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संतान सप्तमी: निसंतान दंपतियों के लिए आयुर्वेदाचार्य हर साल करते हैं शिविर का आयोजन, 95% मरीजों को होता है फायदा - Vaidya Chandrashekhar Tiwari

संतान संप्तमी (Santan Saptami) के दिन भोपाल के एक आयुर्वेदाचार्य चंद्रशेखर तिवारी (Ayurvedacharya Chandrashekhar Tiwari) हर साल शिविर का आयोजन करते हैं, इस दिन विशेष मुहूर्त देखकर निसंतान दंपतियों (childless couples) को दवा का सेवन करवाया जाता है. आयुर्वेदाचार्य का दावा है कि इससे 95% लोगों को फायदा होता है.

निसंतान दंपतियों के लिए आयुर्वेदाचार्य हर साल करते हैं शिविर का आयोजन
निसंतान दंपतियों के लिए आयुर्वेदाचार्य हर साल करते हैं शिविर का आयोजन
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Published : Sep 13, 2021, 7:43 PM IST

भोपाल। संतान सप्तमी का व्रत कर इस दिन आयुर्वेद (Ayurveda) की विशेष दवा लेने से संतान की प्राप्ति होती है. ऐसे दावे कई आयुर्वेदाचार्य (Ayurvedacharya) कर चुके हैं. भोपाल के आयुर्वेदाचार्य चंद्रशेखर तिवारी (Ayurvedacharya Chandrashekhar Tiwari) इस दिन विशेष मुहूर्त में लोगों को दवा देते हैं और इसका लाभ भी लोगों को हो रहा है. यहां भोपाल ही नहीं प्रदेश के साथ देश भर से निसंतान दंपत्ति आते हैं और दवा लेने के बाद जब संतान होती है, तो आयुर्वेदाचार्य को धन्यवाद देने भी आते हैं.

निसंतान दंपतियों के लिए आयुर्वेदाचार्य हर साल करते हैं शिविर का आयोजन

संतान प्राप्ति की आस में दूर-दूर से आते हैं लोग

रीवा से आए एक दंपति ने बताया की उनकी शादी को 16 साल हो चुके हैं लेकिन फिर भी घर में कोई संतान नहीं है. प्रदेश के कई बड़े अस्पतालों के चक्कर लगाने के बाद यह पहुंचे हैं. इस दौरान आयुर्वेदाचार्य चंद्रशेखर तिवारी ने इन्हें विशेष मुहूर्त में दवा पिलाई है, और यह उम्मीद है कि इसके माध्यम से इन्हें संतान सुख की प्राप्ति हो सकती है. ऐसे एक नहीं, दो नहीं, कई लोग संतान सप्तमी के दिन बच्चे की आस में विशेष दवा लेने आयुर्वेदाचार्य के घर पर पहुंचते हैं .

दवाई तैयार करते वैद्य चंद्रशेखर तिवारी
दवाई तैयार करते वैद्य चंद्रशेखर तिवारी

भोपाल के अयोध्या नगर स्थित वैद्य चंद्रशेखर तिवारी (Vaidya Chandrashekhar Tiwari) के निवास पर संतान सप्तमी के दिन विशेष शिविर लगता है, जिसमें निशुल्क आयुर्वेद की दवा निसंतान दंपतियों को पिलाई जाती है. दरअसल शास्त्रों में संतान सप्तमी का अपना महत्व है. इस दिन को संतान प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. भोपाल के वैद्य चंद्रशेखर तिवारी के अनुसार संतान सप्तमी के दिन विशेष मुहूर्त होता है, इस दिन उस मुहूर्त में दवा देने से निसंतान दंपतियों को भी संतान की प्राप्ति होती है. इसके लिए दंपत्ति को सुबह से उपवास रखना होता है और दिन भर दवा के अलावा कुछ नहीं खाना होता है. आयुर्वेदाचार्य चंद्रशेखर तिवारी बताते हैं कि शास्त्रों में आयुर्वेद का अपना महत्व है, ऐसे में जड़ी बूटियों के माध्यम से ही बड़े बड़े रोगों का निवारण होता है. शास्त्रों में बताया गया है कि दिन, समय और नक्षत्र में अगर सही काम किया जाए और दवा का सेवन किया जाए तो निश्चित ही उन लोगों को भी संतान की प्राप्ति होती है जिन्हें संतान नहीं होती.

संतान संप्तमी के दिन जड़ी-बूटियों के सेवन से फायदा

आयुर्वेदाचार्य का दावा है कि जड़ी बूटियों के माध्यम से संतान सप्तमी के दिन अब तक उन्होंने लाखों लोगों को दवा दी है. जिसमें से 95% लोगों को संतान की प्राप्ति हुई है. आयुर्वेदाचार्य तिवारी 21 सालों से नि:शुल्क सेवा करते आ रहे हैं. इनके अनुसार मौनी अमावस्या के दिन दवा देने से उन लोगों को काफी फायदा हुआ है जिनको आवाज की समस्या थी, वहीं शरद पूर्णिमा के दिन दी जाने वाली दवा से अस्थमा के रोगी भी ठीक हुए हैं.

मरीज को पिलाने के लिए तैयार की गई दवाई
मरीज को पिलाने के लिए तैयार की गई दवाई

शिविर में आते हैं हर वर्ग के लोग

आयुर्वेदाचार्य चंद्रशेखर तिवारी के इस शिविर में हिंदू ही नहीं मुस्लिम परिवार के लोग भी मौजूद थे, एक मुस्लिम परिवार ने बताया कि उनके घर 10 साल से कोई बच्चा नहीं है. ऐसे में उन्होंने अपने एक मित्र से इस शिविर के बारे में जानकारी हासिल की थी और पता चला था कि संतान सप्तमी के दिन दवा लेने से आने वाले समय में संतान की प्राप्ति होती है. इनके अनुसार इनके जो मित्र थे उनके भी संतान इसी केंद्र के माध्यम से हुई है.

हीरे से 'चमकी' मजदूर की किस्मत, खदान में मिला 40 लाख रुपए का हीरा

आयुर्वेदाचार्य चंद्रशेखर तिवारी ने कुछ लोगों के बारे में हमें जानकारी दी कि उनकी दवा से इनको फायदा हुआ है. ऐसे में हमने भी जब उनसे फोन लगाकर बात की तो साक्ष्य सामने आए. सरकारी नौकरी करने वाले सुधीर अर्जरिया ने बताया कि उन्हें कोई संतान नहीं थी. ऐसे में उन्होंने भी यहां से दवा ली और उनके घर में बेटी का जन्म हुआ. फोन पर हुई चर्चा में सुधीर ने बताया की शादी के कई साल बाद भी उनके घर बच्चा नहीं हुआ, तो संतान सप्तमी का व्रत करने और चंद्रशेखर तिवारी के यहां से दवा लेने के बाद उनके घर में बेटी का जन्म हुआ है. वहीं फौज में काम करने वाले मेजर सिंह ने बताया की उनके यहां भी संतान की समस्या थी. 40 की उम्र होने के बाद भी उनके परिवार में कोई संतान नहीं थी. संतान सप्तमी के दिन चंद्रशेखर तिवारी के यहां से दवा लेने के बाद उनके यहां भी संतान की प्राप्ति हुई.

मरीज को दवाई देते वैद्य चंद्रशेखर तिवारी
मरीज को दवाई देते वैद्य चंद्रशेखर तिवारी

क्यों मनाई जाती है संतान सप्तमी

संतान सप्तमी व्रत अपने बच्चों की लंबी उम्र और कल्याण के लिए मनाया जाता है. संतान सप्तमी व्रत मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा मनाया जाता है, लेकिन ये अक्सर माता और पिता दोनों द्वारा बच्चों की खुशी और सफलता के लिए मनाया जाता है. निसंतान दंपत्ति अगर इस व्रत को करते हैं तो उनके यहां संतान की प्राप्ति होती है. ये सप्तमी तिथि को मनाया जाता है, जो हिंदू कैलेंडर के भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की सातवीं तिथि होती है.

यह है पौराणिक कथा

ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने पांडु के सबसे बड़े पुत्र युधिष्ठिर को यह कथा सुनाई थी. उन्होंने बताया कि इस व्रत का महत्व ऋषि लोमेश ने अपने माता-पिता देवकी और वासुदेव को बताया था. राजा कंस ने उनके सात पुत्रों का वध कर दिया था जिससे वो गहरे दुख में थे. ऋषि ने उन्हें अपने दुख को दूर करने के लिए संतान सप्तमी व्रत का पालन करने की सलाह दी थी.

भोपाल। संतान सप्तमी का व्रत कर इस दिन आयुर्वेद (Ayurveda) की विशेष दवा लेने से संतान की प्राप्ति होती है. ऐसे दावे कई आयुर्वेदाचार्य (Ayurvedacharya) कर चुके हैं. भोपाल के आयुर्वेदाचार्य चंद्रशेखर तिवारी (Ayurvedacharya Chandrashekhar Tiwari) इस दिन विशेष मुहूर्त में लोगों को दवा देते हैं और इसका लाभ भी लोगों को हो रहा है. यहां भोपाल ही नहीं प्रदेश के साथ देश भर से निसंतान दंपत्ति आते हैं और दवा लेने के बाद जब संतान होती है, तो आयुर्वेदाचार्य को धन्यवाद देने भी आते हैं.

निसंतान दंपतियों के लिए आयुर्वेदाचार्य हर साल करते हैं शिविर का आयोजन

संतान प्राप्ति की आस में दूर-दूर से आते हैं लोग

रीवा से आए एक दंपति ने बताया की उनकी शादी को 16 साल हो चुके हैं लेकिन फिर भी घर में कोई संतान नहीं है. प्रदेश के कई बड़े अस्पतालों के चक्कर लगाने के बाद यह पहुंचे हैं. इस दौरान आयुर्वेदाचार्य चंद्रशेखर तिवारी ने इन्हें विशेष मुहूर्त में दवा पिलाई है, और यह उम्मीद है कि इसके माध्यम से इन्हें संतान सुख की प्राप्ति हो सकती है. ऐसे एक नहीं, दो नहीं, कई लोग संतान सप्तमी के दिन बच्चे की आस में विशेष दवा लेने आयुर्वेदाचार्य के घर पर पहुंचते हैं .

दवाई तैयार करते वैद्य चंद्रशेखर तिवारी
दवाई तैयार करते वैद्य चंद्रशेखर तिवारी

भोपाल के अयोध्या नगर स्थित वैद्य चंद्रशेखर तिवारी (Vaidya Chandrashekhar Tiwari) के निवास पर संतान सप्तमी के दिन विशेष शिविर लगता है, जिसमें निशुल्क आयुर्वेद की दवा निसंतान दंपतियों को पिलाई जाती है. दरअसल शास्त्रों में संतान सप्तमी का अपना महत्व है. इस दिन को संतान प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. भोपाल के वैद्य चंद्रशेखर तिवारी के अनुसार संतान सप्तमी के दिन विशेष मुहूर्त होता है, इस दिन उस मुहूर्त में दवा देने से निसंतान दंपतियों को भी संतान की प्राप्ति होती है. इसके लिए दंपत्ति को सुबह से उपवास रखना होता है और दिन भर दवा के अलावा कुछ नहीं खाना होता है. आयुर्वेदाचार्य चंद्रशेखर तिवारी बताते हैं कि शास्त्रों में आयुर्वेद का अपना महत्व है, ऐसे में जड़ी बूटियों के माध्यम से ही बड़े बड़े रोगों का निवारण होता है. शास्त्रों में बताया गया है कि दिन, समय और नक्षत्र में अगर सही काम किया जाए और दवा का सेवन किया जाए तो निश्चित ही उन लोगों को भी संतान की प्राप्ति होती है जिन्हें संतान नहीं होती.

संतान संप्तमी के दिन जड़ी-बूटियों के सेवन से फायदा

आयुर्वेदाचार्य का दावा है कि जड़ी बूटियों के माध्यम से संतान सप्तमी के दिन अब तक उन्होंने लाखों लोगों को दवा दी है. जिसमें से 95% लोगों को संतान की प्राप्ति हुई है. आयुर्वेदाचार्य तिवारी 21 सालों से नि:शुल्क सेवा करते आ रहे हैं. इनके अनुसार मौनी अमावस्या के दिन दवा देने से उन लोगों को काफी फायदा हुआ है जिनको आवाज की समस्या थी, वहीं शरद पूर्णिमा के दिन दी जाने वाली दवा से अस्थमा के रोगी भी ठीक हुए हैं.

मरीज को पिलाने के लिए तैयार की गई दवाई
मरीज को पिलाने के लिए तैयार की गई दवाई

शिविर में आते हैं हर वर्ग के लोग

आयुर्वेदाचार्य चंद्रशेखर तिवारी के इस शिविर में हिंदू ही नहीं मुस्लिम परिवार के लोग भी मौजूद थे, एक मुस्लिम परिवार ने बताया कि उनके घर 10 साल से कोई बच्चा नहीं है. ऐसे में उन्होंने अपने एक मित्र से इस शिविर के बारे में जानकारी हासिल की थी और पता चला था कि संतान सप्तमी के दिन दवा लेने से आने वाले समय में संतान की प्राप्ति होती है. इनके अनुसार इनके जो मित्र थे उनके भी संतान इसी केंद्र के माध्यम से हुई है.

हीरे से 'चमकी' मजदूर की किस्मत, खदान में मिला 40 लाख रुपए का हीरा

आयुर्वेदाचार्य चंद्रशेखर तिवारी ने कुछ लोगों के बारे में हमें जानकारी दी कि उनकी दवा से इनको फायदा हुआ है. ऐसे में हमने भी जब उनसे फोन लगाकर बात की तो साक्ष्य सामने आए. सरकारी नौकरी करने वाले सुधीर अर्जरिया ने बताया कि उन्हें कोई संतान नहीं थी. ऐसे में उन्होंने भी यहां से दवा ली और उनके घर में बेटी का जन्म हुआ. फोन पर हुई चर्चा में सुधीर ने बताया की शादी के कई साल बाद भी उनके घर बच्चा नहीं हुआ, तो संतान सप्तमी का व्रत करने और चंद्रशेखर तिवारी के यहां से दवा लेने के बाद उनके घर में बेटी का जन्म हुआ है. वहीं फौज में काम करने वाले मेजर सिंह ने बताया की उनके यहां भी संतान की समस्या थी. 40 की उम्र होने के बाद भी उनके परिवार में कोई संतान नहीं थी. संतान सप्तमी के दिन चंद्रशेखर तिवारी के यहां से दवा लेने के बाद उनके यहां भी संतान की प्राप्ति हुई.

मरीज को दवाई देते वैद्य चंद्रशेखर तिवारी
मरीज को दवाई देते वैद्य चंद्रशेखर तिवारी

क्यों मनाई जाती है संतान सप्तमी

संतान सप्तमी व्रत अपने बच्चों की लंबी उम्र और कल्याण के लिए मनाया जाता है. संतान सप्तमी व्रत मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा मनाया जाता है, लेकिन ये अक्सर माता और पिता दोनों द्वारा बच्चों की खुशी और सफलता के लिए मनाया जाता है. निसंतान दंपत्ति अगर इस व्रत को करते हैं तो उनके यहां संतान की प्राप्ति होती है. ये सप्तमी तिथि को मनाया जाता है, जो हिंदू कैलेंडर के भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की सातवीं तिथि होती है.

यह है पौराणिक कथा

ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने पांडु के सबसे बड़े पुत्र युधिष्ठिर को यह कथा सुनाई थी. उन्होंने बताया कि इस व्रत का महत्व ऋषि लोमेश ने अपने माता-पिता देवकी और वासुदेव को बताया था. राजा कंस ने उनके सात पुत्रों का वध कर दिया था जिससे वो गहरे दुख में थे. ऋषि ने उन्हें अपने दुख को दूर करने के लिए संतान सप्तमी व्रत का पालन करने की सलाह दी थी.

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