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बिजली बार-बार जाने को लेकर कांग्रेस का बयान, 'साजिश करने वालों को छोड़ेंगे नहीं' - भोपाल

प्रदेश में लगातार हो रही बिजली कटौती पर कांग्रेस सरकार ने 492 लोगों पर कार्रवाई की. वहीं बीजेपी द्वारा उठ रहे सवालों पर कांग्रेस ने कहा कि कहीं ना कहीं आउटसोर्स कर्मचारी के तौर पर बड़ी संख्या में बीजेपी के समर्थक और कार्यकर्ताओं की नियुक्ति की गई है, जिसका पता लगाया जा रहा है.

सीएम कमलनाथ
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Published : Apr 30, 2019, 3:26 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार में बिजली कटौती का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. वक्त-बेवक्त जाने वाली बिजली के कारण कांग्रेस सरकार की ऐन चुनाव के समय किरकिरी हो रही है. जनता के साथ-साथ इस मुद्दे पर लगातार बीजेपी कमलनाथ सरकार को घेर रही है. वहीं कांग्रेस के को-ऑर्डिनेटर नरेंद्र सलूजा का कहना है कि कहीं ना कहीं आउटसोर्स कर्मचारी के तौर पर बड़ी संख्या में बीजेपी के समर्थक और कार्यकर्ताओं की नियुक्ति की गई है, जिसका पता लगाया जा रहा है.


नरेंद्र सलूजा ने कहा कि अभी तक 492 लोगों पर कार्रवाई की जा चुकी है. जहां भी बिजली उपलब्धता होने के बाद भी वितरण में गड़बड़ी या जानबूझकर कर बिजली काटी जा रही है, उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. बिजली की उपलब्धता 14,500 मेगावाट है, खपत 9500 मेगावाट है. प्रदेश में सरप्लस बिजली है. इस स्थिति में कोई साजिश करेगा, तो हम छोड़ेंगे नहीं.

कांग्रेस ने बीजेपी को दिया बयान


नरेंद्र सलूजा ने कहा कि हर परिवार को 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने को लेकर हम दृढ़संकल्प हैं. हम उसी दिशा में काम कर रहे हैं. उसमें जो भी बाधा आएगी, हम उसे दूर करेंगे. दरअसल प्रदेश के पास सरप्लस बिजली है, उसके बाद भी लगातार हो रही कटौती को लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पहले ही जांच के आदेश दिए थे. जांच में बड़े पैमाने पर बिजली कंपनियों के अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही सामने आने पर सरकार ने 492 कर्मचारियों पर कार्रवाई भी की थी. इसके बाद भी बिजली कटौती का सिलसिला नहीं रुक रहा है.

भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार में बिजली कटौती का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. वक्त-बेवक्त जाने वाली बिजली के कारण कांग्रेस सरकार की ऐन चुनाव के समय किरकिरी हो रही है. जनता के साथ-साथ इस मुद्दे पर लगातार बीजेपी कमलनाथ सरकार को घेर रही है. वहीं कांग्रेस के को-ऑर्डिनेटर नरेंद्र सलूजा का कहना है कि कहीं ना कहीं आउटसोर्स कर्मचारी के तौर पर बड़ी संख्या में बीजेपी के समर्थक और कार्यकर्ताओं की नियुक्ति की गई है, जिसका पता लगाया जा रहा है.


नरेंद्र सलूजा ने कहा कि अभी तक 492 लोगों पर कार्रवाई की जा चुकी है. जहां भी बिजली उपलब्धता होने के बाद भी वितरण में गड़बड़ी या जानबूझकर कर बिजली काटी जा रही है, उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. बिजली की उपलब्धता 14,500 मेगावाट है, खपत 9500 मेगावाट है. प्रदेश में सरप्लस बिजली है. इस स्थिति में कोई साजिश करेगा, तो हम छोड़ेंगे नहीं.

कांग्रेस ने बीजेपी को दिया बयान


नरेंद्र सलूजा ने कहा कि हर परिवार को 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने को लेकर हम दृढ़संकल्प हैं. हम उसी दिशा में काम कर रहे हैं. उसमें जो भी बाधा आएगी, हम उसे दूर करेंगे. दरअसल प्रदेश के पास सरप्लस बिजली है, उसके बाद भी लगातार हो रही कटौती को लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पहले ही जांच के आदेश दिए थे. जांच में बड़े पैमाने पर बिजली कंपनियों के अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही सामने आने पर सरकार ने 492 कर्मचारियों पर कार्रवाई भी की थी. इसके बाद भी बिजली कटौती का सिलसिला नहीं रुक रहा है.

Intro:भोपाल। सरकार की सख्ती के बाद अनावश्यक बिजली कटौती का सिलसिला रुक नहीं रहा है। वक्त बेवक्त हो रही इस बिजली कटौती के चलते कांग्रेस सरकार को जहां चुनाव के वक्त जनता की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है,वहीं कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में नुकसान होता नजर आ रहा है। हालांकि मध्य प्रदेश के पास सरप्लस बिजली है, उसके बावजूद लगातार हो रही कटौती को लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पहले ही जांच के आदेश दिए थे। इस जांच में बड़े पैमाने पर बिजली कंपनियों के अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही और साजिश सामने आई थी। इस मामले में सरकार ने 492 कर्मचारियों पर कार्रवाई भी की थी। लेकिन कटौती का सिलसिला नहीं रुका और सोमवार को तो कमाल हो गया, जब मुख्यमंत्री कमलनाथ छिंदवाड़ा में अपनी बूथ में वोटिंग करने पहुंचे, तो लाइट चली गई और उन्हें वहां मौजूद मीडियाकर्मियों के कैमरों की लाइट में वोटिंग करनी पड़ी। यहां तक तो ठीक था, ऐसा ही नजारा भोपाल में देखने को मिला। जब मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह अपनी चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे और बिजली गुल हो जाने के कारण उनका पारा चढ़ गया। उन्होंने मंच से बिजली विभाग के अधिकारी को फोन पर फटकार लगाई। उनकी फटकार लगाते ही बिजली वापस आ गई।बिजली की आंख मिचौली को लेकर सियासत हो रही है। कांग्रेस का कहना है कि सरकार की जांच में यह सिद्ध हो चुका है कि बिजली कंपनियों में काम कर रहे आउटसोर्स कर्मचारियों में बड़े पैमाने पर भाजपा समर्थकों की भर्ती की गई है, जो साजिश के तहत बिजली को काट रहे हैं। मुख्यमंत्री के मतदान और दिग्विजय सिंह के चुनावी सभा में बिजली गुल होने पर एक बार फिर सरकार में हड़कंप है और बिजली कटौती को लेकर सख्ती बरतने के निर्देश जारी किए गए हैं। मुख्य सचिव ने सीधे तौर पर आदेश दिए हैं कि अगर बिजली कटौती में किसी तरह की साजिश है, तो कोई भी अधिकारी हो या कर्मचारियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए।


Body:इस मामले मध्यप्रदेश कांग्रेस समन्वयक नरेंद्र सलूजा का कहना है कि कहीं ना कहीं आउटसोर्स कर्मचारी के तौर पर बड़ी संख्या में भाजपा के समर्थक और कार्यकर्ताओं की नियुक्ति की गई है जिसका हम पता लगा रहे हैं हम लगातार निगरानी कर रहे हैं अभी तक 492 लोगों पर कार्रवाई की जा चुकी है जहां भी बिजली उपलब्धता होने के बाद वितरण में गड़बड़ी जानबूझकर या साजिश के तहत की जा रही है तो हम कड़ी कार्रवाई करेंगे किसी को बताएंगे नहीं बिजली की उपलब्धता 14,500 मेगावाट है, खपत 9500 मेगावाट है। मध्यप्रदेश में सरप्लस बिजली है। इस स्थिति में कोई साजिश करेगा, हम छोड़ेंगे नहीं। हर परिवार को 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराना, हमारा दृढ़संकल्प है। हम उसी दिशा में काम कर रहे हैं। उसमें जो भी बाधा आएगी, हम उसे दूर करेंगे।


Conclusion:वहीं बीजेपी द्वारा कांग्रेस पर व्यवस्था न संभाल पाना और निर्दोष कर्मचारियों पर कार्यवाही के आरोप पर कांग्रेस का कहना है कि 25 हजार आउटसोर्स कर्मचारी है। हमनें सिर्फ 492 कर्मचारियों पर कार्यवाही करी है। सभी बीजेपी के होते तो सब पर कार्यवाही होती। चंद दलाल जो बीजेपी का झंडा जेब में लेकर घूम रहे हैं, हम उन पर कार्यवाही कर रहे हैं। सभी बीजेपी नहीं, 99 % ईमानदार है। जो एक प्रतिआ बीजेपी के एंजेट हैं, वो हरकत कर रहे हैं.
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