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संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल खत्म, मागों पर विचार के लिए स्वास्थ्य मंत्री ने 15 दिना का मांगा समय - स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी

4 दिनों से चली आ रही संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल खत्म हो गई है. स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी के बंगले पर हुई बैठक के बाद हड़ताल खत्म हो गई. 15 दिन का आश्वासन दिया गया है.

contract health workers strike ended in bhopal
संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल खत्म
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Published : May 28, 2021, 3:41 AM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में 4 दिनों से चली आ रही संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल खत्म हो गई है. स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी के बंगले पर हुई बैठक के बाद संविदा स्वास्थ्य कर्मियों ने हड़ताल को खत्म कर दिया. बताया जा रहा है कि सरकार के 15 दिनों के आश्वासन के बाद संविदा स्वास्थ्य कर्मियों ने हड़ताल वापस ले ली है. लेकिन उन्होंने चेतावनी भी दी है कि अगर 15 दिन में उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो वह फिर से धरना देंगे. इस दौरान बैठक में एसीएस भी मौजूद थे. बता दें कि पिछले 4 दिनों से प्रदेश के 19 हजार संविदा स्वास्थ्यकर्मी हड़ताल कर रहे थे.

मागों पर विचार के लिए स्वास्थ्य मंत्री ने 15 दिना का मांगा समय

दो सूत्रीय मांगों को लेकर कर रहे थे हड़ताल

अपनी दो सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदेशभर के 19 हजार संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी हड़ताल पर थे. वह 2018 में कैबिनेट में पारित हुए आदेश को मनवाने में लगे हुए हैं, जिसके अनुसार वह नियमित वेतनमान दिए जाने की मांग कर रहे हैं. दूसरी मांग उन कर्मचारियों के लिए है, जिन्हें एनएचएम ने हटा दिया था. स्वास्थ्य कर्मचारी उन्हीं हटाए गए कर्मचारियों को बहाल करने की भी मांग कर रहे हैं. काफी समय से जारी हड़ताल को रोकने के लिए काफी प्रयास भी किए जा रहे थे. एनएचएम की हेड छवि भारद्वाज और एसीएस मोहम्मद सुलेमान से भी इनकी चर्चा इस बीच चलती रही. जिसके बाद बुधवार रात यह सभी मंत्री प्रभु राम चौधरी के बंगले पर एकत्रित हुए और हड़ताल वापस लेने का निर्णय लिया.

संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की मांगों पर विचार करने के लिए 15 दिन का समय चाहिए है, इसके अंदर ही इनकी मांगों का निराकरण किया जाएगा.
-प्रभुराम चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री

मांग पूरी नहीं होने पर हड़ताल की चेतावनी

वही संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि उन्होंने सरकार के आश्वासन के बाद अपनी हड़ताल वापस ले ली है. सरकार ने 15 दिन के अंदर मांगें पूरी करने का आश्वासन दिया है. अगर उसके बाद भी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो यह एक बार फिर से आंदोलन पर जाने को बाध्य होंगे. वहीं इस बीच हड़ताल से सरकार के साथ ही मरीजों को भी कई तरह का नुकसान हुआ. हड़ताल की वजह से कोरोना वैक्सीनेशन का काम भी प्रभावित है.

भोपाल। मध्य प्रदेश में 4 दिनों से चली आ रही संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल खत्म हो गई है. स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी के बंगले पर हुई बैठक के बाद संविदा स्वास्थ्य कर्मियों ने हड़ताल को खत्म कर दिया. बताया जा रहा है कि सरकार के 15 दिनों के आश्वासन के बाद संविदा स्वास्थ्य कर्मियों ने हड़ताल वापस ले ली है. लेकिन उन्होंने चेतावनी भी दी है कि अगर 15 दिन में उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो वह फिर से धरना देंगे. इस दौरान बैठक में एसीएस भी मौजूद थे. बता दें कि पिछले 4 दिनों से प्रदेश के 19 हजार संविदा स्वास्थ्यकर्मी हड़ताल कर रहे थे.

मागों पर विचार के लिए स्वास्थ्य मंत्री ने 15 दिना का मांगा समय

दो सूत्रीय मांगों को लेकर कर रहे थे हड़ताल

अपनी दो सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदेशभर के 19 हजार संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी हड़ताल पर थे. वह 2018 में कैबिनेट में पारित हुए आदेश को मनवाने में लगे हुए हैं, जिसके अनुसार वह नियमित वेतनमान दिए जाने की मांग कर रहे हैं. दूसरी मांग उन कर्मचारियों के लिए है, जिन्हें एनएचएम ने हटा दिया था. स्वास्थ्य कर्मचारी उन्हीं हटाए गए कर्मचारियों को बहाल करने की भी मांग कर रहे हैं. काफी समय से जारी हड़ताल को रोकने के लिए काफी प्रयास भी किए जा रहे थे. एनएचएम की हेड छवि भारद्वाज और एसीएस मोहम्मद सुलेमान से भी इनकी चर्चा इस बीच चलती रही. जिसके बाद बुधवार रात यह सभी मंत्री प्रभु राम चौधरी के बंगले पर एकत्रित हुए और हड़ताल वापस लेने का निर्णय लिया.

संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की मांगों पर विचार करने के लिए 15 दिन का समय चाहिए है, इसके अंदर ही इनकी मांगों का निराकरण किया जाएगा.
-प्रभुराम चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री

मांग पूरी नहीं होने पर हड़ताल की चेतावनी

वही संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि उन्होंने सरकार के आश्वासन के बाद अपनी हड़ताल वापस ले ली है. सरकार ने 15 दिन के अंदर मांगें पूरी करने का आश्वासन दिया है. अगर उसके बाद भी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो यह एक बार फिर से आंदोलन पर जाने को बाध्य होंगे. वहीं इस बीच हड़ताल से सरकार के साथ ही मरीजों को भी कई तरह का नुकसान हुआ. हड़ताल की वजह से कोरोना वैक्सीनेशन का काम भी प्रभावित है.

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