भोपाल। मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार निर्दलीय और सपा-बसपा विधायकों के समर्थन से चल रही है. बहुमत के आंकड़े से महज 2 सीट पीछे रह जाने के कारण कांग्रेस को निर्दलीय और दूसरे दलों के विधायकों का सहयोग लेना पड़ा है, लेकिन हाल ही में स्थिति कुछ ऐसी निर्मित हुई है कि कांग्रेस खुद बहुमत का आंकड़ा हासिल करने की रणनीति पर काम कर रही है. पिछले दो महीनों में विधानसभा के दो विधायकों का निधन हो गया है. जिसमें जौरा विधायक कांग्रेस और आगर विधायक बीजेपी के थे.
दोनों दलों के एक-एक विधायक के निधन के बाद सत्ताधारी दल कांग्रेस के विधायकों की संख्या 114 पर पहुंच गई है. वहीं बीजेपी के विधायकों की संख्या 108 हो गई है. ऐसी स्थिति में सत्ताधारी दल कांग्रेस की कोशिश है कि दोनों उपचुनाव में कांग्रेस जीत हासिल करें और बहुमत के जादुई आंकड़े 116 पर पहुंच जाए. आगामी उपचुनाव को लेकर कांग्रेस इसी रणनीति पर काम कर रही है और दिग्गज नेता किसी भी कीमत पर चुनाव जीतने की कोशिश में जुटे हुए हैं.
मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनके प्रमुख सलाहकार दिग्विजय सिंह उप चुनाव जीतने की रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं. कांग्रेस की कोशिश है कि किसी तरह इन दोनों सीटों को हासिल किया जाए और खुद की दम पर मध्य प्रदेश विधानसभा में पूर्ण बहुमत हासिल किया जाए. मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अजय सिंह यादव का कहना है कि प्रदेश में 1 साल के काम के आधार पर प्रदेश की जनता कमलनाथ सरकार से खुश है. हमने 350 से ज्यादा वचन एक साल में पूरे किए हैं. हमें उम्मीद है कि जौरा और आगर मालवा का चुनाव कांग्रेस जीतेगी.
उन्होंने कहा हमारे साथ अभी भी 122 विधायकों का समर्थन है. इसलिए बहुमत में कमी अल्पमत की स्थिति नहीं है, लेकिन पार्टी की स्थिति मजबूत होने से हमें लाभ मिलेगा. जनता का भी फायदा होगा. पार्टी और सरकार मजबूती से काम कर सकेगी.