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वेतन बढ़ाएं जाने के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं जा रहे डॉक्टर्स, सरकार उठाने जा रही नया कदम

एमबीबीएस डॉक्टर्स बॉन्ड साइन किए जाने के बाद भी ग्रामीण इलाकों में सेवाएं नहीं दे रहे हैं. ऐसे में राज्य सरकार अब ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाओं के नियम और सख्त करने जा रही है.

प्रदेश की चिकित्सा शिक्षा मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ
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Published : Sep 16, 2019, 11:46 PM IST

भोपाल। एमबीबीएस डॉक्टरों द्वारा बॉन्ड भरवाए जाने के बाद भी डॉक्टर्स ग्रामीण इलाकों में सेवाएं नहीं दे रहे हैं. जिसके चलते राज्य सरकार अब नियमों को और सख्त करने की तैयारी में है. जिसकी समीक्षा के लिए सरकार ने एक कमेटी गठित की है.

बता दें कि सरकार ने एमबीबीएस डॉक्टरों का मानदेय 55 हजार रुपयें कर दिया है, जिसके बाद भी डॉक्टर 10 लाख तक की बॉन्ड राशि देने को तैयार है पर ग्रामीण इलाकों में भी नौकरी ज्वाइन नहीं कर रहे हैं. प्रदेश में इस साल 6 सरकारी मेडिकल कॉलेजों से 531 एमबीबीएस डिग्री धारी डॉक्टरों को ज्वाइन करना था, लेकिन इसमें से सिर्फ 129 ने ही ज्वाइन किया है.

जबकि एमबीबीएस में आरक्षित वर्ग के लिए बॉन्ड राशि 10 लाख रुपये है और अनाआरक्षित वर्ग के लिए पांच लाख रुपये है. जिसे कॉलेज में जमा कर डॉक्टर बांड से मुक्त हो जाते हैं. पहले मानदेय की राशि 26 हजार होने की वजह से डॉक्टर ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों में नहीं जाना चाहते थे. जिसके बाद सरकार ने मानदेय बढ़ाकर 55 हजार रुपए कर दिया. फिर भी डॉक्टर ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं जा रहे.

बता दें कि ग्रामीण इलाकों में एक साल की सेवा से बचने के लिए कई मेडिकल छात्रों द्वारा हाईकोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया गया है, लेकिन कोर्ट से उन्हें राहत नहीं मिली है. प्रदेश की चिकित्सा शिक्षा मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ ने कहा कि डॉक्टरों की पढ़ाई में सरकार की बड़ी राशि खर्च होती है, इसलिए डॉक्टर्स को ग्रामीण इलाकों में सेवाएं देनी ही होगी

भोपाल। एमबीबीएस डॉक्टरों द्वारा बॉन्ड भरवाए जाने के बाद भी डॉक्टर्स ग्रामीण इलाकों में सेवाएं नहीं दे रहे हैं. जिसके चलते राज्य सरकार अब नियमों को और सख्त करने की तैयारी में है. जिसकी समीक्षा के लिए सरकार ने एक कमेटी गठित की है.

बता दें कि सरकार ने एमबीबीएस डॉक्टरों का मानदेय 55 हजार रुपयें कर दिया है, जिसके बाद भी डॉक्टर 10 लाख तक की बॉन्ड राशि देने को तैयार है पर ग्रामीण इलाकों में भी नौकरी ज्वाइन नहीं कर रहे हैं. प्रदेश में इस साल 6 सरकारी मेडिकल कॉलेजों से 531 एमबीबीएस डिग्री धारी डॉक्टरों को ज्वाइन करना था, लेकिन इसमें से सिर्फ 129 ने ही ज्वाइन किया है.

जबकि एमबीबीएस में आरक्षित वर्ग के लिए बॉन्ड राशि 10 लाख रुपये है और अनाआरक्षित वर्ग के लिए पांच लाख रुपये है. जिसे कॉलेज में जमा कर डॉक्टर बांड से मुक्त हो जाते हैं. पहले मानदेय की राशि 26 हजार होने की वजह से डॉक्टर ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों में नहीं जाना चाहते थे. जिसके बाद सरकार ने मानदेय बढ़ाकर 55 हजार रुपए कर दिया. फिर भी डॉक्टर ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं जा रहे.

बता दें कि ग्रामीण इलाकों में एक साल की सेवा से बचने के लिए कई मेडिकल छात्रों द्वारा हाईकोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया गया है, लेकिन कोर्ट से उन्हें राहत नहीं मिली है. प्रदेश की चिकित्सा शिक्षा मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ ने कहा कि डॉक्टरों की पढ़ाई में सरकार की बड़ी राशि खर्च होती है, इसलिए डॉक्टर्स को ग्रामीण इलाकों में सेवाएं देनी ही होगी

Intro:भोपाल। बांड के बाद भी एमबीबीएस डॉक्टरों द्वारा ग्रामीण इलाकों में सेवाएं ना दिए जाने को देखते हुए अब राज्य सरकार नियमों को और सख्त करने जा रही है सरकार ने समीक्षा के लिए एक कमेटी गठित की है। दरअसल सरकार द्वारा एमबीबीएस डॉक्टरों का मानदेय ₹55000 कर दिया गया है इसके बाद भी डॉक्टर 10 लाख तक की बॉन्ड की राशि देने को तैयार है लेकिन ग्रामीण इलाकों में नौकरी ज्वाइन नहीं कर रहे। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विजयलक्ष्मी साधो का कहना है कि डॉक्टरों की पढ़ाई में सरकार की बड़ी राशि खर्च होती है इसलिए डॉक्टर्स को ग्रामीण इलाकों में सेवाएं देनी ही होगी।


Body:दरअसल इस साल ही प्रदेश के 6 सरकारी मेडिकल कॉलेजों से 531 एमबीबीएस डिग्री धारी डॉक्टरों को ज्वाइन करना था लेकिन इसमें से सिर्फ 129 यानी सिर्फ 25 फीसदी ने ही ज्वाइन किया है। एमबीबीएस में आरक्षित वर्ग के लिए बॉन्ड की राशि 10 लाख और आरक्षित वर्ग के लिए ₹5 लाख रुपए है। डॉक्टर यह राशि कॉलेज में जमा कर बांड से मुक्त हो जाते हैं पिछले साल तक माना जा रहा था कि मानदेय ₹26000 होने की वजह से डॉक्टर ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों में जाना नहीं चाहते लेकिन सरकार द्वारा मानदेय बढ़ाकर ₹55000 कर दिया गया है इसके बाद भी डॉक्टर ग्रामीण इलाकों में सेवाएं देने को तैयार नहीं है। कई मामलों में तो डॉक्टर 10 लाख रुपए की बांड राशि वापस करने के लिए तैयार है। हालांकि ग्रामीण क्षेत्र में 1 साल की सेवा से बचने के लिए कई मेडिकल छात्रों द्वारा हाईकोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया गया लेकिन कोर्ट से उन्हें राहत नहीं मिली है। उधर सरकार ग्रामीण क्षेत्र में सेवाओं के नियमों को और सख्त बनाने जा रही है। इसके लिए सरकार ने कमेटी गठित कर दी है।


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