भोपाल। चुनावी साल में सरकारी कर्मचारी भी अपनी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने में पीछे नहीं है. प्रदेश के कर्मचारी संगठनों ने सरकार के सामने अपनी मांगों का पिटारा खोल दिया है. पिछले कुछ महीने से संविदा कर्मचारी स्वास्थ्य कर्मचारी वनकर्मी, कर्मचारी आशा-उषा कार्यकर्ता और साथ में आउटसोर्स कर्मचारी धरना प्रदर्शन कर अपनी मांगों को पूरा करने में जुटे हुए हैं. चुनाव के करीब आते ही कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है और आंदोलन भी चुनाव आते-आते और उग्र हो जाएंगे.
सरकार के गले की फांस बनी मांगे: दरअसल कर्मचारियों की ऐसी मांगे हैं, जिन्हें पूरा करने के लिए सरकारी खजाने पर भारी बोझ आने वाला है. वैसे ही सरकार 3 लाख करोड़ से ज्यादा के कर्ज में है. सरकार लगातार हर महीने कर्ज भी उठा रही है, ऐसी स्थिति में कर्मचारियों की मांगों को पूरा नहीं कर पाएगी. इसलिए सरकार ने कर्मचारी संगठनों की मांगों के संबंध में अध्ययन कर रिपोर्ट देने को कहा है. वहीं कांग्रेस पहले ही सरकार बनने पर कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने का ऐलान कर चुकी है. यह घोषणा उसके वचन पत्र में शामिल है. सभी कर्मचारी इसका समर्थन कर रहे हैं और कांग्रेस आउट सोर्स कल्चर खत्म करने की बात भी कह रही है.
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- तृतीय कर्मचारी संघ की मांग
कर्मचारियों को केंद्रीय दर और केंद्रीय तिथि से मंहगाई भत्ता. - सेवानिवृत्त कर्मचारियों को महंगाई राहत दी जाए.
- सातवें वेतन के अनुसार मकान किराया भत्ता वाहन और अन्य भत्ते दिए जाएं.
- कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल की जाए.
क्या कहना है बीजेपी सरकार का: बीजेपी प्रवक्ता हितेश वाजपेयी का कहना है कि शिवराज सरकार हमेशा कर्मचारियों के हितों का ख्याल रखती है. सभी वर्गों के कर्मचारियों के कल्याण के फैसले किए हैं. आपने देखा होगा कि दिग्विजय सिंह के शासनकाल में किस तरह से कर्मचारी नाराज थे.
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कांग्रेस बोली कमलनाथ की सरकार में कर्मचारी खुश थे: कांग्रेस प्रवक्ता के के मिश्रा का कहना है कि सरकार की नीतियों से आज हर कर्मचारी परेशान है. कांग्रेस ने कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली का वादा किया है वह पूरा किया जाएगा, लेकिन बीजेपी कर्मचारियों को सिर्फ लॉलीपॉप देती आई है.
कर्मचारी संगठन बोले सरकार को मांगे माननी चाहिए: तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के सचिव उमाशंकर तिवारी का कहना है कि कर्मचारी सरकार से अनुचित मांगे नहीं कर रहे हैं. वह अपना हक मांग रहे हैं, सरकार को सभी कर्मचारियों की मांगों पर ठोस आश्वासन देना चाहिए.