भोपाल। राजधानी भोपाल में खुद की जान खतरे में डालकर दूसरों की जान बचाने की कीमत सिर्फ 6 हजार है, सुनने में थोड़ा अबीज जरूर है, लेकिन ये हालत राजधानी भोपाल के उन गोताखोरों के है, जो सिर्फ 6 हजार रुपये के लिए अपनी जान जोखिम में डालते हैं. गोताखोर अपनी जान पर खेलकर दूसरों की जान बचाते हैं, इसके बदले उन्हें जो मेहनताना मिलता है वो किसी मजाक से कम नहीं है. ऐसे में 25 दिवसीय दैनिक वेतन भोगी गोताखोरों को घर चलाना बेहद मुश्किल हो रहा है. ईटीवी भारत से गोताखोरों ने अपनी तकलीफ बताई और मेहनताना बढ़ाने की मांग की.
राजधानी में कई तालाब होने के कारण यहां पर हादसे भी होते हैं और इन हादसों को रोकने की जिम्मेदारी रहती है गोताखोरों की. 25 दिवसीय दैनिक वेतन भोगी गोताखोरों को महीने के सिर्फ 6 हजार मिलते हैं. इस पूरे मामले में जब निगम कमिश्नर वीएस चौधरी से पूछा तो उनको इस बारे में जानकारी नहीं है, जबकि गोताखोर कई बार सैलरी बढ़ाने की मांग कर चुके हैं. हालांकि उन्होंने इस पूरे मामले में कार्रवाई का भरोसा दिया है
इधर नगर निगम कमिश्नर को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है तो उधर गोताखोरों को अपना परिवार चलाना मुश्किल हो गया है. सैलरी के साथ-साथ गोताखोरों का बीमा भी नहीं है, जो उनको डबल मुसीबत में डालता है. फिलहाल शहर में नगर निगम के पास 15 गोताखोर हैं जो 24 घंटे अपनी ड्यूटी के हिसाब से नौकरी करते हैं. हैरानी की बात ये है कि 10-10 साल बीत जाने के बाद भी गोताखोर नियमित नहीं हुए हैं. गोताखोर आसिफ का कहना है कि महंगाई के इस दौर में 6 हजार में परिवार चलाना मुश्किल हो गया है. अगर परिवार का साथ ना हो तो घर भी ना चले.
राजधानी भोपाल में गोताखोरबड़ा तालाब, छोटा तालाब, शाहपुरा, मोतिया तालाब, बाग मुंशी हुसैन, सिद्दीकी हसन तालाब समेत डेढ़ दर्जन तालाब हैं, लेकिन यहां सुरक्षा के इंतजाम नहीं हैं, पूरे शहर में कहीं भी हादसा होता है तो ये 15 गोताखोर अपनी जान पर खेलकर दूसरों की जान बचाते हैं.