भोपाल। इस महामारी के दौरान मरीजों की दिन-रात सेवा करने वाले डॉक्टर ही कोरोना के जंग हार गए. प्रदेश भर में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें डॉक्टर कोरोना ड्यूटी करते हुए अपना जीवन गवा चुके हैं. मंगलवार का दिन मप्र चिकित्सा जगत के लिए बड़ा कष्टदायी रहा. अकेले मंगलवार को प्रदेश के आठ डॉक्टर कोरोना की जंग हार गए. इनमें भोपाल के नेत्र सर्जन डॉ गुरदीप के अलावा कारगिल की जंग में अहम भूमिका निभाने वाले मेजर डॉक्टर शैलेंद्र सोनाकिया भी शामिल हैं. साथ ही उज्जैन, जबलपुर और इंदौर सहित पूरे प्रदेश के ऐसे 8 चिकित्सक मंगलवार को दुनिया छोड़कर चले गए.
दूसरों की सेवा की, नहीं बची खुद की जान
यह चिकित्सक दिन रात मेहनत कर मरीजों की सेवा में लगे हुए थे. कोरोना पॉजिटिव होते हुए भी अपना जीवन दाव पर लगाकर दूसरों की सेवा करते रहे, लेकिन कोरोना महामारी ने इनकी सांसे छीन ली. इनमें करगिल की जंग में अहम भूमिका निभाने वाले मेजर डॉ. शैलेन्द्र सोनकिया भी शामिल हैं, जो वर्तमान में प्रदेश के सेमरिया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में अपनी सेवाएं दे रहे थे. कारगिल युद्ध में उनकी सेवाएं को देखते हुए उन्हें वीरता पदक भी मिला था. मरीजों का इलाज करते हुए यह कोरोना की चपेट में आए थे. इलाज करवाने के बाद भी जीवन नहीं बच पाया. इनके अलावा भोपाल के जाने-माने नेत्र चिकित्सक डॉ. गुरदीप सिंह का निधन भी कोरोना के चलते मंगलवार को हुआ है.
परिवार का remdesivir Black marketing से कोई लेने देना नहीं", जांच के निर्देश
कोरोना से जंग हारे डॉक्टर
डॉ गुरदीप सिंह भोपाल में पहले लेंस इम्प्लांट करने वाले सर्जन थे. इसके साथ ही जवाहर लाल नेहरू गैस राहत अस्पताल में डेंटल सर्जन डॉ. उदय सिंह चौहान, ग्वालियर मेडिकल कॉलेज के पीएसएम विभाग की डॉ. अपेक्षा भाले, ग्वालियर की माधव डिस्पेंसरी के केजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर डॉ. देवेन्द्र सिंघार, जबलपुर मेडिकल कॉलेज के डॉ. कांति सक्सेना, उज्जैन के डॉ. एम कनवाल और ईएसआईसी इंदौर के सेवानिवृत्त उप संचालक डॉ. एचपी बेंडवाल कोरोना की जंग हार गए.