भोपाल। वेस्टमिंस्टर हॉल में मंगलवार को बहस के दौरान भारतीय मूल के सांसद नवेंदु मिश्रा ने भोपाल गैस त्रासदी का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि, भारतीय अदालतों में मामले का सामना कर रही डॉव केमिकल कंपनी पर ब्रिटेन सरकार को दबाव डालना चाहिए. डॉव केमिकल कंपनी यूनियन कार्बाइड की मूल कंपनी है. उत्तरी इंग्लैंड में स्टॉकपोर्ट से सांसद और भारत (व्यापार और निवेश) के लिए ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री ग्रुप के अध्यक्ष मिश्रा ने ब्रिटिश सरकार से डाउ केमिकल के खिलाफ ब्रिटेन में कार्रवाई की मांग की.
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38 years ago the world witnessed the Bhopal Gas Tragedy - the worst industrial catastrophe. 25,000 people were killed in the event or died later of their injuries and around 120,000 remain seriously ill with no hope of being cured. I support @actionforbhopal's tireless campaign. pic.twitter.com/dqAIkNjRQZ
— Christina Rees MP (@Rees4Neath) November 16, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— Christina Rees MP (@Rees4Neath) November 16, 202238 years ago the world witnessed the Bhopal Gas Tragedy - the worst industrial catastrophe. 25,000 people were killed in the event or died later of their injuries and around 120,000 remain seriously ill with no hope of being cured. I support @actionforbhopal's tireless campaign. pic.twitter.com/dqAIkNjRQZ
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अगले महीने पूरे होंगे 38 साल: मिश्रा ने कहा कि, डॉव केमिकल कंपनी पीड़ितों के प्रति अपनी जिम्मेदारी से बहुत लंबे समय से बच रही है. आज भी हम पीड़ितों के लिए न्याय अभियान चला रहे हैं. हम पीड़ितों के लिए मुआवजा और उपचार देने की मांग करते हैं. बता दें कि अगले माह इस घटना को 38 साल पूरे हो जाएंगे. 2-3 दिसंबर 1984 को यूनियन कार्बाइड के संयंत्र से गैस लीक हो गई थी, जिसकी चपेट में आने से उसी दिन 3800 लोगों की मौत हो गई थी.
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38yrs ago, history's worst industrial catastrophe occurred in Bhopal, India. Some of the poorest people on earth have been abandoned, left incurably ill & fighting one of the world's richest corporations,Union Carbide. They deserve justice @actionforbhopal @NavPMishra pic.twitter.com/rVa74hMTIA
— Sarah Champion (@SarahChampionMP) November 15, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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डाउ पर दबाव बनाए जाने की मांग: संसदीय चर्चा के दौरान उन्होंने भारत में न्याय के अभियान में ब्रिटेन के योगदान और भारतीय अदालतों में सुनवाई का सामना करने के लिए डाउ पर दबाव बनाए जाने की मांग की. मिश्रा ने कहा, 'यूनियन कार्बाइड की मूल कंपनी डाउ केमिकल पीड़ितों और त्रासदी में बचे लोगों के प्रति अपनी जिम्मेदारी से बचती रही है' भोपाल गैस त्रासदी 2-3 दिसंबर, 1984 को हुई थी, जब मध्य प्रदेश में यूनियन कार्बाइड कीटनाशक संयंत्र में रिसाव के बाद 5,00,000 से अधिक लोग मिथाइल आइसोसाइनेट के संपर्क में आए थे. इसे दुनिया में अब तक की सबसे घातक औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है.