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MP में कॉमन सिविल कोड, मिशन 2023-2024 के तरकश का तीर, शिवराज ने एक साथ साधे कई निशाने

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Published : Dec 2, 2022, 8:48 PM IST

2024 के आम चुनाव के पहले बीजेपी की बुनियाद से चले आ रहे कॉमन सिविल कोड के मुद्दे को भी अमल में लाने की तैयारी हो रही है. दो साल बाद होने वाले आम चुनाव के पहले एमपी में अचानक से कॉमन सिविल कोड लागू करने को लेकर कमेटी के गठन का ऐलान कर शिवराज 2023 के विधानसभा चुनाव के पहले एक तीर से कई निशाने साधने जा रहे हैं.

common civil code in mp
कॉमन सिविल कोड शिवराज का निशाना

भोपाल. आदर्श संगठन में गिनी जाने वाली मध्यप्रदेश बीजेपी की तरह ही सीएम शिवराज की गिनती भी बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच एक ऐसे सीएम के तौर पर होती है, जिन्होने मोदी सरकार के हर एजेंडे को पहले इम्प्लीमेंट कर मैदान मार है. आदिवासियों के लिए केन्द्र सरकार की सौगातों की झड़ी का असल एलान एमपी से ही हुआ. अब 2024 के आम चुनाव के पहले बीजेपी की बुनियाद से चला आ रहा कॉमन सिविल कोड के मुद्दे को भी अमल में लाने की तैयारी हो रही है. दो साल बाद होने वाले आम चुनाव के पहले एमपी से अचानक से कॉमन सिविल कोड लागू करने को लेकर कमेटी के गठन का ऐलान कर शिवराज 2023 के विधानसभा चुनाव के पहले एक तीर से कई निशाने साधने जा रहे हैं.

कॉमन सिविल कोड शिवराज का निशाना

मौके और दस्तूर से दिया गया बयान: 2023 के विधानसभा चुनाव में ठीक बारह महीने का वक्त बाकी है. ऐसे समय में सेंधवा से समान नागरिक संहिता को लेकर सीएम शिवराज सिंह चौहान का बयान, क्या धाराप्रवाह भाषण के लिए मशहूर मुख्यमंत्री की एक नई घोषणा भर है या सोचा समझा सियासी दांव है. जिसकी टाइमिंग पहले से तय कर ली गई थी, ताकि सियासत के साथ ये संदेश भी जाए कि केन्द्र सरकार की योजनाओं को लागू करने में अग्रणी रहा मध्यप्रदेश मोदी सरकार की मंशा के मुताबिक ही आगे बढ़ता है. कॉमन सिविल कोड बीजेपी का एजेंडा है और जनसंघ के उस वक्त से है जब हिंदुत्व की हुंकार भर रही बीजेपी के तीन मुद्दे पार्टी के घोषणा पत्र में लगातार बने हुए थे. अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण , कश्मीर में धारा 370 का हटाया जाना और कॉमन सिविल कोड. दो पर अमल हो चुका. अब तैयारी ये है कि 2024 के पहले तीसरा अहम मुद्दा कॉमन सिविल कोड भी अमल में आ जाए.इसी रणनीति के तहत ही चुनाव से ऐन पहले ये मुद्दा गर्माया गया है और बीजेपी शासित राज्यो के जरिए इसे अमल में लाने की कवायद भी शुरू कर दी गई है. हालांकि यहां उत्तराखंड एमपी से आगे निकलता दिखाई दे रहा है.

CM शिवराज का बड़ा ऐलान, MP में समान नागरिक संहिता कानून लाने की तैयारी, गठित होगी कमेटी

कॉमन सिविल कोड शिवराज का निशाना

2023 में ध्रुवीकरण की तैयारी, कॉमन सिविल कोड बनेगा चुनावी मुद्दा: सीएम शिवराज के ऐलान के बाद ये तो तय मानिए कि 2023 के विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में कॉमन सिविल कोड भी बड़ा चुनावी मुद्दा रहेगा. चौथी पारी की शुरुआत से ही शिवराज हिंदुत्व के पैरोकार की तरह आगे बढ़े हैं. मध्यप्रदेश में लव जेहाद के बहुत ज्यादा मामले जब सामने नहीं आए थे तभी शिवराज सरकार ने लव जेहाद के खिलाफ कानून लाने में देर नहीं लगाई. इसी तरह से वेब सीरिज और फिल्मों में धर्म विशेष को निशाना बनाए जाने पर भी तुरंत कार्रवाई की गई.

चौथी पारी में शिवराज की हिंदुत्व की हुंकार: सीएम शिवराज की पिछली तीन पारियों से उनकी पहचान एक ऐसे बीजेपी शासित राज्य के मुख्यमंत्री के रुप में हो चुकी है, जो पार्टी की हार्डकोर हिंदुत्व वाली राजनीति के करीब होते हुए भी एक सुरक्षित दूरी बनाकर चलते रहे हैं. यही वजह है कि सीएम शिवराज को पार्टी का हार्ड हिंदुत्व चेहरा नहीं कहा जा सकता. इसके बजाए उन्होंने खुद की छवि को एक संवेदनशील मुख्यमंत्री के तौर पर विकसित किया है. उन्होंने यह भी साफ किया है कि संवेदनशीलता सिलेक्टिव नहीं है यह हर धर्म के लिए बराबर, लेकिन इसी साल की शुरुआत और अपनी चौथी पारी के दूसरे साल में हैदराबाद में रामानुज सहस्त्राबदी समारोह में दिए गए सीएम शिवराज सिंह चौहान के बयान और उनकी वेशभूषा को याद कीजिए. उन्होंने कहा था कि हिंदुत्व ही राष्ट्रीत्व है और साल खत्म होने पर कॉमन सिविल कोड की पैरवी उसी बयान को अमल में लाने का विस्तार कहा जा सकता है.

कांग्रेस की निगाह में ध्रुवीकरण का खेल शुरू: सीएम के कॉमन सिविल कोड पर दिए गए बयान को लेकर सरकार के मंत्री कांग्रेस पर हमलावर हो गए हैं. गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने प्रदेश कांग्रेस के नेता कमलनाथ, जो इस समय में प्रदेश में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के संयोजनक हैं उन्हें निशाने पर लिया. मिश्रा ने पूछा कि कांग्रेस समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर अपना रुख साफ करे. हालांकि प्रदेश कांग्रेस की तरफ से इसे लेकर कोई आधिकारिक बयान तो नहीं आया है, लेकिन सदन में चर्चा कराए जाने की बात जरूर कही गई है. भारत जोड़ो यात्रा के दौरान प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कांग्रेस के दिग्गज नेता जयराम रमेश ने इसे बीजेपी का चुनाव से पहले खेला गया ध्रुवीकरण का खेल बताया है. उन्होंने कहा है कि बीजेपी चुनाव से पहले ध्रुवीकरण का दांव खेल गई है. चुनाव के समय कॉमन सिविल कोड जैसे मुद्दों को उठाने का मकसद ही ध्रुवीकरण को बढ़ावा देना है.

भोपाल. आदर्श संगठन में गिनी जाने वाली मध्यप्रदेश बीजेपी की तरह ही सीएम शिवराज की गिनती भी बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच एक ऐसे सीएम के तौर पर होती है, जिन्होने मोदी सरकार के हर एजेंडे को पहले इम्प्लीमेंट कर मैदान मार है. आदिवासियों के लिए केन्द्र सरकार की सौगातों की झड़ी का असल एलान एमपी से ही हुआ. अब 2024 के आम चुनाव के पहले बीजेपी की बुनियाद से चला आ रहा कॉमन सिविल कोड के मुद्दे को भी अमल में लाने की तैयारी हो रही है. दो साल बाद होने वाले आम चुनाव के पहले एमपी से अचानक से कॉमन सिविल कोड लागू करने को लेकर कमेटी के गठन का ऐलान कर शिवराज 2023 के विधानसभा चुनाव के पहले एक तीर से कई निशाने साधने जा रहे हैं.

कॉमन सिविल कोड शिवराज का निशाना

मौके और दस्तूर से दिया गया बयान: 2023 के विधानसभा चुनाव में ठीक बारह महीने का वक्त बाकी है. ऐसे समय में सेंधवा से समान नागरिक संहिता को लेकर सीएम शिवराज सिंह चौहान का बयान, क्या धाराप्रवाह भाषण के लिए मशहूर मुख्यमंत्री की एक नई घोषणा भर है या सोचा समझा सियासी दांव है. जिसकी टाइमिंग पहले से तय कर ली गई थी, ताकि सियासत के साथ ये संदेश भी जाए कि केन्द्र सरकार की योजनाओं को लागू करने में अग्रणी रहा मध्यप्रदेश मोदी सरकार की मंशा के मुताबिक ही आगे बढ़ता है. कॉमन सिविल कोड बीजेपी का एजेंडा है और जनसंघ के उस वक्त से है जब हिंदुत्व की हुंकार भर रही बीजेपी के तीन मुद्दे पार्टी के घोषणा पत्र में लगातार बने हुए थे. अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण , कश्मीर में धारा 370 का हटाया जाना और कॉमन सिविल कोड. दो पर अमल हो चुका. अब तैयारी ये है कि 2024 के पहले तीसरा अहम मुद्दा कॉमन सिविल कोड भी अमल में आ जाए.इसी रणनीति के तहत ही चुनाव से ऐन पहले ये मुद्दा गर्माया गया है और बीजेपी शासित राज्यो के जरिए इसे अमल में लाने की कवायद भी शुरू कर दी गई है. हालांकि यहां उत्तराखंड एमपी से आगे निकलता दिखाई दे रहा है.

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कॉमन सिविल कोड शिवराज का निशाना

2023 में ध्रुवीकरण की तैयारी, कॉमन सिविल कोड बनेगा चुनावी मुद्दा: सीएम शिवराज के ऐलान के बाद ये तो तय मानिए कि 2023 के विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में कॉमन सिविल कोड भी बड़ा चुनावी मुद्दा रहेगा. चौथी पारी की शुरुआत से ही शिवराज हिंदुत्व के पैरोकार की तरह आगे बढ़े हैं. मध्यप्रदेश में लव जेहाद के बहुत ज्यादा मामले जब सामने नहीं आए थे तभी शिवराज सरकार ने लव जेहाद के खिलाफ कानून लाने में देर नहीं लगाई. इसी तरह से वेब सीरिज और फिल्मों में धर्म विशेष को निशाना बनाए जाने पर भी तुरंत कार्रवाई की गई.

चौथी पारी में शिवराज की हिंदुत्व की हुंकार: सीएम शिवराज की पिछली तीन पारियों से उनकी पहचान एक ऐसे बीजेपी शासित राज्य के मुख्यमंत्री के रुप में हो चुकी है, जो पार्टी की हार्डकोर हिंदुत्व वाली राजनीति के करीब होते हुए भी एक सुरक्षित दूरी बनाकर चलते रहे हैं. यही वजह है कि सीएम शिवराज को पार्टी का हार्ड हिंदुत्व चेहरा नहीं कहा जा सकता. इसके बजाए उन्होंने खुद की छवि को एक संवेदनशील मुख्यमंत्री के तौर पर विकसित किया है. उन्होंने यह भी साफ किया है कि संवेदनशीलता सिलेक्टिव नहीं है यह हर धर्म के लिए बराबर, लेकिन इसी साल की शुरुआत और अपनी चौथी पारी के दूसरे साल में हैदराबाद में रामानुज सहस्त्राबदी समारोह में दिए गए सीएम शिवराज सिंह चौहान के बयान और उनकी वेशभूषा को याद कीजिए. उन्होंने कहा था कि हिंदुत्व ही राष्ट्रीत्व है और साल खत्म होने पर कॉमन सिविल कोड की पैरवी उसी बयान को अमल में लाने का विस्तार कहा जा सकता है.

कांग्रेस की निगाह में ध्रुवीकरण का खेल शुरू: सीएम के कॉमन सिविल कोड पर दिए गए बयान को लेकर सरकार के मंत्री कांग्रेस पर हमलावर हो गए हैं. गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने प्रदेश कांग्रेस के नेता कमलनाथ, जो इस समय में प्रदेश में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के संयोजनक हैं उन्हें निशाने पर लिया. मिश्रा ने पूछा कि कांग्रेस समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर अपना रुख साफ करे. हालांकि प्रदेश कांग्रेस की तरफ से इसे लेकर कोई आधिकारिक बयान तो नहीं आया है, लेकिन सदन में चर्चा कराए जाने की बात जरूर कही गई है. भारत जोड़ो यात्रा के दौरान प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कांग्रेस के दिग्गज नेता जयराम रमेश ने इसे बीजेपी का चुनाव से पहले खेला गया ध्रुवीकरण का खेल बताया है. उन्होंने कहा है कि बीजेपी चुनाव से पहले ध्रुवीकरण का दांव खेल गई है. चुनाव के समय कॉमन सिविल कोड जैसे मुद्दों को उठाने का मकसद ही ध्रुवीकरण को बढ़ावा देना है.

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