भोपाल। जिन नगरीय निकायों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. वहां पर सरकार ने प्रशासकों की नियुक्ति शुरू कर दी है. इस आधार पर माना जा सकता है कि अगले 6 महीने में इन नगरीय निकायों के चुनाव संपन्न हो जाएंगे. सत्ताधारी दल कांग्रेस ने अपनी तैयारियों को लेकर मंथन शुरू कर दिया है. नगरीय निकाय चुनाव के एक्ट में बदलाव के कारण पार्षदों के चुनाव राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह के आधार पर हो रहे हैं. ऐसी स्थिति में कांग्रेस पार्षदों की टिकट वितरण के लिए अभी से तैयारी कर रही है. पार्षदों के टिकट वितरण में कांग्रेस जिला कमेटियों को ज्यादा अधिकार देगी. हालांकि अंतिम फैसला प्रदेश कांग्रेस कमेटी करेगी.
दरअसल नगरीय निकाय एक्ट में हुए बदलाव के अनुसार स्थानीय निकायों के महापौर और अध्यक्षों के चुनाव अब जनता द्वारा ना होकर अप्रत्यक्ष प्रणाली से होंगे. जो पार्षद चुनाव जीतकर आएंगे, वह महापौर और अध्यक्ष का चुनाव करेंगे. दूसरी तरफ पार्षदों के चुनाव राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह के आधार पर होंगे. ऐसी स्थिति में मध्यप्रदेश के प्रमुख राजनीतिक दल बीजेपी और कांग्रेस की कोशिश होगी कि ज्यादा से ज्यादा उनके पार्षद चुन कर आएं. ताकि वह अपना महापौर या अध्यक्ष बना सके. इसलिए मध्य प्रदेश का सत्ताधारी दल कांग्रेस पार्षदों के प्रत्याशियों के चयन में निचले स्तर की संगठन की भागीदारी को ज्यादा महत्व देना चाह रहा है. कांग्रेसी सूत्रों की माने तो पार्षद के टिकट चयन की प्रक्रिया में एक जिला स्तर की कमेटी गठित की जाएगी. जो पार्षदों के टिकट वितरण की अनुशंसा करेगी और मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी को भेजेगी. मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी विवाद वाले टिकट चयन पर विचार करेगी और अंतिम रूप देकर सूची जारी करेगी.
इस मामले में मध्य प्रदेश कांग्रेस संगठन के उपाध्यक्ष प्रकाश जैन का कहना है कि टिकट चयन का अंतिम अधिकार प्रदेश कांग्रेस कमेटी का होगा. लेकिन जो हमारी प्रक्रिया होगी, इसमें जो हमारे प्रभारी होंगे, जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष, नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषद के नेता प्रतिपक्ष को मिलाकर प्रत्याशी चयन के लिए कमेटी बनाई जाएगी. उनके सुझाव मंगाए जाएंगे. उसके आधार पर प्रत्याशी चयन किया जाएगा. प्रत्याशियों की घोषणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी करेगी.