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मैं शिवराज मामा से बहुत गुस्सा हूं, आपने कला की चोरी की है, ETV भारत से खास बातचीत में बोलीं भूमिका बिरथरे

भोपाल की एक कवयित्री भूमिका बिरथरे ने प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान पर उनकी कविता चोरी करने का आरोप लगाया है, ईटीवी भारत से खास चर्चा में भूमिका ने कहा कि ''मैं मामा शिवराज से बहुत नाराज हूं, क्योंकि उन्होंने कला की चोरी की है. मैं उनसे कुछ नहीं चाहती हूं मैं सिर्फ इतना चाहती हूं कि मेरी कविता का क्रेडिट मुझे दिया जाए.''

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Published : Dec 1, 2020, 10:40 PM IST

Updated : Dec 1, 2020, 11:11 PM IST

Bhoomika, CM Shivraj
भूमिका , सीएम शिवराज

भोपाल। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा भूमिका बिरथरे की कविता अपनी पत्नी साधना सिंह की कविता बताकर शेयर करने के मामले में ईटीवी भारत से भूमिका बिरथरे ने खास बातचीत की है. खास बातचीत में उन्होंने बताया है कि यह घटना उनके लिए भावनात्मक चोट है, क्योंकि जो उन्होंने कविता लिखी थी, वह उनके पिता के निधन पर लिखी थी और वह पिता की काफी करीब थी और उनकी अंत्येष्टि में भी शामिल हुई थीं.

भूमिका का कहना है कि मैं मामा शिवराज से बहुत नाराज हूं, क्योंकि उन्होंने कला की चोरी की है. मैं उनसे कुछ नहीं चाहती हूं मैं सिर्फ इतना चाहती हूं कि मेरी कविता की क्रेडिट मुझे दिया जाए. भूमिका बिरथरे ने बताया कि उनके द्वारा यह खुलासा किए जाने के बाद की यह कविता उनकी है, उन्हें कुछ धमकी भरे फोन कॉल आ रहे हैं. लेकिन मामा शिवराज के रहते मुझे किसी तरह का डर नहीं है. मैं मामा से कुछ नहीं चाहती हूं, सिर्फ यह चाहती हूं कि मेरी कविता पर वह मुझे क्रेडिट दें और मैं इतना कहूंगी कि मुझे डराइएगा मत, मैं आप ही की बेटी हूं.

भूमिका बिरथरे की ईटीवी भारत से खास चर्चा
इस कविता को कोई अपना कहे, मेरे लिए भावनात्मक चोट

ईटवी भारत से खास बातचीत में भूमिका बिरथरे कहती हैं कि ''आपके लिए यह मामला गंभीर हो सकता है, पर मेरे लिए एक भावनात्मक चोट थी, क्योंकि वह सिर्फ एक कविता नहीं थी, मुझे उस कविता से नाम नहीं चाहिए था. ना मुझे लेखक संघ में कोई बड़ा नाम चाहिए था. मैंने कविता में वह कुछ लिखा, जो मुझ पर उन दिनों बीता है, जो लोग मुझे करीब से जानते हैं, मैं फेसबुक पर थोड़ी पॉपुलर हूं. 16 तारीख को मेरे पिता का देहांत हो गया था. मेरा भाई अमेरिका में रहता है, तो डेढ़ दिन तक हम लोगों ने इंतजार किया.

CM Shivraj Singh Chauhan stealing her poetry
भूमिका की कविता दो फेसबुक पर पोस्ट की गई

18 नवंबर को जब मेरा भाई आया, तब हम लोगों ने उनकी अंत्येष्टि की, मैं अपने पिता के बहुत नजदीक थी, क्योंकि एक तो मेरे पिताजी बहुत अच्छी स्थिति में थे, वह बीमार नहीं थे. मैं जिस चीज से दुखी होती हूं, उसे हमेशा शब्दों में लिखती हूं. मैंने कितनी कविताएं लिखी हैं, आप अलग-अलग सोशल साइट्स पर देख सकते हैं. मैंने सिर्फ लिखा नहीं है कि "जिस के कंधों पर खेला करती थी, उसे कंधा देकर आई हूं" मैंने वह कंधा दिया है, मैं अपने पिता की अंत्येष्टि में गई हूं. उनको कपूर लगाया, उनके माथे को चूमा है, सिर पर घी लगाया है, उन्हें अग्नि दी है, यह भावनाएं जो हैं, मैंने यूं ही नहीं लिख दी थी.''

पढ़ेंः पत्नी की कविता शेयर कर बुरे फंसे शिवराज, 'सबूत' के साथ युवती ने कविता पर बताया अपना 'कॉपीराइट'

पिता के निधन के बाद की भावनाएं, वो मुझे मजबूत देखना चाहते थे

भूमिका बिरथरे बताती हैं कि ''मैंने यह कविता 20 नवंबर को लिखी, मैं आई फोन का उपयोग करती हूं, उसमें एक नोटपैड होता है. तकनीक इतनी अच्छी है कि हमें पता होता है कि कितने बजे कितनी तारीख को हमने क्या लिखा है. तो मैंने 20 तारीख को करीब 2.30 बजे कविता लिखी थी, मैं काफी रोई, क्योंकि उन शब्दों से भावनाएं व्यक्त हो रही थीं, फिर मैंने उसे अपने फैमिली ग्रुप रॉकिंग बिरथरे में शेयर किया.

मैंने अपने कुछ बेस्ट फ्रेंड्स को भी वह कविता भेजीं. उसके बाद मैं बहुत रोई हूं. मैंने उसमें एक लाइन लिखी है कि " जब ले जा रही थी, तो समुंदर था आंखों में, जब लौटी हूं, तो सारा समुंदर पी कर आई हूं. "क्योंकि मेरे पिता मुझे कभी रोते हुए नहीं देखना चाहते थे. उसके बाद 21 नवंबर को मैंने यह कविता फेसबुक पर शेयर की, क्योंकि मेरे बहुत चाहने वाले हैं. उन्हें चिंता थी कि मैं अब कैसा महसूस कर रही हूं, तो उस कविता से मैंने उन सबको यही बताया कि मैं जब जा रही थी, तो रो रही थी, जब लौटी हूं तो मजबूत बनकर लौटी हूं, क्योंकि मेरे पिताजी मुझे मजबूत देखना चाहते थे.''



मुख्यमंत्री ने अपनी धर्मपत्नी की कविता बताकर ठेस पहुंचाई

''मैं ब्राह्मण लड़की हूं, हिंदू धर्म का हमारे यहां पालन होता है. त्रयोदशी तक अपने घर विदिशा में थी, मैं जब त्रयोदशी के बाद कल वापस आई, तो मुझे व्हाट्सएप पर एक मैसेज आया कि साधना सिंह जो मुख्यमंत्री की पत्नी हैं, वह मेरी कविता शेयर कर रही हैं और कहीं ना कहीं उसे उनके द्वारा लिखी कविता बता रही हैं, मैंने स्माइली के साथ बोला कि कोई तो उनको बता दे कि यह कविता मेरी है, उसको अपना तो ना बोलें. मैंने उसे सामान्य तौर पर लिया, क्योंकि मैं प्रोपेगेंडा वाली लड़की नहीं हूं. पर उसके बाद मुझे कुछ लोगों के फोन आए और स्क्रीनशॉट लोगों ने भेजे. जब मैंने यह देखा कि इसे इस तरह ट्वीट किया गया है कि मेरी धर्मपत्नी ने लिखी है, तो वह मेरे लिए ठेस थी. यह सिर्फ सामान्य कविता नहीं है.

CM Shivraj Singh Chauhan stealing her poetry
सीएम शिवराज का ट्ववीट

मैं मेरे मामा से गुस्सा हूं, आपने कला की चोरी की है

''एक कवयित्री की कविता उसके बच्चे के समान होती है, आप उसके बच्चे को प्यार करो, लेकिन उसे अपना मत बोलो, आप उसे अपना नाम नहीं दे सकते हैं, यह गलत है. वह तो रिश्ते में मेरी मामी हैं, क्योंकि शिवराज सिंह तो हमारे मामा हैं. निजी तौर पर मैं उन्हें पसंद करती हूं, मैं जब इवेंट्स करती हूं और वह अतिथि हुआ करते थे, तो मुझे उनके साथ सेल्फी लेने का क्रेज रहता था. मैं बहुत खुश हूं कि वह फिर से मुख्यमंत्री बने हैं, पर मैं मेरे मामा से गुस्सा हूं कि आपने कला की चोरी की है. एक कलाकार के लिए कला ही सब कुछ होती है, मैंने सोचा था कि मैं एक किताब लिखूंगी, उसमें पिता का जिक्र जरूर होगा. वह मेरे बाहुबली थे, वह मेरी रीड की हड्डी थे. उस किताब की शुरुआत उसी कविता से करूंगी. आप उस कविता को अपना बोल रहे हो, इस बात ने मुझे आघात किया है.''

मुख्यमंत्री की चुप्पी ही बताती है कि आपने सच स्वीकार लिया

''पता नहीं कभी-कभी मुझे लगता है कि जब आप चुप रहते हो, तो आप स्वीकार कर रहे हो कि मैं जो बोल रही हूं, वह सही बोल रही हूं, क्योंकि आपने जब लिखा, तो मैंने बोला कि आप सच नहीं बोल रहे हो, क्योंकि सच में अजीब सी खुजली होती है, वह बाहर आना चाहता है. झूठ की फितरत होती है, वह छुप जाता है. सच की फितरत ऐसी नहीं होती है, तो मैंने तो अपनी फितरत बता दी है. सच बोलती हूं, सच लिखती हूं. बस यही बोलना चाहती हूं कि मामा जी कविता तो मेरी है, आप बोलिए कि वह मेरी है. इसके अलावा मेरी कोई अपेक्षा नहीं है, मुझे आपसे मेरे प्रदेश से बहुत प्यार है. मेरा कोई उद्देश्य नहीं है, कुछ धमकी भरे फोन आ रहे हैं, मैं तो आपकी बेटी हूं, आप की भांजी को कैसे आपके रहते कोई कुछ कह सकता है.''

मुख्यमंत्री की चुप्पी ही बताती है कि आपने सच स्वीकार लिया

मुझे डराइएगा मत, मैं आपकी बेटी हूं

भूमिका अंत में कहती हैं, ''मैं 12 साल से भोपाल में अकेली ही रह रही हूं. इसका सारा क्रेडिट मुख्यमंत्री को ही दूंगी. मैं बहुत सुरक्षित महसूस करती हूं, कभी मुझे ऐसा नहीं लगा कि भोपाल सुरक्षित नहीं है. मैं भोपाल में ही मरना चाहती हूं, मुझे मेरी राजधानी इतनी पसंद है, ऐसा डर मुझे नहीं है कि मामा जी कुछ मेरे से गलत करेंगे. मैं उनकी बिटिया हूं, बस इतना डर है कि पावर का दुरुपयोग ना हो, इस आवाज को दबाइए मत, मैं कुछ मांग नहीं रही हूं, बस इतना मांग रही हूं कि मेरी कविता का क्रेडिट मुझे दीजिए, मुझे कुछ नहीं चाहिए बाकी मुझे डराइएगा मत, मैं आपकी बेटी हूं.'

भूमिका बिरथरे की ईटीवी भारत से खास चर्चा

भोपाल। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा भूमिका बिरथरे की कविता अपनी पत्नी साधना सिंह की कविता बताकर शेयर करने के मामले में ईटीवी भारत से भूमिका बिरथरे ने खास बातचीत की है. खास बातचीत में उन्होंने बताया है कि यह घटना उनके लिए भावनात्मक चोट है, क्योंकि जो उन्होंने कविता लिखी थी, वह उनके पिता के निधन पर लिखी थी और वह पिता की काफी करीब थी और उनकी अंत्येष्टि में भी शामिल हुई थीं.

भूमिका का कहना है कि मैं मामा शिवराज से बहुत नाराज हूं, क्योंकि उन्होंने कला की चोरी की है. मैं उनसे कुछ नहीं चाहती हूं मैं सिर्फ इतना चाहती हूं कि मेरी कविता की क्रेडिट मुझे दिया जाए. भूमिका बिरथरे ने बताया कि उनके द्वारा यह खुलासा किए जाने के बाद की यह कविता उनकी है, उन्हें कुछ धमकी भरे फोन कॉल आ रहे हैं. लेकिन मामा शिवराज के रहते मुझे किसी तरह का डर नहीं है. मैं मामा से कुछ नहीं चाहती हूं, सिर्फ यह चाहती हूं कि मेरी कविता पर वह मुझे क्रेडिट दें और मैं इतना कहूंगी कि मुझे डराइएगा मत, मैं आप ही की बेटी हूं.

भूमिका बिरथरे की ईटीवी भारत से खास चर्चा
इस कविता को कोई अपना कहे, मेरे लिए भावनात्मक चोट

ईटवी भारत से खास बातचीत में भूमिका बिरथरे कहती हैं कि ''आपके लिए यह मामला गंभीर हो सकता है, पर मेरे लिए एक भावनात्मक चोट थी, क्योंकि वह सिर्फ एक कविता नहीं थी, मुझे उस कविता से नाम नहीं चाहिए था. ना मुझे लेखक संघ में कोई बड़ा नाम चाहिए था. मैंने कविता में वह कुछ लिखा, जो मुझ पर उन दिनों बीता है, जो लोग मुझे करीब से जानते हैं, मैं फेसबुक पर थोड़ी पॉपुलर हूं. 16 तारीख को मेरे पिता का देहांत हो गया था. मेरा भाई अमेरिका में रहता है, तो डेढ़ दिन तक हम लोगों ने इंतजार किया.

CM Shivraj Singh Chauhan stealing her poetry
भूमिका की कविता दो फेसबुक पर पोस्ट की गई

18 नवंबर को जब मेरा भाई आया, तब हम लोगों ने उनकी अंत्येष्टि की, मैं अपने पिता के बहुत नजदीक थी, क्योंकि एक तो मेरे पिताजी बहुत अच्छी स्थिति में थे, वह बीमार नहीं थे. मैं जिस चीज से दुखी होती हूं, उसे हमेशा शब्दों में लिखती हूं. मैंने कितनी कविताएं लिखी हैं, आप अलग-अलग सोशल साइट्स पर देख सकते हैं. मैंने सिर्फ लिखा नहीं है कि "जिस के कंधों पर खेला करती थी, उसे कंधा देकर आई हूं" मैंने वह कंधा दिया है, मैं अपने पिता की अंत्येष्टि में गई हूं. उनको कपूर लगाया, उनके माथे को चूमा है, सिर पर घी लगाया है, उन्हें अग्नि दी है, यह भावनाएं जो हैं, मैंने यूं ही नहीं लिख दी थी.''

पढ़ेंः पत्नी की कविता शेयर कर बुरे फंसे शिवराज, 'सबूत' के साथ युवती ने कविता पर बताया अपना 'कॉपीराइट'

पिता के निधन के बाद की भावनाएं, वो मुझे मजबूत देखना चाहते थे

भूमिका बिरथरे बताती हैं कि ''मैंने यह कविता 20 नवंबर को लिखी, मैं आई फोन का उपयोग करती हूं, उसमें एक नोटपैड होता है. तकनीक इतनी अच्छी है कि हमें पता होता है कि कितने बजे कितनी तारीख को हमने क्या लिखा है. तो मैंने 20 तारीख को करीब 2.30 बजे कविता लिखी थी, मैं काफी रोई, क्योंकि उन शब्दों से भावनाएं व्यक्त हो रही थीं, फिर मैंने उसे अपने फैमिली ग्रुप रॉकिंग बिरथरे में शेयर किया.

मैंने अपने कुछ बेस्ट फ्रेंड्स को भी वह कविता भेजीं. उसके बाद मैं बहुत रोई हूं. मैंने उसमें एक लाइन लिखी है कि " जब ले जा रही थी, तो समुंदर था आंखों में, जब लौटी हूं, तो सारा समुंदर पी कर आई हूं. "क्योंकि मेरे पिता मुझे कभी रोते हुए नहीं देखना चाहते थे. उसके बाद 21 नवंबर को मैंने यह कविता फेसबुक पर शेयर की, क्योंकि मेरे बहुत चाहने वाले हैं. उन्हें चिंता थी कि मैं अब कैसा महसूस कर रही हूं, तो उस कविता से मैंने उन सबको यही बताया कि मैं जब जा रही थी, तो रो रही थी, जब लौटी हूं तो मजबूत बनकर लौटी हूं, क्योंकि मेरे पिताजी मुझे मजबूत देखना चाहते थे.''



मुख्यमंत्री ने अपनी धर्मपत्नी की कविता बताकर ठेस पहुंचाई

''मैं ब्राह्मण लड़की हूं, हिंदू धर्म का हमारे यहां पालन होता है. त्रयोदशी तक अपने घर विदिशा में थी, मैं जब त्रयोदशी के बाद कल वापस आई, तो मुझे व्हाट्सएप पर एक मैसेज आया कि साधना सिंह जो मुख्यमंत्री की पत्नी हैं, वह मेरी कविता शेयर कर रही हैं और कहीं ना कहीं उसे उनके द्वारा लिखी कविता बता रही हैं, मैंने स्माइली के साथ बोला कि कोई तो उनको बता दे कि यह कविता मेरी है, उसको अपना तो ना बोलें. मैंने उसे सामान्य तौर पर लिया, क्योंकि मैं प्रोपेगेंडा वाली लड़की नहीं हूं. पर उसके बाद मुझे कुछ लोगों के फोन आए और स्क्रीनशॉट लोगों ने भेजे. जब मैंने यह देखा कि इसे इस तरह ट्वीट किया गया है कि मेरी धर्मपत्नी ने लिखी है, तो वह मेरे लिए ठेस थी. यह सिर्फ सामान्य कविता नहीं है.

CM Shivraj Singh Chauhan stealing her poetry
सीएम शिवराज का ट्ववीट

मैं मेरे मामा से गुस्सा हूं, आपने कला की चोरी की है

''एक कवयित्री की कविता उसके बच्चे के समान होती है, आप उसके बच्चे को प्यार करो, लेकिन उसे अपना मत बोलो, आप उसे अपना नाम नहीं दे सकते हैं, यह गलत है. वह तो रिश्ते में मेरी मामी हैं, क्योंकि शिवराज सिंह तो हमारे मामा हैं. निजी तौर पर मैं उन्हें पसंद करती हूं, मैं जब इवेंट्स करती हूं और वह अतिथि हुआ करते थे, तो मुझे उनके साथ सेल्फी लेने का क्रेज रहता था. मैं बहुत खुश हूं कि वह फिर से मुख्यमंत्री बने हैं, पर मैं मेरे मामा से गुस्सा हूं कि आपने कला की चोरी की है. एक कलाकार के लिए कला ही सब कुछ होती है, मैंने सोचा था कि मैं एक किताब लिखूंगी, उसमें पिता का जिक्र जरूर होगा. वह मेरे बाहुबली थे, वह मेरी रीड की हड्डी थे. उस किताब की शुरुआत उसी कविता से करूंगी. आप उस कविता को अपना बोल रहे हो, इस बात ने मुझे आघात किया है.''

मुख्यमंत्री की चुप्पी ही बताती है कि आपने सच स्वीकार लिया

''पता नहीं कभी-कभी मुझे लगता है कि जब आप चुप रहते हो, तो आप स्वीकार कर रहे हो कि मैं जो बोल रही हूं, वह सही बोल रही हूं, क्योंकि आपने जब लिखा, तो मैंने बोला कि आप सच नहीं बोल रहे हो, क्योंकि सच में अजीब सी खुजली होती है, वह बाहर आना चाहता है. झूठ की फितरत होती है, वह छुप जाता है. सच की फितरत ऐसी नहीं होती है, तो मैंने तो अपनी फितरत बता दी है. सच बोलती हूं, सच लिखती हूं. बस यही बोलना चाहती हूं कि मामा जी कविता तो मेरी है, आप बोलिए कि वह मेरी है. इसके अलावा मेरी कोई अपेक्षा नहीं है, मुझे आपसे मेरे प्रदेश से बहुत प्यार है. मेरा कोई उद्देश्य नहीं है, कुछ धमकी भरे फोन आ रहे हैं, मैं तो आपकी बेटी हूं, आप की भांजी को कैसे आपके रहते कोई कुछ कह सकता है.''

मुख्यमंत्री की चुप्पी ही बताती है कि आपने सच स्वीकार लिया

मुझे डराइएगा मत, मैं आपकी बेटी हूं

भूमिका अंत में कहती हैं, ''मैं 12 साल से भोपाल में अकेली ही रह रही हूं. इसका सारा क्रेडिट मुख्यमंत्री को ही दूंगी. मैं बहुत सुरक्षित महसूस करती हूं, कभी मुझे ऐसा नहीं लगा कि भोपाल सुरक्षित नहीं है. मैं भोपाल में ही मरना चाहती हूं, मुझे मेरी राजधानी इतनी पसंद है, ऐसा डर मुझे नहीं है कि मामा जी कुछ मेरे से गलत करेंगे. मैं उनकी बिटिया हूं, बस इतना डर है कि पावर का दुरुपयोग ना हो, इस आवाज को दबाइए मत, मैं कुछ मांग नहीं रही हूं, बस इतना मांग रही हूं कि मेरी कविता का क्रेडिट मुझे दीजिए, मुझे कुछ नहीं चाहिए बाकी मुझे डराइएगा मत, मैं आपकी बेटी हूं.'

भूमिका बिरथरे की ईटीवी भारत से खास चर्चा
Last Updated : Dec 1, 2020, 11:11 PM IST
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