भोपाल। कमलनाथ सरकार के 6 माह के फैसलों की समीक्षा करने के लिए शिवराज सरकार में मंत्री समूह की दूसरी कमेटी बनाई है. इसके पहले भी एक कमेटी का गठन किया गया था. लेकिन उस कमेटी की जगह पर अब यह दूसरी कमेटी बनाई गई है, जो कमलनाथ सरकार के आखिर के 6 माह के कार्यकाल की जांच करेगी. इस जांच कमेटी को लेकर कांग्रेस का कहना है कि पहले बनाई गई कमेटी को क्यों बंद किया गया, क्या उसने गलती से व्यापमं घोटाले या ई-टेंडर घोटाले की फाइल खोल दी थीं.
वहीं, बीजेपी का कहना है कि इस जांच कमेटी से कांग्रेस भयाक्रांत क्यों है. कोविड के कारण प्राथमिकताएं बदली हैं, इसलिए पुराने कार्यकाल की समीक्षा की जा रही है और इस दौरान अगर भ्रष्टाचार सामने आता है, तो कार्रवाई की जाएगी.
मामले में एमपी कांग्रेस के मीडिया विभाग उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि मध्य प्रदेश सरकार ने इस विभीषण राज में मंत्रियों की एक कमेटी बनाई है. जो कमलनाथ सरकार के 6 माह के कार्यकाल की जांच करेगी. इस कमेटी का स्वागत है, लेकिन इसके पहले उन्होंने जो मंत्रियों की कमेटी बनाई थी. जिसमें तुलसी सिलावट, कमल पटेल और नरोत्तम मिश्रा थे. उस समिति को रद्द क्यों किया गया और कमेटी ने 4 माहे में क्या जांच की, इसका खुलासा सरकार को करना चाहिए.
भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि उन्हें बताना चाहिए कि पुरानी कमेटी ने क्या जांच रिपोर्ट दी है या फिर केवल एक जन कल्याणकारी सरकार को बदनाम करने के लिए रोज कमेटियां बनाना और फेल होना उचित काम नहीं हो सकता है. हम सरकार से मांग कर रहे हैं कि जो मंत्री पुरानी कमेटी का सदस्य था, वह हमारी सरकार में भी मंत्री था, तो क्या तुलसीराम सिलावट अपने ही विभाग में हुए भ्रष्टाचार की जांच कर लेंगे.
उन्होंने कहा कि नई कमेटी में गोविंद सिंह राजपूत सदस्य हैं. जो हमारी सरकार में राजस्व परिवहन मंत्री हुआ करते थे. तो क्या वो खुद राजस्व विभाग की जांच कर लेंगे. यह सरकार जनता की आंखों में धूल झोंकने और कमलनाथ सरकार की छवि खराब करने के लिए जिस तरह की ढोंगी कमेटियों का स्वांग कर रही है. ये अपने आप में दुर्भाग्यपूर्ण है. इससे लोकतंत्र में दीमक लगाया जा रहा है. जिस आदमी के बारे में आप कह रहे हैं कि उसकी सरकार में घोटाला हुआ है, वही मंत्री अपनी जांच करेगा.
इस मामले में मध्यप्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि कांग्रेसी कमलनाथ सरकार ने आखिरी 6 माह में जो निर्णय लिए हैं. उसकी जांच मंत्रियों का समूह करेगा, तो उसको लेकर कांग्रेस इतनी भयाक्रांत क्यों हैं. सरकार के फैसलों की समीक्षा सरकार की आने वाली प्राथमिकताओं के तौर पर की जा रही हैं. यदि उसमें भ्रष्टाचार की बू आती है, तो कोई भी दोषी बख्शा नहीं जाएगा.
कमलनाथ सरकार के जो आखिरी छह महीने थे. उस समय कोविड-19 नहीं था, कोविड-19 में भाजपा की सरकार बनी है. तो स्वाभाविक है कि आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश बनाने के लिए लोगों को राहत देने के लिए और जो पिछली सरकार में भ्रष्टाचार हुए हैं, उसकी समीक्षा की जाएगी और जरूरत पड़ेगी, तो जांच एजेंसियों को मामला सौंपा जाएगा.