में प्रार्थना के बाद बच्चों को गाली नहीं देने की शपथ दिलाई जाएगी.

डॉ वंदना गुप्ता की गालियों के खिलाफ एक मुहिम
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Published : Sep 14, 2019, 12:05 PM IST

भोपाल। समाज में व्याप्त गालियों के खिलाफ महिला डॉक्टर और समाज सेविका डॉ वंदना गुप्ता ने देशव्यापी मुहिम छेड़ी है. इसके लिए वह पूरे देश का दौरा कर रही हैं और प्रयास कर रही हैं कि हर स्कूल में होने वाली प्रार्थना के बाद मां बहन और बेटियों की गाली नहीं देने का संकल्प लिया जाए. ताकि बच्चे इन बुराइयों को समझें और गालियों से दूर रहें.

डॉ वंदना गुप्ता की गालियों के खिलाफ एक मुहिम


इस मुहिम को लेकर डॉ वंदना गुप्ता ने बताया कि अपशब्दों के कारण समाज को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है. छोटी-छोटी बच्चियों से बलात्कार,छेड़छाड़, अश्लील घटनाएं और जितनी भी वेब सीरीज है सब गंदी आ रही हैं, तो एक मानसिकता बन गई है. सालों से समाज के बीच रहकर उन्होंने यह महसूस किया कि मां बहन बेटी के लिए अपशब्द दी जाती है. इसमें बलात्कारी मानसिकता का बीज है इसके कारण समाज के अंदर बहुत अपराध बढ़ रहे हैं
अपशब्दों के खिलाफ अभियान -
इस अभियान में विशेष रूप से स्कूलों को टारगेट बनाया गया है इस अभियान के तहत स्कूली बच्चों को प्रार्थना के बाद एक 30 सेकंड की शपथ दिलाई जाती है. जिसमें प्रार्थना के बाद 4 बच्चे बाहर आकर शपथ लेते हैं कि'' हम संकल्प लेते हैं कि अपनी मां बहन बेटी के सम्मान में आज से कभी भी मां बहन बेटियों के लिए अपशब्द किसी को नहीं देंगे और गाली देना भारतीय संविधान के अंतर्गत दंडनीय अपराध है.
डॉ वंदना गुप्ता कहना कि आमतौर पर स्कूली बच्चें अस्पताल में एडमिट होने पर सुई लगने पर भी मां-बहन की गालियां देते हैं. उन्हें इनका अर्थ नहीं मालूम है, उन्हें विरासत में यह सब मिल गया है, तो वे बिना अर्थ समझे बोल रहे हैं. इन बच्चों को लगता है कि गालियां एक हथियार हैं. किसी के ऊपर अपना क्रोध व्यक्त कराने का तरीका है.ये सब देखकर मुझे लगा कि कुछ करना चाहिए समाज को इस तरह से गंदा होते तो हम नहीं देख सकते हैं.

भोपाल। समाज में व्याप्त गालियों के खिलाफ महिला डॉक्टर और समाज सेविका डॉ वंदना गुप्ता ने देशव्यापी मुहिम छेड़ी है. इसके लिए वह पूरे देश का दौरा कर रही हैं और प्रयास कर रही हैं कि हर स्कूल में होने वाली प्रार्थना के बाद मां बहन और बेटियों की गाली नहीं देने का संकल्प लिया जाए. ताकि बच्चे इन बुराइयों को समझें और गालियों से दूर रहें.

डॉ वंदना गुप्ता की गालियों के खिलाफ एक मुहिम


इस मुहिम को लेकर डॉ वंदना गुप्ता ने बताया कि अपशब्दों के कारण समाज को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है. छोटी-छोटी बच्चियों से बलात्कार,छेड़छाड़, अश्लील घटनाएं और जितनी भी वेब सीरीज है सब गंदी आ रही हैं, तो एक मानसिकता बन गई है. सालों से समाज के बीच रहकर उन्होंने यह महसूस किया कि मां बहन बेटी के लिए अपशब्द दी जाती है. इसमें बलात्कारी मानसिकता का बीज है इसके कारण समाज के अंदर बहुत अपराध बढ़ रहे हैं
अपशब्दों के खिलाफ अभियान -
इस अभियान में विशेष रूप से स्कूलों को टारगेट बनाया गया है इस अभियान के तहत स्कूली बच्चों को प्रार्थना के बाद एक 30 सेकंड की शपथ दिलाई जाती है. जिसमें प्रार्थना के बाद 4 बच्चे बाहर आकर शपथ लेते हैं कि'' हम संकल्प लेते हैं कि अपनी मां बहन बेटी के सम्मान में आज से कभी भी मां बहन बेटियों के लिए अपशब्द किसी को नहीं देंगे और गाली देना भारतीय संविधान के अंतर्गत दंडनीय अपराध है.
डॉ वंदना गुप्ता कहना कि आमतौर पर स्कूली बच्चें अस्पताल में एडमिट होने पर सुई लगने पर भी मां-बहन की गालियां देते हैं. उन्हें इनका अर्थ नहीं मालूम है, उन्हें विरासत में यह सब मिल गया है, तो वे बिना अर्थ समझे बोल रहे हैं. इन बच्चों को लगता है कि गालियां एक हथियार हैं. किसी के ऊपर अपना क्रोध व्यक्त कराने का तरीका है.ये सब देखकर मुझे लगा कि कुछ करना चाहिए समाज को इस तरह से गंदा होते तो हम नहीं देख सकते हैं.

Intro:भोपाल। हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में भाषा इस कदर दूषित हो रही है कि वह समाज को भी प्रभावित कर रही है। खासकर हम उन शब्दों की बात करेंगे, जो भाषा को तो दूषित करते ही हैं, समाज को कलंकित भी करते हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं, उन गालियों की जिनका आप सामान्य बातचीत में, कभी क्रोध में तो कभी हंसी मजाक में तो कभी अपनी बात मनवाने के लिए करते हैं। आमतौर पर समाज में मां-बहन और बेटियां की गालियां काफी चलन में है। समाज में व्याप्त इस गंदगी के खिलाफ एक महिला चिकित्सक और समाज सेविका डॉ वंदना गुप्ता ने देशव्यापी मुहिम छेड़ी है. इसके लिए वह पूरे देश का दौरा कर रही हैं और प्रयास कर रही हैं कि हर स्कूल में होने वाली प्रार्थना के बाद मां बहन और बेटियों की गाली ना देने का संकल्प लिया जाए। ताकि बच्चे इन की बुराइयों को समझें और इन गालियों से दूर रहें।


Body:गालियों के खिलाफ छेड़ी गई अपनी इस मुहिम को लेकर डॉ वंदना गुप्ता का कहना है कि इन गंदी गालियों के कारण समाज को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। क्योंकि कहते हैं कि शब्द ब्रह्म है, हम जो भी बोलते हैं, जो उस शब्द का अर्थ होता है। वह हमारे कृतित्व में में आता है, कृतित्व व्यक्तित्व बन जाता है। मैं समझती हूं कि जो समाज में हर जगह गंदगी व्याप्त हो गई है। छोटी-छोटी बच्चियों से बलात्कार,छेड़छाड़, अश्लील घटनाएं और जितनी वेब सीरीज गंदी आ रही हैं, तो एक मानसिकता व्याप्त हो गई है। वर्षों से समाज के बीच रहकर मैंने महसूस किया कि यह गालियां, विशेषकर मां बहन बेटी की गालियां दी जाती है। इसमें बलात्कारी मानसिकता का बीज व्याप्त है।इसके कारण समाज के अंदर बहुत अपराध बढ़ रहे हैं और यौन शोषण की घटनाएं बहुत ज्यादा हो रही हैं।

गालियों के खिलाफ अभियान -

गालियों के खिलाफ अभियान को लेकर डॉ वंदना गुप्ता का कहना है कि इस अभियान को हर जगह जहां से हम समाज को सुधार सकते हैं, हमने वहां से शुरू करने की कोशिश की है। विशेष रूप से हमने स्कूलों को टारगेट बनाया है कोशिश की है कि हम क्या कर सकते हैं. हमने आमतौर पर स्कूली बच्चों को देखा है कि अस्पताल में एडमिट होने पर सुई लगने पर भी मां-बहन की गालियां देते हैं। मैं खुद एक स्कूल में सचिव हूं, मैंने देखा है कि छोटे-छोटे बच्चे सड़क पर चलकर गालियां दे रहे हैं। मुझे लगा कि इन्हें इनका अर्थ नहीं मालूम है, उन्हें विरासत में यह सब मिल गया है,तो यह बिना अर्थ समझे बोल रहे हैं. इन बच्चों को लगा यह गालियां एक हथियार हैं. किसी के ऊपर अपना क्रोध व्यक्त कर काम कराने का तरीका है।इन परिस्थितियों को देखकर मुझे लगा कि कुछ करना चाहिए समाज को इस तरह से गंदा होते तो हम नहीं देख सकते हैं, हमें भी जो कुछ अच्छा मिला है, तो अच्छा देना हमारी जिम्मेदारी होना चाहिए।इसके तहत अपने संगठन और तमाम संगठनों के साथ, मैंने इस तर्ज पर कि मैं अकेला चला था, लोग आते गए और कारवां बढ़ता गया, काम किया है।आज पूरे देश में कई संगठन हमारी इस मुहिम से जुड़े हैं।सारे लोग इस विषय पर बात करना चाहते हैं।लोगों का कहना है कि यह सोचते तो सब थे, लेकिन आपने सबके दिल की बात को समाज में फ्रेम कर दिया है।जिस पर काम हो सकता है और समाज की महसूस करता है कि होना चाहिए।


Conclusion:प्रार्थना और संकल्प-
इस अभियान के तहत स्कूली बच्चों को प्रार्थना के बाद एक 30 सेकंड की शपथ दिलाई जाती है।जिसमें प्रार्थना के बाद 4 बच्चे बाहर आकर शपथ लेते हैं कि'' हम संकल्प लेते हैं कि अपनी मां बहन बेटी के सम्मान में आज से कभी भी मां बहन बेटी की गालियां किसी को नहीं देंगे भारतीय संविधान के अंतर्गत दंडनीय अपराध है।''

डॉ वंदना गुप्ता का कहना है कि आप सब जानते हैं कि धारा 354 के अंतर्गत आज तक कोई अपराध दर्ज नहीं हुआ। यह मां बहन बेटियों की गालियां जनमानस में सहजता से व्याप्त हो गई हैं। कि हंसते हुए भी लोग विशेषण के रूप में इनका उपयोग करते हैं।आज इनके खिलाफ मुहिम जरूरी है। इसलिए हमें लगा कि कुछ शुरुआत होना चाहिए. हमने एक दोहा सुना है कि रसरी आवत जात है तो सिल पर परत निशान, उसी दोहे की पंक्ति को लेकर हम प्रयास करेंगे. तो हमारा समाज बदलेगा। तो परिवर्तन की आंधी हम लाएंगे और स्वस्थ समाज बनेगा.
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