भोपाल। कोरोना काल में लाखों लोग काल के गाल में समा गए, अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि श्मशान और कब्रिस्तान में इतनी जगह भी नहीं थी, कि मृतकों के विधिवत अंतिम संस्कार सही समय पर हो जाए. अंतिम संस्कार के लिए मृतकों के परिजनों को घंटों तक इंतजार करना पड़ा था. वहीं अगली सुबह परिजन अस्थियां और भस्म लेने आते थे, इसके बावजदू हर दिन सैकड़ों की संख्या में हो रहे अंतिम संस्कार के चलते यहां बड़ी मात्रा में राख जमा हो गई, वहीं प्रशासन ने इसके बेहतर निपटान के लिए भोपाल के भदभदा विश्राम घाट ने अनूठी पहल शुरु की है. यहां अब बड़ी मात्रा में इकठ्ठा हो चुकी राख को पर वृक्षारोपण किया जाएगा. और इसमें मृतकों के परिजनों को भी बुलाया जाएगा. ताकि मृतकों को उत्तम श्रद्धांजलि दी जा सकें.
- 5-7 डंपर राख का सदउपयोग
राजधानी के भदभदा विश्राम घाट में इस समय करीब 5-7 डंपर राख जमा हो चुकी है. व्यवस्थापक बताते हैं कि कोरोना काल से पहले महीने भर में 100-150 मृत देह ही अंतिम संस्कार के लिए आती थी, लेकिन इस महामारी के दौर में यह आंकड़ा 1 दिन का हो गया था. रोजाना 100 से अधिक शवों का दाह संस्कार होता था. इसके चलते यहां बड़ी मात्रा में अंतिम संस्कार की भस्म जमा हो गई है. इसके निस्तारण के लिए हमने एक योजना बनाई है, जिससे कि इस भस्म का सदुपयोग किया जा सके. हमने इस भस्म पर वृक्षारोपण करने का प्लान बनाया है. यह वृक्षारोपण उन लोगों द्वारा किया जाएगा, जिनके परिजन कोरोना से मृत हुए हैं. सही मायने में यह उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी.
- नदियों को नहीं करेंगे प्रदूषित
भदभदा विश्राम घाट समिति के सदस्यों ने बताया कि इतनी बड़ी मात्रा में भस्म जमा होने के बाद इसके निस्तारण की समस्या आ रही है. परंपरा अनुसार अंतिम संस्कार के बाद अस्थियां और भस्म को नर्मदा या अन्य पवित्र नदियों में विसर्जित किया जाता है. लेकिन विश्राम घाट समिति ने यह निर्णय लिया है, कि हम इसका निस्तारण नदियों में नहीं करेंगे. क्योंकि यह भस्म जल को प्रदूषित कर सकती है. दूसरी बात इतनी बड़ी मात्रा में भस्म का नदियों में विसर्जन करना भी हिंदू धर्म के लिहाज से उचित नहीं है. इसलिए हमने यह निर्णय लिया है कि इसको एक स्थान चिन्हित कर जमा करेंगे और उसके ऊपर पौधरोपण किया जाएगा.
मुक्तिधाम में दाह संस्कार करने आ रहे परिजनों को निशुल्क खाना
- पौधे लगाकर परिजन देंगे श्रद्धांजलि
समिति के अध्यक्ष अरुण चौधरी ने बताया कि कोरोना काल में यहां पर 3 हजार से अधिक शवों का अंतिम संस्कार किया गया है. उनके परिजन काफी कम मात्रा में अस्थि और भस्म लेकर गए है. कहीं ना कहीं उनकी भावनाएं विश्राम घाट में मौजूद उनके परिजनों की भस्म से जुड़ी हुई है. हम सबने इसी बात को मद्देनजर रखते हुए यह व्यवस्था की है, कि विश्राम घाट के पास ही एक स्थान पर इस भस्म को जमा कर रहे हैं. इसके ऊपर मिट्टी डालेंगे उस पर पौधरोपण करने के लिए मृतक के परिजनों को सूचित करेंगे. साथ ही जो व्यक्ति अपनी इच्छा से यहां पौधरोपण करना चाहता है वह भी यहां आकर पौधे लगा सकता है. इससे एक बड़ा संदेश यह जाएगा कि हम उनके परिजनों के लिए श्रद्धांजलि दे सकेंगे. साथ ही जो परिजन इस कोरोना के समय में अपने परिजनों का ठीक से अंतिम संस्कार नहीं कर पाए. उन्हें भी श्रद्धांजलि देकर अच्छा लगेगा.
- लकड़ी के बुरादे से बनेगी खाद
भदभदा विश्राम घाट समिति के सचिव ममतेश शर्मा ने बताया कि हमारे पास बड़ी मात्रा में ऐसी लकड़ी है, जिसका उपयोग हम अंतिम संस्कार के दौरान नहीं कर पाते हैं. यह लकड़ी बुरादे के रूप में और छोटे-छोटे छिलके और टुकड़ों के रूप में हमारे पास मौजूद है. जहां पौधरोपण के लिए भस्म को जमा किया जा रहा है. उसके ऊपर हम इस बुरादे को डालेंगे इसके बाद ऊपर से मिट्टी डालकर लेवलिंग कर देंगे. बारिश के दौरान यह बुरादा खाद के रूप में परिवर्तित हो जाएगा, जिससे परिजनों द्वारा लगाए गए पौधे को खाद भी मिल सकेगी. यह बुरादा बड़ी मात्रा में उपलब्ध है.
- बारिश के बाद होगा पौधरोपण
सदस्य बताते हैं कि पांच से सात डंपर भस्म को इकट्ठा कर लिया गया है. श्मशान घाट के पास ही एक खंती में इसे भरवाया जा रहा है. इसके ऊपर लकड़ी का बुरादा और मिट्टी डाली जाएगी. बारिश के दौरान भस्म और मिट्टी गहराई तक बैठ जाएगी. इसके बाद यहां पर हम मृतक के परिजनों को बुलाकर पौधरोपण का कार्य शुरू करवाएंगे. साथ ही उनकी इच्छा अनुसार यदि वह कोई अनुष्ठान करना चाहते हैं, तो वह भी कर सकेंगे.