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MP: खेतों में फसल तैयार, खाद का संकट बरकरार, केंद्रीय नेताओं से मिलने पहुंचे सीएम शिवराज - मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दिल्ली पहुंचे

मध्य प्रदेश में बढ़ते खाद संकट को लेकर सोमवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दिल्ली पहुंचे. यहां उन्होंने कई केंद्रीय नेताओं से मुलाकात भी की. दूसरी तरफ प्रदेश में खरीफ की फसल की निदाई-गुड़ाई शुरू होने के साथ ही यूरिया और डीएपी खाद की मांग बढ़ने लगी है. सहकारी समितियों पर कम उपलब्धता और ज्यादा डिमांड के चलते लोगों को पर्याप्त मात्रा में खाद नहीं मिल रहा है. खेतों में फसल तैयार और यूरिका का संकट बरकरार है.

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केंद्रीय नेताओं से मिलने पहुंचे सीएम शिवराज
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Published : Aug 23, 2021, 8:29 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में बढ़ते खाद संकट को लेकर सोमवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दिल्ली पहुंचे. यहां उन्होंने कई केंद्रीय नेताओं से मुलाकात भी की. दूसरी तरफ प्रदेश में खरीफ की फसल की निदाई-गुड़ाई शुरू होने के साथ ही यूरिया और डीएपी खाद की मांग बढ़ने लगी है. सहकारी समितियों पर कम उपलब्धता और ज्यादा डिमांड के चलते लोगों को पर्याप्त मात्रा में खाद नहीं मिल रहा है. खेतों में फसल तैयार और यूरिका का संकट बरकरार है. कई जिलों में यूरिया और डीएपी की कालाबाजारी भी शुरू हो गई है. किसान यूरिया खाद 80 से 90 और डीएपी खाद 50 से 100 तक महंगा खरीदने को मजबूर हैं. ऐसे में बाढ़ से बेहाल किसानों के सामने खाद का नया संकट आ खड़ा हुआ है.

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केंद्रीय नेताओं से मिलने पहुंचे सीएम शिवराज
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केंद्रीय नेताओं से मिलने पहुंचे सीएम शिवराज

केंद्रीय कृषि मंत्री बोले अंतरराष्ट्रीय दिक्कत

मध्यप्रदेश में बने खाद संकट को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का एक बयान सामने आया है. मंत्री ने माना कि बारिश और बाढ़ की वजह से कुछ परेशानी हुई है, लेकिन अब यूरिया और डीएपी खाद की वहीं अब आपूर्ति की जा रही है. केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा है कि मध्यप्रदेश को जितनी यूरिया चाहिए उसका आंवटन केंद्र सरकार ने किया है हालांकि डीएपी खाद की आपूर्ती में जरूर दिक्कत है. उन्होंने इसे अंतर्राष्ट्रीय समस्या बताते हुए कहा है कि इस समस्या को जल्द ही दूर कर लिया जाएगा.

महंगा खाद खरीदने को मजबूर हैं किसान

सरकार ने मध्य प्रदेश में डीएपी खाद के एक बोरे के दाम 1200 रुपये और यूरिया खाद के एक बोरे की कीमत 266 रुपये 68 पैसे तय की है. किसानों को यह खाद सरकारी सोसायटियों के माध्यम से तय किए गए दामों पर खाद मिलता है. सोसायटी किसानों से नकद राशि लेकर खाद नहीं बेचती बल्कि यह केसीसी (किसान क्रिडिट कार्ड) के जरिए उधार दिया जाता है. ऐसे में एक तरफ जहां सोसाइटियों पर खाद की कमी है वहीं ऐसे किसान जिनके पास केसीसी की बैंक गारंटी नहीं है वे नगद में बाजार से खाद खरीदते हैं, लेकिन मौजूदा दौर में बने खाद संकट को देखते हुए खाद विक्रेता किसानों से औने-पौने दाम वसूल रहे हैं. कई दुकानदार 266.68 रुपये की यूरिया खाद की बोरी 320 रुपये में और 1200 के डीएपी खाद की बोरी को 1250 से 1300 रुपये में बेच रहे हैं. कृषि मंत्री के गृह जिले मुरैना में खरीफ फसल का रकबा और यूरिया की उपलब्धता में काफी अंतर है. यहां भी खाद की कालाबाजारी के मामले सामने आने लगे हैं.

खरीफ की फसल, कितना रकबा

खरीफ- 1.78 लाख हेक्टेयर

कुल रकबा खड़ा अनाजफसलएरिया हेक्टेयर में
143.72 हजार हेक्टेयर धान122.00 हजार
ज्वार200 हेक्टेयर
मक्का14,50 हजार
बाजरा 20 हजार
कोदो कुटकी7 हजार हेक्टेयर

दलहन फसलों का रकबा

अरहर 11 हजार हेक्टेयर
मूंग0.90 हजार हेक्टेयर
उड़द5.60 हजार हेक्टेयर
कुल्थी0.50 हेक्टेयर

तिलहन फसलों का रकबा

कुल रकबा 16.30 हजार हेक्टेयर
मूंगफली1.20 हजार हेक्टेयर
तिल 2.50 हजार हेक्टेयर
सोयाबीन5.10 हजार हेक्टेयर
रामतिल 7.50 हजार हेक्टेयर

कितनी मांग, कितनी सप्लाई

यूरिया खाद की डिमांड और आपूर्ती के अंतर को देखने के लिए इंदौर संभाग के उपलब्ध डाटा पर नजर डालें तो बीते दिनों यहां सरकारी सोसाइटियों पर जो यूरिया और डीएपी खाद की सप्लाई की गई उसमें अकेले इंदौर संभाग के आठ जिलों के लिए 1 लाख 47 हजार 474 टन यूरिया का लक्ष्य तय किया गया था जबकि जून महीने के आखिर तक मात्र 73 हजार टन से कुछ अधिक ही यूरिया किसानों तक पंहुचा. मौजूदा हालात में इंदौर जिले की कई संस्थाओँ में यूरिया नहीं है.खंडवा- जरूरत 10 हजार टन यूरिया की लेकिन जिले की सोसाइटियों पर कुछ दिन पहले तक सिर्फ 2 हजार टन यूरिया उपलब्ध था. झाबुआ- 45 हजार टन खाद की जरूरत, उपलब्ध है महज 27 हजार टन. प्रदेश में दूसरे जिलों का भी हाल कुछ इस तरह ही है. यही वजह है कि यूरिया संकट के चलते किसान परेशान हो रहे हैं. कई जिलों से किसानों द्वारा हंगामा और प्रदर्शन किए जाने के मामले भी सामने आए हैं.

भोपाल। मध्य प्रदेश में बढ़ते खाद संकट को लेकर सोमवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दिल्ली पहुंचे. यहां उन्होंने कई केंद्रीय नेताओं से मुलाकात भी की. दूसरी तरफ प्रदेश में खरीफ की फसल की निदाई-गुड़ाई शुरू होने के साथ ही यूरिया और डीएपी खाद की मांग बढ़ने लगी है. सहकारी समितियों पर कम उपलब्धता और ज्यादा डिमांड के चलते लोगों को पर्याप्त मात्रा में खाद नहीं मिल रहा है. खेतों में फसल तैयार और यूरिका का संकट बरकरार है. कई जिलों में यूरिया और डीएपी की कालाबाजारी भी शुरू हो गई है. किसान यूरिया खाद 80 से 90 और डीएपी खाद 50 से 100 तक महंगा खरीदने को मजबूर हैं. ऐसे में बाढ़ से बेहाल किसानों के सामने खाद का नया संकट आ खड़ा हुआ है.

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केंद्रीय नेताओं से मिलने पहुंचे सीएम शिवराज
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केंद्रीय नेताओं से मिलने पहुंचे सीएम शिवराज

केंद्रीय कृषि मंत्री बोले अंतरराष्ट्रीय दिक्कत

मध्यप्रदेश में बने खाद संकट को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का एक बयान सामने आया है. मंत्री ने माना कि बारिश और बाढ़ की वजह से कुछ परेशानी हुई है, लेकिन अब यूरिया और डीएपी खाद की वहीं अब आपूर्ति की जा रही है. केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा है कि मध्यप्रदेश को जितनी यूरिया चाहिए उसका आंवटन केंद्र सरकार ने किया है हालांकि डीएपी खाद की आपूर्ती में जरूर दिक्कत है. उन्होंने इसे अंतर्राष्ट्रीय समस्या बताते हुए कहा है कि इस समस्या को जल्द ही दूर कर लिया जाएगा.

महंगा खाद खरीदने को मजबूर हैं किसान

सरकार ने मध्य प्रदेश में डीएपी खाद के एक बोरे के दाम 1200 रुपये और यूरिया खाद के एक बोरे की कीमत 266 रुपये 68 पैसे तय की है. किसानों को यह खाद सरकारी सोसायटियों के माध्यम से तय किए गए दामों पर खाद मिलता है. सोसायटी किसानों से नकद राशि लेकर खाद नहीं बेचती बल्कि यह केसीसी (किसान क्रिडिट कार्ड) के जरिए उधार दिया जाता है. ऐसे में एक तरफ जहां सोसाइटियों पर खाद की कमी है वहीं ऐसे किसान जिनके पास केसीसी की बैंक गारंटी नहीं है वे नगद में बाजार से खाद खरीदते हैं, लेकिन मौजूदा दौर में बने खाद संकट को देखते हुए खाद विक्रेता किसानों से औने-पौने दाम वसूल रहे हैं. कई दुकानदार 266.68 रुपये की यूरिया खाद की बोरी 320 रुपये में और 1200 के डीएपी खाद की बोरी को 1250 से 1300 रुपये में बेच रहे हैं. कृषि मंत्री के गृह जिले मुरैना में खरीफ फसल का रकबा और यूरिया की उपलब्धता में काफी अंतर है. यहां भी खाद की कालाबाजारी के मामले सामने आने लगे हैं.

खरीफ की फसल, कितना रकबा

खरीफ- 1.78 लाख हेक्टेयर

कुल रकबा खड़ा अनाजफसलएरिया हेक्टेयर में
143.72 हजार हेक्टेयर धान122.00 हजार
ज्वार200 हेक्टेयर
मक्का14,50 हजार
बाजरा 20 हजार
कोदो कुटकी7 हजार हेक्टेयर

दलहन फसलों का रकबा

अरहर 11 हजार हेक्टेयर
मूंग0.90 हजार हेक्टेयर
उड़द5.60 हजार हेक्टेयर
कुल्थी0.50 हेक्टेयर

तिलहन फसलों का रकबा

कुल रकबा 16.30 हजार हेक्टेयर
मूंगफली1.20 हजार हेक्टेयर
तिल 2.50 हजार हेक्टेयर
सोयाबीन5.10 हजार हेक्टेयर
रामतिल 7.50 हजार हेक्टेयर

कितनी मांग, कितनी सप्लाई

यूरिया खाद की डिमांड और आपूर्ती के अंतर को देखने के लिए इंदौर संभाग के उपलब्ध डाटा पर नजर डालें तो बीते दिनों यहां सरकारी सोसाइटियों पर जो यूरिया और डीएपी खाद की सप्लाई की गई उसमें अकेले इंदौर संभाग के आठ जिलों के लिए 1 लाख 47 हजार 474 टन यूरिया का लक्ष्य तय किया गया था जबकि जून महीने के आखिर तक मात्र 73 हजार टन से कुछ अधिक ही यूरिया किसानों तक पंहुचा. मौजूदा हालात में इंदौर जिले की कई संस्थाओँ में यूरिया नहीं है.खंडवा- जरूरत 10 हजार टन यूरिया की लेकिन जिले की सोसाइटियों पर कुछ दिन पहले तक सिर्फ 2 हजार टन यूरिया उपलब्ध था. झाबुआ- 45 हजार टन खाद की जरूरत, उपलब्ध है महज 27 हजार टन. प्रदेश में दूसरे जिलों का भी हाल कुछ इस तरह ही है. यही वजह है कि यूरिया संकट के चलते किसान परेशान हो रहे हैं. कई जिलों से किसानों द्वारा हंगामा और प्रदर्शन किए जाने के मामले भी सामने आए हैं.

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