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पटेल यूं ही नहीं कहे जाते थे 'सरदार' - ऑपरेशन पोलो

दोस्तों के बार-बार कहने पर सरदार वल्लभभाई पटेल ने राजनीति में कदम रखा था. 1917 में वह अहमदाबाद के स्वच्छता विभाग के अधिकारी चुने गए. अगले साल वह एक वोट से चुनाव हार गए थे. उसके बाद वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए. जानें क्यों पटेल को देशवासियों ने सरदार कहा...

Sardar Patel
पटेल यूं ही नहीं कहे जाते थे 'सरदार'
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Published : Jan 26, 2021, 11:29 AM IST

Updated : Jan 26, 2021, 12:01 PM IST

राजनीतिक एकीकरण में निर्णायक भूमिका

आजादी के समय देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती देसी रियासतों की थी. भारतीय राष्ट्रवादियों और आम नागरिकों को डर था कि अगर रियासतों का नवगठित गणतंत्र में विलय नहीं हुआ, तो भारत कई टुकड़ों में बंट जाएगा. तब सरदार पटेल ने जो भूमिका निभाई, उसे देखकर पूरी दुनिया दंग रह गई. उन्होंने एक-एककर सभी रियासतों को भारत में शामिल होने के लिए राजी कर लिया. कुछ जगहों पर विरोध देखने को भी मिला. ऐसी स्थिति में सरदार ने सख्ती बरतने में भी कोई कोताही नहीं बरती. सरदार ने 6 मई, 1947 से रियासतों के शासकों के साथ बातचीत शुरू की थी. रियासत के प्रतिनिधियों को पटेल ने बताया कि कांग्रेस और उनकी रियासत के बीच कोई फर्क नहीं है. जम्मू-कश्मीर, जूनागढ़ और हैदराबाद के शासकों ने उनका प्रस्ताव ठुकरा दिया था. पटेल ने जूनागढ़ और हैदराबाद में सेना को भेज दिया, तब जाकर वे हस्ताक्षर करने के लिए तैयार हुए.

पटेल यूं ही नहीं कहे जाते थे 'सरदार'

सरदार को बनना था प्रधानमंत्री

सरदार पटेल ने 1946 में कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नेहरू के पक्ष में अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली थी. गांधी ने 16 राज्यों के कांग्रेस प्रतिनिधियों को एक उपयुक्त उम्मीदवार का चुनाव करने के लिए कहा था, तो उनमें से 13 ने सरदार का नाम सुझाया था. फिर भी गांधीजी की इच्छा का सम्मान करते हुए, सरदार ने भारत के पहले प्रधान मंत्री बनने का अवसर छोड़ दिया और गृह मंत्री के रूप में उन्होंने केंद्रीय प्रशासन के तहत भारत को एकीकृत करने में भूमिका निभाते रहे. केवल जम्मू और कश्मीर का एकीकरण नेहरू के कारण नहीं हो सका. नेहरू के कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने के बाद, सरदार ने भारत के संविधान सभा के आम चुनाव के लिए कांग्रेस का मार्गदर्शन करना शुरू किया.

सरदार ने हैदराबाद के निजाम को हटाने के लिए ऑपरेशन पोलो शुरू किया था. 1948 का ऑपरेशन पोलो एक गुप्त ऑपरेशन था. ऑपरेशन के द्वारा निजाम उस्मान अली खान पर शिकंजा कसा गया. इसके बाद हैदराबाद को भारत में एकीकृत कर दिया गया.

इस प्रकार, भारत को स्वतंत्र बनाने में सरदार पटेल ने बड़ी भूमिका निभाई. उन्होंने किसानों के लिए भी बड़ा काम किया था. उसके लिए उन्हें 'सरदार' की उपाधि दी गई थी. सरदार ने भारत की स्वतंत्रता और एकीकरण के लिए कड़ी मेहनत की थी.

राजनीतिक एकीकरण में निर्णायक भूमिका

आजादी के समय देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती देसी रियासतों की थी. भारतीय राष्ट्रवादियों और आम नागरिकों को डर था कि अगर रियासतों का नवगठित गणतंत्र में विलय नहीं हुआ, तो भारत कई टुकड़ों में बंट जाएगा. तब सरदार पटेल ने जो भूमिका निभाई, उसे देखकर पूरी दुनिया दंग रह गई. उन्होंने एक-एककर सभी रियासतों को भारत में शामिल होने के लिए राजी कर लिया. कुछ जगहों पर विरोध देखने को भी मिला. ऐसी स्थिति में सरदार ने सख्ती बरतने में भी कोई कोताही नहीं बरती. सरदार ने 6 मई, 1947 से रियासतों के शासकों के साथ बातचीत शुरू की थी. रियासत के प्रतिनिधियों को पटेल ने बताया कि कांग्रेस और उनकी रियासत के बीच कोई फर्क नहीं है. जम्मू-कश्मीर, जूनागढ़ और हैदराबाद के शासकों ने उनका प्रस्ताव ठुकरा दिया था. पटेल ने जूनागढ़ और हैदराबाद में सेना को भेज दिया, तब जाकर वे हस्ताक्षर करने के लिए तैयार हुए.

पटेल यूं ही नहीं कहे जाते थे 'सरदार'

सरदार को बनना था प्रधानमंत्री

सरदार पटेल ने 1946 में कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नेहरू के पक्ष में अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली थी. गांधी ने 16 राज्यों के कांग्रेस प्रतिनिधियों को एक उपयुक्त उम्मीदवार का चुनाव करने के लिए कहा था, तो उनमें से 13 ने सरदार का नाम सुझाया था. फिर भी गांधीजी की इच्छा का सम्मान करते हुए, सरदार ने भारत के पहले प्रधान मंत्री बनने का अवसर छोड़ दिया और गृह मंत्री के रूप में उन्होंने केंद्रीय प्रशासन के तहत भारत को एकीकृत करने में भूमिका निभाते रहे. केवल जम्मू और कश्मीर का एकीकरण नेहरू के कारण नहीं हो सका. नेहरू के कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने के बाद, सरदार ने भारत के संविधान सभा के आम चुनाव के लिए कांग्रेस का मार्गदर्शन करना शुरू किया.

सरदार ने हैदराबाद के निजाम को हटाने के लिए ऑपरेशन पोलो शुरू किया था. 1948 का ऑपरेशन पोलो एक गुप्त ऑपरेशन था. ऑपरेशन के द्वारा निजाम उस्मान अली खान पर शिकंजा कसा गया. इसके बाद हैदराबाद को भारत में एकीकृत कर दिया गया.

इस प्रकार, भारत को स्वतंत्र बनाने में सरदार पटेल ने बड़ी भूमिका निभाई. उन्होंने किसानों के लिए भी बड़ा काम किया था. उसके लिए उन्हें 'सरदार' की उपाधि दी गई थी. सरदार ने भारत की स्वतंत्रता और एकीकरण के लिए कड़ी मेहनत की थी.

Last Updated : Jan 26, 2021, 12:01 PM IST
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