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केंद्र सरकार के एक लाख करोड़ के राहत पैकेज को किसान यूनियन ने बताया नाकाफी

किसानों के लिए केंद्र सरकार ने राहत पैकेज का ऐलान किया है, इस पर किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष अनिल यादव से ईटीवी मध्यप्रदेश ने खास चर्चा की.

farmer leader of madhya pradesh
अनिल यादव , किसान नेता
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Published : May 16, 2020, 5:31 PM IST

भोपाल। 20 लाख करोड़ राहक पैकेज में केंद्र सरकार ने 1 लाख करोड़ के राहत पैकेज का ऐलान किसानों के लिए किया है, राहत पैकेज से किसान कितना खुश हुआ है, ये जानने के लिए ईटीवी भारत मध्यप्रदेश ने भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव से बात की, इस दौरान उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि, किसान सिर्फ इस चीज से संतुष्ट है कि, पीएम मोदी किसान का नाम अपने जुबां पर ले आते हैं, इसके अलावा और कुछ भी किसानों को नहीं मिल पाया है.

राहत पैकेज पर कितना खुश किसान

अनिल यादव ने कहा कि, सरकार किसानों को उद्योगपतियों का नौकर बनाना चाहती है. उन्होंने कहा कि, मंडियों का निजीकरण करने पर किसान सबसे ज्यादा प्रभावित होगा, क्योंकि मंडियों की जवाबदारी खत्म होने पर किसान की फसल के पैसे का जिम्मेदार कौन होगा, यदि सिर्फ उद्योगपतियों के भरोसे फसल की खरीदी छोड़ दी जाती है तो ये चिंता का विषय होगा, क्योंकि उद्योगपति देश का पैसा लेकर कभी भी देश छोड़कर भाग जाते हैं.

उन्होंने कहा कि, उद्योगपतियों के हाथ में खरीदी दी है इससे छोटे और मंझोले किसानों को लूटा जाएगा. उन्होंने कहा कि, किसान की बीमा राशि का भी बंदरबाट किया गया है और किसानों तक बीमा की राशि नहीं पहुंची है, उन्होंने कहा कि, किसानों को लाभ पहुंचने का दावा भले ही केंद्र और राज्य सरकार कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत यही है कि, आज भी किसान अपनी फसलों का लाभकारी मूल्य नहीं ले पा रहा है. उन्होंने इस राहत पैकेज को एक भीख बताया और कहा कि किसानों को टुकड़ों में राहत देने का सरकार सिर्फ दिखावा कर रही है.

भोपाल। 20 लाख करोड़ राहक पैकेज में केंद्र सरकार ने 1 लाख करोड़ के राहत पैकेज का ऐलान किसानों के लिए किया है, राहत पैकेज से किसान कितना खुश हुआ है, ये जानने के लिए ईटीवी भारत मध्यप्रदेश ने भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव से बात की, इस दौरान उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि, किसान सिर्फ इस चीज से संतुष्ट है कि, पीएम मोदी किसान का नाम अपने जुबां पर ले आते हैं, इसके अलावा और कुछ भी किसानों को नहीं मिल पाया है.

राहत पैकेज पर कितना खुश किसान

अनिल यादव ने कहा कि, सरकार किसानों को उद्योगपतियों का नौकर बनाना चाहती है. उन्होंने कहा कि, मंडियों का निजीकरण करने पर किसान सबसे ज्यादा प्रभावित होगा, क्योंकि मंडियों की जवाबदारी खत्म होने पर किसान की फसल के पैसे का जिम्मेदार कौन होगा, यदि सिर्फ उद्योगपतियों के भरोसे फसल की खरीदी छोड़ दी जाती है तो ये चिंता का विषय होगा, क्योंकि उद्योगपति देश का पैसा लेकर कभी भी देश छोड़कर भाग जाते हैं.

उन्होंने कहा कि, उद्योगपतियों के हाथ में खरीदी दी है इससे छोटे और मंझोले किसानों को लूटा जाएगा. उन्होंने कहा कि, किसान की बीमा राशि का भी बंदरबाट किया गया है और किसानों तक बीमा की राशि नहीं पहुंची है, उन्होंने कहा कि, किसानों को लाभ पहुंचने का दावा भले ही केंद्र और राज्य सरकार कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत यही है कि, आज भी किसान अपनी फसलों का लाभकारी मूल्य नहीं ले पा रहा है. उन्होंने इस राहत पैकेज को एक भीख बताया और कहा कि किसानों को टुकड़ों में राहत देने का सरकार सिर्फ दिखावा कर रही है.

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