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वर्तमान से पराजित लोग इतिहास में जीते हैं, मोदी जी अब तो आज में आ जाइएः जीतू पटवारी

भले ही 46 साल पहले देश में आपातकाल लगा था, पर देश 16 मई 2014 से आफतकाल झेल रहा है. Emergency को Black Day बताने वाली बीजेपी को विपक्ष इसी तरह आईना दिखा रहा है, जबकि प्रधानमंत्री को भूतकाल की बजाय वर्तमान में जीना चाहिए क्योंकि वर्तमान से पराजित लोग ही इतिहास में जीते हैं. वहीं सत्ता पक्ष आपातकाल के मुद्दे पर कांग्रेस को घेर रही है, पर सच तो यह है कि हर कोई अपने नफा-नुकसान के हिसाब से इस मुद्दे को परिभाषित कर रहा है.

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Published : Jun 25, 2021, 2:14 PM IST

भोपाल। आपातकाल लोकतंत्र पर लगा वो बदनुमा दाग है, जिसके साथ जीना ही इस लोकतंत्र की नियति बन गई है. हालांकि, आपातकाल को सभी राजनीतिक दल अपने-अपने हिसाब से परिभाषित करते हैं. सत्तारूढ़ बीजेपी भले ही (Emergency) को (Democracy) का काला अध्याय बताती है, जबकि विपक्ष बीजेपी के शासनकाल को ही आपातकाल के रूप में परिभाषित करने की कोशिश कर रही है. एक ट्वीट को रिट्वीट करते हुए पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने लिखा- किसी ने क्या खूब कहा है- वर्तमान से पराजित लोग ही, इतिहास में जीते हैं! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी कृपया अब आज में आ जाइए! आपके कुप्रबंध से जीता #CoronaVirus, अर्थव्यवस्था इतिहास बना रहा है! मौत, महंगाई और महामारी जैसे शब्द, अब पर्यायवाची लग रहे हैं! माफ करो सरकार, मोदी मतलब बंटाधार.

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जीतू पटवारी का ट्वीट

वहीं जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष पप्पू यादव ने ट्विटर पर लिखा- लगा होगा कभी कोई आपातकाल, पर 16 मई 2014 से देश आफतकाल को भुगत रहा है.

  • लगा होगा कभी कोई आपातकाल

    लेकिन 16 मई 2014 से देश #आफ़तकाल को भुगत रहा है।

    — Pappu Yadav (@pappuyadavjapl) June 25, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

25 जून 1975 की आधी रात को देश में आपातकाल लागू कर दिया गया था, जिसकी घोषणा 26 जून की सुबह तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रेडियो के जरिए की थी, तब इंदिरा गांधी ने देश की आंतरिक सुरक्षा को खतरा बताते हुए आपातकाल का एलान किया था. आपातकाल लगते ही मीडिया को रेगुलेट कर दिया गया, विरोध करने वालों को जेल में ठूस दिया गया. अभिव्यक्ति की आजादी को भी कुचल दिया गया, जबकि नागरिकों के मौलिक अधिकार को भी सस्पेंड कर दिया गया.

उस दिन इंदिरा गांधी ने क्या कहा

इंदिरा गांधी ने 26 जून 1975 की सुबह रेडियो पर देश को संबोधित किया. अपने संदेश में उन्होंने कहा कि जब से मैंने आम आदमी और देश की महिलाओं के फायदे के लिए कुछ प्रगतिशील कदम उठाए हैं, तभी से मेरे खिलाफ साजिश रची जा रही है. उन्होंने कहा कि देश की आंतरिक सुरक्षा को खतरा है. जयप्रकाश नारायण ने जो आंदोलन चलाए हैं, उसकी वजह से प्रजातंत्र खतरे में है. बाहरी ताकतें देश को कमजोर करने में लगी हैं. देश को तेज आर्थिक प्रगति की जरूरत है.

आपातकाल लगाने की असल वजह

1971 में इंदिरा गांधी यूपी की रायबरेली सीट से लोकसभा चुनाव जीती थीं, उनके खिलाफ संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी की ओर से राजनारायण चुनाव लड़े थे. उन्होंने इंदिरा की जीत को कोर्ट में चुनौती दी. राजनारायण ने आरोप लगाया कि इंदिरा ने चुनाव के दौरान गलत तरीकों का इस्तेमाल किया. उनके अनुसार प्रधानमंत्री हाउस के वाहन चुनाव क्षेत्र में देखे गए थे. इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा ने राजनारायण के आरोप को सही ठहराया. उन्होंने इंदिरा गांधी के चुनाव लड़ने पर छह साल के लिए प्रतिबंध लगा दिए. फैसला 12 जून 1975 को सुनाया गया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, 'जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत इंदिरा गांधी ने सरकारी साधनों का दुरुपयोग किया.

भोपाल। आपातकाल लोकतंत्र पर लगा वो बदनुमा दाग है, जिसके साथ जीना ही इस लोकतंत्र की नियति बन गई है. हालांकि, आपातकाल को सभी राजनीतिक दल अपने-अपने हिसाब से परिभाषित करते हैं. सत्तारूढ़ बीजेपी भले ही (Emergency) को (Democracy) का काला अध्याय बताती है, जबकि विपक्ष बीजेपी के शासनकाल को ही आपातकाल के रूप में परिभाषित करने की कोशिश कर रही है. एक ट्वीट को रिट्वीट करते हुए पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने लिखा- किसी ने क्या खूब कहा है- वर्तमान से पराजित लोग ही, इतिहास में जीते हैं! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी कृपया अब आज में आ जाइए! आपके कुप्रबंध से जीता #CoronaVirus, अर्थव्यवस्था इतिहास बना रहा है! मौत, महंगाई और महामारी जैसे शब्द, अब पर्यायवाची लग रहे हैं! माफ करो सरकार, मोदी मतलब बंटाधार.

jitu
जीतू पटवारी का ट्वीट

वहीं जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष पप्पू यादव ने ट्विटर पर लिखा- लगा होगा कभी कोई आपातकाल, पर 16 मई 2014 से देश आफतकाल को भुगत रहा है.

  • लगा होगा कभी कोई आपातकाल

    लेकिन 16 मई 2014 से देश #आफ़तकाल को भुगत रहा है।

    — Pappu Yadav (@pappuyadavjapl) June 25, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

25 जून 1975 की आधी रात को देश में आपातकाल लागू कर दिया गया था, जिसकी घोषणा 26 जून की सुबह तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रेडियो के जरिए की थी, तब इंदिरा गांधी ने देश की आंतरिक सुरक्षा को खतरा बताते हुए आपातकाल का एलान किया था. आपातकाल लगते ही मीडिया को रेगुलेट कर दिया गया, विरोध करने वालों को जेल में ठूस दिया गया. अभिव्यक्ति की आजादी को भी कुचल दिया गया, जबकि नागरिकों के मौलिक अधिकार को भी सस्पेंड कर दिया गया.

उस दिन इंदिरा गांधी ने क्या कहा

इंदिरा गांधी ने 26 जून 1975 की सुबह रेडियो पर देश को संबोधित किया. अपने संदेश में उन्होंने कहा कि जब से मैंने आम आदमी और देश की महिलाओं के फायदे के लिए कुछ प्रगतिशील कदम उठाए हैं, तभी से मेरे खिलाफ साजिश रची जा रही है. उन्होंने कहा कि देश की आंतरिक सुरक्षा को खतरा है. जयप्रकाश नारायण ने जो आंदोलन चलाए हैं, उसकी वजह से प्रजातंत्र खतरे में है. बाहरी ताकतें देश को कमजोर करने में लगी हैं. देश को तेज आर्थिक प्रगति की जरूरत है.

आपातकाल लगाने की असल वजह

1971 में इंदिरा गांधी यूपी की रायबरेली सीट से लोकसभा चुनाव जीती थीं, उनके खिलाफ संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी की ओर से राजनारायण चुनाव लड़े थे. उन्होंने इंदिरा की जीत को कोर्ट में चुनौती दी. राजनारायण ने आरोप लगाया कि इंदिरा ने चुनाव के दौरान गलत तरीकों का इस्तेमाल किया. उनके अनुसार प्रधानमंत्री हाउस के वाहन चुनाव क्षेत्र में देखे गए थे. इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा ने राजनारायण के आरोप को सही ठहराया. उन्होंने इंदिरा गांधी के चुनाव लड़ने पर छह साल के लिए प्रतिबंध लगा दिए. फैसला 12 जून 1975 को सुनाया गया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, 'जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत इंदिरा गांधी ने सरकारी साधनों का दुरुपयोग किया.

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