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स्कूल शिक्षा मंत्री से ईटीवी भारत की खास बातचीत, प्राइवेट स्कूलों की मनमानी को लेकर कही ये बात

स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने ईटीवी भारत से की खास बातचीत. इस दौरान उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा इस संबंध में सभी कलेक्टरों को आदेश जारी कर दिए गए हैं. अगर स्कूल संचालक मनमानी कर ज्यादा फीस वसूलते हैं तो उन पर कार्रवाई होगी.

School Education Minister Inder Singh Parmar
स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार
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Published : Sep 7, 2020, 5:01 PM IST

भोपाल। कोरोना संक्रमण के दौरान ज्यादा फीस वसूलने वाले प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार (School Education Minister Inder Singh Parmar) के मुताबिक हाईकोर्ट के आदेश के बाद स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा इस संबंध में सभी कलेक्टरों को आदेश जारी कर दिए गए हैं. मंत्री इंदर सिंह परमार का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक कोरोना काल में जब तक स्कूल बंद हैं तब तक स्कूल केवल शिक्षण शुल्क ही ले सकते हैं. अगर स्कूल संचालक मनमानी कर ज्यादा फीस वसूलते हैं तो उन पर कार्रवाई होगी.

ईटीवी भारत से खास बातचीत

स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कई प्राइवेट स्कूलों द्वारा टीचर्स को 15 दिन की सैलरी दिए जाने और नौकरी से निकालने के सवाल पर कहा कि अगर ऐसा है तो शिक्षकों को उनके लिए बनाए गए प्लेटफॉर्म पर शिकायत करनी होगी. क्योंकि इन स्कूलों पर श्रम कानून (Labor Law) लागू होता है. इसलिए उनको उसी जगह शिकायत करनी होगी कलेक्टर के माध्यम से. शिकायत मिलने कार्रवाई की जाएगी.

फीस रेगुलेशन एक्ट लागू करने पर जोर

फीस रेगुलेशन एक्ट (Fee regulation act) 2017 में लागू हुआ था, फिर भी अभी तक प्राइवेट स्कूलों की मनमानी जारी है. इस सवाल पर मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि फीस रेगुलेशन एक्ट 2017 में पास हुआ था, क्योंकि इसके नियम बना कर लागू करने में 6-7 महीने लग जाता है. चूंकि 2018 में विधानसभा चुनाव (Assembly elections) आ गए और कांग्रेस की सरकार बन गई. उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि क्योंकि कमलनाथ की सरकार नहीं चाहती थी की बच्चों और उनके अभिभावकों का फायदा हो, इसलिए फीस रेगुलेशन एक्ट को लागू ही नहीं किया. अब जब शिवराज सरकार फिर से सत्ता में है तो इस पर काम किया जा रहा है.

सरकारी स्कूलों में व्यवस्था को दुरुस्त करने की जरूरत

कोरोना काल में सरकार सबसे ज्यादा डिजिटल एजुकेशन (Digital education) पर जोर दे रही है, लेकिन सरकारी स्कूलों में जो इंफ्राटक्चर (Infrastructure) है उसमें कमी देखी जा रही है. इस पर मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा की वास्तव में यह सरकार की कमी है. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जो स्कूल हैं, जहां 50 प्रतिशत से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं. उन स्कूलों में कई सुविधाएं नहीं हैं जो होनी चाहिए थीं. ऐसे में हम उन स्कूलों की समीक्षा करा रहे हैं, जिन स्कूलों में कमियां पाई जा रही हैं. इसलिए माध्यमिक शिक्षा मंडल(Board of Secondary Education) द्वारा जारी ऑनलाइन एजुकेशन की व्यवस्था को निरस्त किया है, क्योंकि हम उन 50 प्रतिशत बच्चों को शिक्षा से वंचित नहीं रख सकते हैं.

छात्रों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए आधा किया कोर्स

स्कूल शिक्षा मंत्री का कहना है कि कोरोना काल में छात्रों का नुकसान ना हो इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) से चर्चा करके कोई ना कोई हल निकालने की कोशिश करेंगे. सरकार की कोशिश रहेगी किसी अन्य विकल्प से स्कूलों में पढ़ाई को सुचारू रूप से जारी रखा जा सके. वहीं कोविड को देखते हुए 9वीं से 12वीं तक के स्टूडेंट को प्रोजेक्ट वर्क के आधार पर पढ़ाई कराई जाएगी. शिक्षा मंत्री के यह भी कहा है कि कोर्स को पूरा करने के लिए स्कूलों का कोर्स घटा दिया गया है. वहीं परीक्षाओं को देरी से आयोजित कराया जाएगा.

वहीं पहली से छठी तक के छात्रों के लिए पढ़ाई को लेकर स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि 5वीं तक के बच्चों के लिए ऑनलाइन पढ़ाई की छूट नहीं है उनके लिए सरकार ने 'हमारा घर हमारा विद्यालय' योजना के तहत शिक्षकों को प्ररित करके बच्चों की पढ़ाई जारी रखेंगे.

भोपाल। कोरोना संक्रमण के दौरान ज्यादा फीस वसूलने वाले प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार (School Education Minister Inder Singh Parmar) के मुताबिक हाईकोर्ट के आदेश के बाद स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा इस संबंध में सभी कलेक्टरों को आदेश जारी कर दिए गए हैं. मंत्री इंदर सिंह परमार का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक कोरोना काल में जब तक स्कूल बंद हैं तब तक स्कूल केवल शिक्षण शुल्क ही ले सकते हैं. अगर स्कूल संचालक मनमानी कर ज्यादा फीस वसूलते हैं तो उन पर कार्रवाई होगी.

ईटीवी भारत से खास बातचीत

स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कई प्राइवेट स्कूलों द्वारा टीचर्स को 15 दिन की सैलरी दिए जाने और नौकरी से निकालने के सवाल पर कहा कि अगर ऐसा है तो शिक्षकों को उनके लिए बनाए गए प्लेटफॉर्म पर शिकायत करनी होगी. क्योंकि इन स्कूलों पर श्रम कानून (Labor Law) लागू होता है. इसलिए उनको उसी जगह शिकायत करनी होगी कलेक्टर के माध्यम से. शिकायत मिलने कार्रवाई की जाएगी.

फीस रेगुलेशन एक्ट लागू करने पर जोर

फीस रेगुलेशन एक्ट (Fee regulation act) 2017 में लागू हुआ था, फिर भी अभी तक प्राइवेट स्कूलों की मनमानी जारी है. इस सवाल पर मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि फीस रेगुलेशन एक्ट 2017 में पास हुआ था, क्योंकि इसके नियम बना कर लागू करने में 6-7 महीने लग जाता है. चूंकि 2018 में विधानसभा चुनाव (Assembly elections) आ गए और कांग्रेस की सरकार बन गई. उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि क्योंकि कमलनाथ की सरकार नहीं चाहती थी की बच्चों और उनके अभिभावकों का फायदा हो, इसलिए फीस रेगुलेशन एक्ट को लागू ही नहीं किया. अब जब शिवराज सरकार फिर से सत्ता में है तो इस पर काम किया जा रहा है.

सरकारी स्कूलों में व्यवस्था को दुरुस्त करने की जरूरत

कोरोना काल में सरकार सबसे ज्यादा डिजिटल एजुकेशन (Digital education) पर जोर दे रही है, लेकिन सरकारी स्कूलों में जो इंफ्राटक्चर (Infrastructure) है उसमें कमी देखी जा रही है. इस पर मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा की वास्तव में यह सरकार की कमी है. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जो स्कूल हैं, जहां 50 प्रतिशत से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं. उन स्कूलों में कई सुविधाएं नहीं हैं जो होनी चाहिए थीं. ऐसे में हम उन स्कूलों की समीक्षा करा रहे हैं, जिन स्कूलों में कमियां पाई जा रही हैं. इसलिए माध्यमिक शिक्षा मंडल(Board of Secondary Education) द्वारा जारी ऑनलाइन एजुकेशन की व्यवस्था को निरस्त किया है, क्योंकि हम उन 50 प्रतिशत बच्चों को शिक्षा से वंचित नहीं रख सकते हैं.

छात्रों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए आधा किया कोर्स

स्कूल शिक्षा मंत्री का कहना है कि कोरोना काल में छात्रों का नुकसान ना हो इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) से चर्चा करके कोई ना कोई हल निकालने की कोशिश करेंगे. सरकार की कोशिश रहेगी किसी अन्य विकल्प से स्कूलों में पढ़ाई को सुचारू रूप से जारी रखा जा सके. वहीं कोविड को देखते हुए 9वीं से 12वीं तक के स्टूडेंट को प्रोजेक्ट वर्क के आधार पर पढ़ाई कराई जाएगी. शिक्षा मंत्री के यह भी कहा है कि कोर्स को पूरा करने के लिए स्कूलों का कोर्स घटा दिया गया है. वहीं परीक्षाओं को देरी से आयोजित कराया जाएगा.

वहीं पहली से छठी तक के छात्रों के लिए पढ़ाई को लेकर स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि 5वीं तक के बच्चों के लिए ऑनलाइन पढ़ाई की छूट नहीं है उनके लिए सरकार ने 'हमारा घर हमारा विद्यालय' योजना के तहत शिक्षकों को प्ररित करके बच्चों की पढ़ाई जारी रखेंगे.

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