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11 असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति को लेकर कुलपति और रजिस्ट्रार में विवाद, राजभवन पहुंचा मामला

बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में 6 साल पहले की गई 11 असिस्टेंट प्रोफेसर और एक असिस्टेंट डायरेक्टर की नियुक्ति को लेकर कुलपति और रजिस्ट्रार के बीच में जमकर बहस हुई. रजिस्ट्रार ने रिपोर्ट को विरोधाभासी बताते हुए राजभवन को सौंपने का निर्णय ले लिया है.

Barkatulla University
बरकतउल्ला विश्वविद्यालय
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Published : Jul 10, 2020, 8:15 AM IST

भोपाल। बरकतउल्ला विश्वविद्यालय हमेशा ही किसी ना किसी वजह से विवादों में रहता है. इस बार विश्वविद्यालय में 6 साल पहले की गई 11 असिस्टेंट प्रोफेसर और एक असिस्टेंट डायरेक्टर की नियुक्ति के मामले को लेकर कुलपति और रजिस्टार के बीच जमकर बहस हुई है. दरअसल काफी समय के बाद गुरुवार को कार्यपरिषद की बैठक आयोजित की गई थी. इस बैठक में 6 साल पहले की गई नियुक्तियों को लेकर चर्चा की जा रही थी. बैठक के दौरान जो रिपोर्ट कार्यपरिषद में रखी गई, उसे लेकर कुलपति और रजिस्ट्रार के बीच जमकर कहासुनी हो गई. कुलपति, प्रोफेसर आरजे राव रिपोर्ट के आधार पर निरस्त हो चुकी नियुक्तियों को सही करवाना चाहते थे. वहीं दूसरी ओर कार्यपरिषद के सदस्य और रजिस्ट्रार ने भी इस रिपोर्ट को विरोधाभासी बताते हुए राजभवन को सौंपने का निर्णय ले लिया. इस विषय को लेकर कुलपति और रजिस्ट्रार काफी देर तक एक दूसरे से बहस करते रहे, जिसके बाद कार्यपरिषद की बैठक को स्थगित कर दिया गया.

दरअसल इस फर्जीवाड़े में तत्कालीन कुलपति प्रोफेसर एनडी तिवारी पहले ही पद से हटाए जा चुके हैं. वहीं दूसरी ओर उस समय रजिस्ट्रार रहे एलएस सोलंकी को भी निलंबित किया जा चुका है. 6 साल पहले हुई इन नियुक्तियों को सही ठहराने वाली रिपोर्ट को कार्यपरिषद से पास कराने के लिए रखा गया था, लेकिन जब जांच रिपोर्ट की सच्चाई कार्यपरिषद सदस्यों के सामने आई, तो सदस्यों ने अपने हाथ खड़े कर दिए. बैठक के दौरान सदस्यों का साफ तौर पर कहना था कि, 'जिन नियुक्तियों के आधार पर कुलपति को हटाया जा चुका है और रजिस्ट्रार को निलंबित किया जा चुका है, उसकी जांच रिपोर्ट को कार्यपरिषद से पास करा कर कार्यपरिषद सदस्यों को भी फंसाने का काम किया जा रहा है. इस तरह का काम कार्यपरिषद किसी भी हाल में नहीं करेगी, कार्यपरिषद सदस्यों का समर्थन करते हुए रजिस्ट्रार ने भी जांच रिपोर्ट को रखे जाने का विरोध किया, इसके बाद जांच रिपोर्ट को राजभवन को वापस सौंपे जाने का निर्णय लिया गया है.

कार्यपरिषद की बैठक के दौरान रजिस्ट्रार डॉ. बी भारती ने कहा है कि, राजभवन के द्वारा कराई गई जांच रिपोर्ट में विरोधाभास है. जांच रिपोर्ट कहती है कि, नियुक्तियों में गड़बड़ी हुई है. छानबीन समिति ने सही तरह से काम नहीं किया है और बाद में नियुक्तियों को सही ठहराए जाने का काम किया जा रहा है. बता दें कि, 6 साल पहले जिन नियुक्तियों को लेकर विवाद है. इसमें एक ही दिन में उम्मीदवारों के साक्षात्कार कर लिए गए थे. कई उम्मीदवारों के दस्तावेज भी कुछ गड़बड़ मिले थे. साक्षात्कार के बाद रजिस्टार सोलंकी ने रातों-रात नियुक्ति पत्र भी जारी कर दिए थे. उस समय जस्टिस गोहिल ने कुलपति डॉ. मुरलीधर तिवारी के साथ रजिस्टार सोलंकी सहित कई अधिकारी एवं कर्मचारियों के बयान दर्ज किए थे. मामले की जांच रिपोर्ट 2016 में ही पूरी कर ली गई थी, लेकिन इसे किसी के सामने नहीं लाया गया था. जब यह कार्यपरिषद के सामने रखी गई, तो सदस्यों ने इस पर हंगामा कर दिया था. बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में 11 असिस्टेंट प्रोफेसर और एक असिस्टेंट डायरेक्टर की नियुक्ति का विवाद करीब 6 वर्ष से लगातार चला रहा है. इस दौरान तीन कुलपति बदले जा चुके हैं, साथ ही 2 कमेटी इस मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट सौंप चुकी है. इस जांच पर लाखों रुपए अब तक खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन इस विवाद को अभी तक किसी भी हाल में सुलझाया नहीं जा सका है. यह मामला हाईकोर्ट में भी लंबित है. कभी इस मामले की फाइल राजभवन भेज दी जाती है, तो कभी इस मामले की फाइल को कार्यपरिषद की बैठक में रख दिया जाता है, लेकिन हर बार मामला किसी न किसी वजह से लगातार उलझता जा रहा है.

भोपाल। बरकतउल्ला विश्वविद्यालय हमेशा ही किसी ना किसी वजह से विवादों में रहता है. इस बार विश्वविद्यालय में 6 साल पहले की गई 11 असिस्टेंट प्रोफेसर और एक असिस्टेंट डायरेक्टर की नियुक्ति के मामले को लेकर कुलपति और रजिस्टार के बीच जमकर बहस हुई है. दरअसल काफी समय के बाद गुरुवार को कार्यपरिषद की बैठक आयोजित की गई थी. इस बैठक में 6 साल पहले की गई नियुक्तियों को लेकर चर्चा की जा रही थी. बैठक के दौरान जो रिपोर्ट कार्यपरिषद में रखी गई, उसे लेकर कुलपति और रजिस्ट्रार के बीच जमकर कहासुनी हो गई. कुलपति, प्रोफेसर आरजे राव रिपोर्ट के आधार पर निरस्त हो चुकी नियुक्तियों को सही करवाना चाहते थे. वहीं दूसरी ओर कार्यपरिषद के सदस्य और रजिस्ट्रार ने भी इस रिपोर्ट को विरोधाभासी बताते हुए राजभवन को सौंपने का निर्णय ले लिया. इस विषय को लेकर कुलपति और रजिस्ट्रार काफी देर तक एक दूसरे से बहस करते रहे, जिसके बाद कार्यपरिषद की बैठक को स्थगित कर दिया गया.

दरअसल इस फर्जीवाड़े में तत्कालीन कुलपति प्रोफेसर एनडी तिवारी पहले ही पद से हटाए जा चुके हैं. वहीं दूसरी ओर उस समय रजिस्ट्रार रहे एलएस सोलंकी को भी निलंबित किया जा चुका है. 6 साल पहले हुई इन नियुक्तियों को सही ठहराने वाली रिपोर्ट को कार्यपरिषद से पास कराने के लिए रखा गया था, लेकिन जब जांच रिपोर्ट की सच्चाई कार्यपरिषद सदस्यों के सामने आई, तो सदस्यों ने अपने हाथ खड़े कर दिए. बैठक के दौरान सदस्यों का साफ तौर पर कहना था कि, 'जिन नियुक्तियों के आधार पर कुलपति को हटाया जा चुका है और रजिस्ट्रार को निलंबित किया जा चुका है, उसकी जांच रिपोर्ट को कार्यपरिषद से पास करा कर कार्यपरिषद सदस्यों को भी फंसाने का काम किया जा रहा है. इस तरह का काम कार्यपरिषद किसी भी हाल में नहीं करेगी, कार्यपरिषद सदस्यों का समर्थन करते हुए रजिस्ट्रार ने भी जांच रिपोर्ट को रखे जाने का विरोध किया, इसके बाद जांच रिपोर्ट को राजभवन को वापस सौंपे जाने का निर्णय लिया गया है.

कार्यपरिषद की बैठक के दौरान रजिस्ट्रार डॉ. बी भारती ने कहा है कि, राजभवन के द्वारा कराई गई जांच रिपोर्ट में विरोधाभास है. जांच रिपोर्ट कहती है कि, नियुक्तियों में गड़बड़ी हुई है. छानबीन समिति ने सही तरह से काम नहीं किया है और बाद में नियुक्तियों को सही ठहराए जाने का काम किया जा रहा है. बता दें कि, 6 साल पहले जिन नियुक्तियों को लेकर विवाद है. इसमें एक ही दिन में उम्मीदवारों के साक्षात्कार कर लिए गए थे. कई उम्मीदवारों के दस्तावेज भी कुछ गड़बड़ मिले थे. साक्षात्कार के बाद रजिस्टार सोलंकी ने रातों-रात नियुक्ति पत्र भी जारी कर दिए थे. उस समय जस्टिस गोहिल ने कुलपति डॉ. मुरलीधर तिवारी के साथ रजिस्टार सोलंकी सहित कई अधिकारी एवं कर्मचारियों के बयान दर्ज किए थे. मामले की जांच रिपोर्ट 2016 में ही पूरी कर ली गई थी, लेकिन इसे किसी के सामने नहीं लाया गया था. जब यह कार्यपरिषद के सामने रखी गई, तो सदस्यों ने इस पर हंगामा कर दिया था. बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में 11 असिस्टेंट प्रोफेसर और एक असिस्टेंट डायरेक्टर की नियुक्ति का विवाद करीब 6 वर्ष से लगातार चला रहा है. इस दौरान तीन कुलपति बदले जा चुके हैं, साथ ही 2 कमेटी इस मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट सौंप चुकी है. इस जांच पर लाखों रुपए अब तक खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन इस विवाद को अभी तक किसी भी हाल में सुलझाया नहीं जा सका है. यह मामला हाईकोर्ट में भी लंबित है. कभी इस मामले की फाइल राजभवन भेज दी जाती है, तो कभी इस मामले की फाइल को कार्यपरिषद की बैठक में रख दिया जाता है, लेकिन हर बार मामला किसी न किसी वजह से लगातार उलझता जा रहा है.

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