भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार 26 जुलाई से 11वीं और 12वीं तक के स्कूल 50 फीसदी क्षमता के साथ खोलने की तैयारी में है. खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने इस बावत ट्वीट किया है, जबकि स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने ईटीवी भारत से कहा कि स्कूल खोलने का फैसला लिया गया है, इसके लिए शिक्षकों से लेकर छात्रों तक सभी को कोरोना गाइडलाइन का पालन करना होगा. उसके बाद भी अगर लगता है तो दोबारा स्कूल बंद किए जा सकते हैं क्योंकि तीसरी लहर के आने की संभावना जताई जा रही है.
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पहले चरण के रूप में हमने तय किया है कि 26 जुलाई से जो सप्ताह प्रारंभ होगा, उसमें 50% क्षमता के साथ हम 11वीं और 12वीं कक्षा के विद्यालय प्रारंभ करेंगे। सप्ताह में एक दिन एक बैच आएगा और अगले दिन दूसरा बैच आएगा। इसी हिसाब से महाविद्यालय आधी क्षमता के साथ फेसेज़ में प्रारंभ करेंगे।
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प्राइवेट स्कूल ऑनर्स एसोसिएशन द्वारा स्कूल खोले जाने को लेकर बनाए जा रहे दबाव के बाद राज्य सरकार ने 26 जुलाई से स्कूल खोलने का निर्णय लिया है. 26 जुलाई से 11वीं और 12वीं के स्कूल खोले जाएंगे. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने विद्या भारती के कार्यक्रम में इसका ऐलान किया है, मुख्यमंत्री ने कहा कि सब कुछ ठीक रहा तो 15 अगस्त से पहली से 5वीं तक की कक्षाएं शुरू कराई जाएंगी.
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मंत्री ने बताया कि स्कूलों में प्रवेश के दौरान 50% छात्रों को ही अनुमति दी जाएगी, उसमें भी जो छात्र आना चाहते हैं, वही स्कूल आएं, अन्यथा अगर वह नहीं आना चाहते हैं तो स्कूल न भी आएं, जिन शिक्षकों को स्कूलों में बुलाया जाएगा, उसके पहले पूर्ण रूप से उनका वैक्सीनेशन सुनिश्चित कराया जाएगा. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साफ तौर पर ऐलान किया है कि जिस तरह धीरे-धीरे कोरोना के मरीज कम हो रहे हैं, जल्द ही स्कूल और कॉलेज को खोलने की भी प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
26 जुलाई से 11वीं और 12वीं तक के स्कूल खोले जाने हैं, स्कूल शिक्षा मंत्री ने बताया कि स्कूल खोलने का विचार है, लेकिन करोना की तीसरी लहर का खतरा भी अभी बना हुआ है. जिसे देखते हुए आने वाले दिनों में पुनः स्कूल बंद करने का निर्णय लिया जा सकता है. बच्चों की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है. तीसरी लहर का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर ही पड़ने वाला है. इधर शिक्षकों को लेकर भी मंत्री का साफ तौर पर कहना है कि वैक्सीनेशन के बाद ही शिक्षकों को स्कूल में प्रवेश दिया जाएगा.
वहीं कुछ देर बाद ही 10वीं का रिजल्ट भी मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा जारी किया जाएगा, जिस पर मंत्री ने छात्रों को भविष्य की अग्रिम शुभकामनाएं दी है. उन्होंने कहा कि बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए यह फैसला लिया गया है. वहीं स्कूल फीस को लेकर प्रबंधन और अभिभावकों के बीच विवाद जारी है. अभिभावक ट्यूशन फीस के अलावा अन्य फीस वसूली के आरोप लगा रहे हैं. दूसरी तरफ निजी स्कूलों की तरफ से स्टाफ की सेलरी और अन्य खर्च जैसे कई तर्क दिए जा रहे हैं.
मध्य प्रदेश में निजी स्कूल अपनी मर्जी से सिर्फ 10 प्रतिशत फीस ही बढ़ा सकते हैं, इससे ज्यादा फीस वृद्धि पर उन्हें जिला समिति की मंजूरी लेनी होगी. अगर निजी स्कूल 15 फीसदी या इससे ज्यादा फीस बढ़ाते हैं तो उन्हें इसका कारण बताना होगा. स्कूल शिक्षा विभाग की तरफ से फीस से जुड़ा नोटिफिकेशन भी जारी किया गया था.
स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से सभी स्कूलों की 2017 से अब तक की बैलेंस शीट मांगी गई है, फीस संबंधी नया खाता खोलने की भी सलाह दी गई है, ताकि मॉनिटरिंग आसानी से हो सके. स्कूल सत्र शुरू होने के 90 दिन पहले निजी स्कूलों को अपने पोर्टल और शिक्षा विभाग के पोर्टल पर फीस संबंधी जानकारी अपलोड करने का प्रस्ताव भी दिया गया था. पर अभी उसी पोर्टल पर काम चल रहा है. कोरोना की वजह से यह प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हो पाई है.
मध्यप्रदेश पालक संघ के महासचिव ने बताया कि किसी एक स्कूल के एक पालक ने भी शिकायत दर्ज की तो उसे सभी बच्चों से जोड़कर देखना चाहिए, जबकि सरकार चाहती है कि हर बच्चा या हर अभिभावक अलग-अलग शिकायत करे, जोकि संभव नहीं है. 2021 में काफी स्कूलों और अभिभावकों के बीच फीस को लेकर विवाद हुए, पर राज्य सरकार ने कोई स्पष्ट गाइडलाइन जारी नहीं की.
प्रमोद पंड्या ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं, उन्होंने कहा कि सरकार निजी स्कूलों के दबाव में है. 2020 में कोरोना के चलते हाई कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय में केवल ट्यूशन फीस लेने का उल्लेख है, जिसमें राज्य सरकार ने स्वयं एक आदेश निकाल कर सभी कलेक्टरों को उस आदेश का परिपालन कराने को कहा है. यह आदेश कोरोना काल तक मान्य रहेगा, उसके बाद भी आदेश को लोग अलग-अलग परिभाषित कर रहे हैं.