भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सीएम शिवराज सिंह चौहान को एक पत्र लिखा है. पत्र में मध्य प्रदेश में शिक्षा का अधिकार कानून के तहत रोकी गई प्रवेश प्रक्रिया को तत्काल शुरू कराते हुए पात्र बच्चों को जल्द ही प्रवेश देने की मांग की गई है. पत्र में दिग्विजय सिंह ने लिखा कि कोरोना की त्रासदी के बीच आई आपकी सरकार ने शैक्षणिक साल 2020- 21 में अभी तक प्रदेश के लाखों बच्चों को शिक्षा का अधिकार कानून के तहत निजी स्कूलों में प्रवेश नहीं दिया है.
दिग्विजय सिंह ने पत्र में लिखा है कि मुझे घोर आश्चर्य है कि गरीब परिवार के बच्चों की शिक्षा के प्रति आपकी सरकार इतनी असंवेदनशील है. गत वर्षो में करीब पांच लाख गरीब बच्चे पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार के समय से प्रारंभ शिक्षा का अधिकार कानून के तहत प्रतिवर्ष प्राइवेट स्कूलों में दाखिला देकर शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. पहले तो आप की सरकार ने वर्ष 2009 में बनाए गए कानून को 2009 की जगह 2011 में लागू किया, लेकिन आपकी मंशा गरीब परिवार के बच्चों को पब्लिक स्कूलों में शिक्षा देने की नहीं रही है. यही कारण है कि सरकार ने पिछले सालों की बकाया फीस की प्रतिपूर्ति भी निजी स्कूलों को अभी तक नहीं की है. अधिकांश स्कूल आरटीई से प्रवेश लेने वाली बच्चों की फीस नहीं मिलने की शिकायत कर रहे हैं.
गरीब बच्चों के प्रवेश पर रोक पर सवाल
दिग्विजय सिंह ने लिखा है कि मध्यप्रदेश में शिक्षा के अधिकार कानून का राज्य सरकार द्वारा कोरोना की आड़ में पालन नहीं किया जाता है. निजी स्कूलों ने हर साल की तरह आरक्षित सीटों की प्रक्रिया पूरी कर ली हैं. सीट लॉक होने के बावजूद राज्य सरकार द्वारा गरीब बच्चों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है. अभी तक प्रदेश में किसी भी बच्चे को आरटीई के तहत प्रवेश नहीं दिया गया है और ना ही लॉटरी सिस्टम में प्रवेश देने के लिए सरकार द्वारा कोई ऑनलाइन कार्यक्रम दिया गया है. सरकार द्वारा इस संबंध में तैयार पोर्टल नहीं अभी तक नहीं खोला गया है.
पत्र में बच्चों के साथ खिलवाड़ का जिक्र
दिग्विजय सिंह ने पत्र में लिखा कि आप जानते होंगे किस राज्य के करीब 25,589 निजी स्कूलों में हर साल लगभग पांच लाख गरीब और वंचित परिवारों के बच्चे शिक्षा का अधिकार कानून के तहत प्रवेश लेकर नि:शुल्क शिक्षा प्राप्त करते हैं. इन बच्चों पर होने वाले व्यय को इस आरटीई कानून के तहत राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है. तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार के समय संसद ने 4 अगस्त 2009 को जब यह कानून बनाया तथा संविधान के अनुच्छेद 21 ए में जोड़कर जब इसे मौलिक अधिकारों का स्वरूप दिया था. तब किसी ने सोचा भी नहीं होगा, कि कोई राज्य सरकार गरीब बच्चों को संविधान से प्राप्त शिक्षा के मौलिक अधिकार से भी वंचित कर देगी. यह गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार के बच्चों के साथ खिलवाड़ है. मेरा आपसे अनुरोध है कि मध्य प्रदेश में शिक्षा का अधिकार कानून के तहत रोकी गई प्रवेश प्रक्रिया को तत्काल प्रारंभ कराते हुए पात्र बच्चों को जल्द ही प्रवेश देने की कार्रवाई करने का कष्ट करें.