ETV Bharat / state

मॉडल मंडी एक्ट का अजय सिंह ने किया विरोध, सरकार से की पुनर्विचार करने की मांग - मॉडल मंडी एक्ट

पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने मॉडल एक्ट के खिलाफ अपना विरोध जताया है. उन्होंने कहा है कि शिवराज सरकार ने मॉडल मंडी एक्ट लाकर लाखों किसानों, हम्मालों, मंडी कर्मचारियो और छोटे-छोटे अनाज व्यापारियों के साथ बहुत बड़ा धोखा किया है. वे अंत तक इस कानून के विरोध में आवाज उठाते रहेंगे.

Ajay Singh in opposition to Model Mandi Act
मॉडल मंडी एक्ट के विरोध में अजय सिंह
author img

By

Published : Sep 5, 2020, 8:46 PM IST

भोपाल। पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने मॉडल मंडी एक्ट लाए जाने का विरोध किया है. उन्होंने कहा है कि शिवराज सरकार ने मॉडल मंडी एक्ट लाकर लाखों किसानों, हम्मालों, मंडी कर्मचारियों और छोटे-छोटे अनाज व्यापारियों के साथ बहुत बड़ा धोखा किया है. जिन साहूकारों के चंगुल से किसानों को बचाने के लिए कांग्रेस सरकारों ने कृषि मण्डियों की व्यवस्था बनाई थी, उसे भाजपा सरकार ने पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है. इसे फिर से व्यापारियों के हाथों में सौंपने का षड्यंत्र किया गया है.

भविष्य में होने वाले अनर्थ का संकेत

अजय सिंह ने कहा है कि प्रदेश की लगभग सभी 550 मंडियां किसानों के लिए प्राणवायु आक्सीजन की तरह हैं, जहां वे अपने आपको सुरक्षित महसूस करते हैं. उन्होंने सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि क्या सरकार ने मॉडल मंडी एक्ट लाने के पहले यह सोचा कि अब व्यापारी लोग सिंडीकेट बनाकर मनमाने दाम पर किसानों की उपज खरीदेंगे? उन्हें समय पर पैसा देंगे ? क्या वे समर्थन मूल्य पर कम ग्रेड का सारा अनाज खरीद लेंगे ? या फिर केवल मोटा दाना ही लेंगे?

अजय सिंह ने कहा कि प्याज खरीदी का सबसे बड़ा उदाहरण हमारे सामने है, जिसमें किसानों से दो रूपये किलो प्याज खरीद कर उसे 40 से 60 रूपये किलो तक बेचा गया. अजय सिंह ने कहा शिवराज सरकार ने कभी नही सोचा कि एक्ट के विरोध में अचानक दस हजार किसान, हम्माल और मण्डी कर्मचारी राजधानी में एकत्र कैसे हो गये ? यह भविष्य में होने वाले अनर्थ का संकेत है. उन्होंने कहा कि एक्ट में पूरे प्रदेश में एक ही लाइसेंस से व्यापार करने का प्रावधान है. जाहिर है कि सरकार दबाव में काम कर रही है. इससे प्रदेश के छोटे व्यापारी मारे जायेंगे और मण्डियों से रोजी-रोटी चलाने वाले बेकार हो जायेंगे.

किसान का प्रतिनिधित्व खत्म होगा

अजय सिंह ने कहा कि अभी मंडियों से होने वाली आय का कुछ हिस्सा अधोसंचरना विकास, निराश्रित निधि और कृषि अनुसंधान के लिए मिलता है. गोशालाएं चलाई जाती हैं और जरूरत के वक्त मण्डी बोर्ड सरकार को पैसा भी देता है. नया एक्ट आने के बाद यह सब बंद हो जायेगा. उन्होंने कहा है कि मध्यप्रदेश ही ऐसा राज्य है, जहां मंडी बोर्ड है, जिसका अपना स्वतंत्र अस्तित्व है. बाकी अन्य राज्यों में मंडी संचालनालय है, इसे सभी व्यापारियों का वर्चस्व खत्म करने के लिए चुने हुए प्रतिनिधि चलाते हैं. कांग्रेस सरकार ने यह भी व्यवस्था की थी कि मण्डी समितियों में किसान लोग ही प्रतिनिधि चुन कर आते थे, व्यापारी प्रतिनिधि केवल एक होता था. मंडियों में अब किसान का प्रतिनिधित्व शून्य हो जायेगा.
दबाव में है सरकार
अजय सिंह ने कहा कि पूर्व में बीजेपी सरकार के ही दो पूर्व कृषि मंत्रियों और बाद में कांग्रेस सरकार के कृषि मंत्री इस प्रस्ताव को खारिज कर चुके थे. अब पता नहीं किस लॉबी के दबाव में माडल मंडी एक्ट लाया जा रहा है. मुझे जानकारी मिली है कि आगामी विधानसभा में एक्ट पास करने के लिए बिल लाया जा रहा है. मै संकट की इस घड़ी में प्रदेश के किसानों के पक्ष में खड़ा हूं और अंत तक इस कानून के विरोध में आवाज उठाता रहूंगा. सरकार को इस एक्ट को लागू करने के बारे में पुनर्विचार करना चाहिए.

भोपाल। पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने मॉडल मंडी एक्ट लाए जाने का विरोध किया है. उन्होंने कहा है कि शिवराज सरकार ने मॉडल मंडी एक्ट लाकर लाखों किसानों, हम्मालों, मंडी कर्मचारियों और छोटे-छोटे अनाज व्यापारियों के साथ बहुत बड़ा धोखा किया है. जिन साहूकारों के चंगुल से किसानों को बचाने के लिए कांग्रेस सरकारों ने कृषि मण्डियों की व्यवस्था बनाई थी, उसे भाजपा सरकार ने पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है. इसे फिर से व्यापारियों के हाथों में सौंपने का षड्यंत्र किया गया है.

भविष्य में होने वाले अनर्थ का संकेत

अजय सिंह ने कहा है कि प्रदेश की लगभग सभी 550 मंडियां किसानों के लिए प्राणवायु आक्सीजन की तरह हैं, जहां वे अपने आपको सुरक्षित महसूस करते हैं. उन्होंने सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि क्या सरकार ने मॉडल मंडी एक्ट लाने के पहले यह सोचा कि अब व्यापारी लोग सिंडीकेट बनाकर मनमाने दाम पर किसानों की उपज खरीदेंगे? उन्हें समय पर पैसा देंगे ? क्या वे समर्थन मूल्य पर कम ग्रेड का सारा अनाज खरीद लेंगे ? या फिर केवल मोटा दाना ही लेंगे?

अजय सिंह ने कहा कि प्याज खरीदी का सबसे बड़ा उदाहरण हमारे सामने है, जिसमें किसानों से दो रूपये किलो प्याज खरीद कर उसे 40 से 60 रूपये किलो तक बेचा गया. अजय सिंह ने कहा शिवराज सरकार ने कभी नही सोचा कि एक्ट के विरोध में अचानक दस हजार किसान, हम्माल और मण्डी कर्मचारी राजधानी में एकत्र कैसे हो गये ? यह भविष्य में होने वाले अनर्थ का संकेत है. उन्होंने कहा कि एक्ट में पूरे प्रदेश में एक ही लाइसेंस से व्यापार करने का प्रावधान है. जाहिर है कि सरकार दबाव में काम कर रही है. इससे प्रदेश के छोटे व्यापारी मारे जायेंगे और मण्डियों से रोजी-रोटी चलाने वाले बेकार हो जायेंगे.

किसान का प्रतिनिधित्व खत्म होगा

अजय सिंह ने कहा कि अभी मंडियों से होने वाली आय का कुछ हिस्सा अधोसंचरना विकास, निराश्रित निधि और कृषि अनुसंधान के लिए मिलता है. गोशालाएं चलाई जाती हैं और जरूरत के वक्त मण्डी बोर्ड सरकार को पैसा भी देता है. नया एक्ट आने के बाद यह सब बंद हो जायेगा. उन्होंने कहा है कि मध्यप्रदेश ही ऐसा राज्य है, जहां मंडी बोर्ड है, जिसका अपना स्वतंत्र अस्तित्व है. बाकी अन्य राज्यों में मंडी संचालनालय है, इसे सभी व्यापारियों का वर्चस्व खत्म करने के लिए चुने हुए प्रतिनिधि चलाते हैं. कांग्रेस सरकार ने यह भी व्यवस्था की थी कि मण्डी समितियों में किसान लोग ही प्रतिनिधि चुन कर आते थे, व्यापारी प्रतिनिधि केवल एक होता था. मंडियों में अब किसान का प्रतिनिधित्व शून्य हो जायेगा.
दबाव में है सरकार
अजय सिंह ने कहा कि पूर्व में बीजेपी सरकार के ही दो पूर्व कृषि मंत्रियों और बाद में कांग्रेस सरकार के कृषि मंत्री इस प्रस्ताव को खारिज कर चुके थे. अब पता नहीं किस लॉबी के दबाव में माडल मंडी एक्ट लाया जा रहा है. मुझे जानकारी मिली है कि आगामी विधानसभा में एक्ट पास करने के लिए बिल लाया जा रहा है. मै संकट की इस घड़ी में प्रदेश के किसानों के पक्ष में खड़ा हूं और अंत तक इस कानून के विरोध में आवाज उठाता रहूंगा. सरकार को इस एक्ट को लागू करने के बारे में पुनर्विचार करना चाहिए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.