भोपाल। राज्य सरकार ने प्रदेशभर की मंडियों में मक्के की खरीदी का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है, लेकिन किसानों को मक्के के मिल रहे समर्थन मूल्य पर राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने कई तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं. उन्होंने इस संबंध में सीएम शिवराज सिंह चौहान को पत्र भी लिखा है, साथ ही उन्होंने मांग की है कि प्रदेश की मंडियों में सरकार के द्वारा निर्धारित किए गए समर्थन मूल्य के आधार पर मक्के की खरीदी नहीं हो रही है, बल्कि मंडियों में अपनी मर्जी से मक्के की खरीदी की जा रही है. जिसकी वजह से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है, उन्होंने तत्काल केंद्र सरकार के द्वारा घोषित किए गए मक्के के समर्थन मूल्य पर ही खरीदी किए जाने की मांग की है. साथ ही ऐसा ना होने पर उन्होंने प्रदेश भर में किसानों के साथ आंदोलन की चेतावनी भी बीजेपी सरकार को दी है.
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बताया है कि प्रदेश में इस वर्ष अत्यधिक बारिश होने की वजह से किसानों की फसलें पूरी तरह से चौपट हो गई हैं. जिसमें सोयाबीन का सबसे अधिक नुकसान हुआ है. केवल मक्के की ही फसल थोड़ी अच्छी हुई है, लेकिन प्रदेश की मंडियों में जो कीमत मक्के की किसानों को दी जा रही है. वो केंद्र सरकार के द्वारा निर्धारित किए गए मूल्य से काफी कम है. ऐसी स्थिति में प्रदेश का किसान लगातार परेशान हो रहा है.
उन्होंने कहा है कि प्रदेश के मक्का उत्पादक किसान फसल का सही दाम नहीं मिलने से शोषण का शिकार हो रहे हैं. राज्य सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी नहीं किए जाने से पूरे प्रदेश में ये स्थिति बन रही है. कई मंडियों में तो किसान 700 से 800 रुपए क्विंटल के दाम पर मक्का बेचने के लिए मजबूर हो रहे हैं.
गत दिवस होशंगाबाद जिले के किसान नेता सम्राट तिवारी के नेतृत्व में किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने जनसंपर्क के दौरान उन्हें बताया था कि नर्मदा पुरम संभाग की मंडियों में किसान मक्के की फसल लेकर आ रहे हैं, लेकिन समर्थन मूल्य से आधी कीमत भी नहीं मिल पा रही है. होशंगाबाद जिले के किसानों ने तत्काल समर्थन मूल्य 1,850 रुपए पर खरीदी किए जाने की मांग की है.
उन्होंने कहा है कि प्रदेश के किसानों को पूर्व में राज्य सरकार ने मक्के के समर्थन मूल्य पर खरीदी की थी. ये सब कमलनाथ के नेतृत्व में हुआ था और सरकार ने मक्के को भावांतर में भी शामिल किया था, यहां ये उल्लेखनीय है कि प्रदेश के अधिकांश मक्का उत्पादक करने वाले लघु और सीमांत किसान हैं, प्रदेश में करीब 15 लाख हेक्टेयर में मक्का की फसल लगाई गई थी.
आश्चर्य है कि किसान के कल्याण की बड़ी-बड़ी बातें करने वाली सरकार में मक्का उत्पादक किसानों को फसल की बिक्री करने के बाद लागत तक नहीं निकल पा रही है. जबकि अतिवृष्टि से भी फसल खराब हो गई थी. किसानों की ये दयनीय स्थिति तब है, जब तीन काले कृषि कानूनों का जाल अभी पूर्ण रुप से पूछा भी नहीं है. उन्होंने कहा कि जब मंडियां बंद हो जाएंगी तो किसान किस-किस कंपनी के दरवाजे पर भटकेगा. दिग्विजय सिंह ने कहा है कि प्रदेश के लाखों छोटे-छोटे किसानों के हित में तत्काल मंडियों में समर्थन मूल्य पर खरीदी प्रारंभ की जाए, अन्यथा मजबूर होकर किसानों के साथ आंदोलन करना होगा.