भोपाल। एमबीबीएस डॉक्टरों द्वारा बॉन्ड भरवाए जाने के बाद भी डॉक्टर्स ग्रामीण इलाकों में सेवाएं नहीं दे रहे हैं. जिसके चलते राज्य सरकार अब नियमों को और सख्त करने की तैयारी में है. जिसकी समीक्षा के लिए सरकार ने एक कमेटी गठित की है.
बता दें कि सरकार ने एमबीबीएस डॉक्टरों का मानदेय 55 हजार रुपयें कर दिया है, जिसके बाद भी डॉक्टर 10 लाख तक की बॉन्ड राशि देने को तैयार है पर ग्रामीण इलाकों में भी नौकरी ज्वाइन नहीं कर रहे हैं. प्रदेश में इस साल 6 सरकारी मेडिकल कॉलेजों से 531 एमबीबीएस डिग्री धारी डॉक्टरों को ज्वाइन करना था, लेकिन इसमें से सिर्फ 129 ने ही ज्वाइन किया है.
जबकि एमबीबीएस में आरक्षित वर्ग के लिए बॉन्ड राशि 10 लाख रुपये है और अनाआरक्षित वर्ग के लिए पांच लाख रुपये है. जिसे कॉलेज में जमा कर डॉक्टर बांड से मुक्त हो जाते हैं. पहले मानदेय की राशि 26 हजार होने की वजह से डॉक्टर ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों में नहीं जाना चाहते थे. जिसके बाद सरकार ने मानदेय बढ़ाकर 55 हजार रुपए कर दिया. फिर भी डॉक्टर ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं जा रहे.
बता दें कि ग्रामीण इलाकों में एक साल की सेवा से बचने के लिए कई मेडिकल छात्रों द्वारा हाईकोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया गया है, लेकिन कोर्ट से उन्हें राहत नहीं मिली है. प्रदेश की चिकित्सा शिक्षा मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ ने कहा कि डॉक्टरों की पढ़ाई में सरकार की बड़ी राशि खर्च होती है, इसलिए डॉक्टर्स को ग्रामीण इलाकों में सेवाएं देनी ही होगी