भोपाल। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर उनको याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की है. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अटल बिहारी वाजपेयी की एक कविता को ट्विटर पर शेयर करते हुए लिखा है कि मध्यप्रदेश के ग्वालियर में जन्मे अटलजी की सादगी,सरलता,सहजता,उनके सिद्धांत,प्रतिस्पर्धी और विरोधी को सम्मान देने का उनका व्यक्तित्व,आज भी जेहन में है.
मुख्यमंत्री कमलनाथ का कहना है कि राजनीति क्षेत्र में उनकी कमी हमेशा महसूस की जाती रहेगी.उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी की कविता “ कहीं आजादी फिर से न खोएं” शेयर करते हुए वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों पर टिप्पणी भी की है.
अटल बिहारी वाजपेयी को सीएम कमलनाथ ने कुछ इस तरह किया याद, ट्विटर पर शेयर की कविता - भोपाल न्यूज
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उन्हें याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की है. सीएम कमलमनाथ ने अटल बिहारी वाजपेयी की एक कविता भी शेयर की है.
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भोपाल। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर उनको याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की है. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अटल बिहारी वाजपेयी की एक कविता को ट्विटर पर शेयर करते हुए लिखा है कि मध्यप्रदेश के ग्वालियर में जन्मे अटलजी की सादगी,सरलता,सहजता,उनके सिद्धांत,प्रतिस्पर्धी और विरोधी को सम्मान देने का उनका व्यक्तित्व,आज भी जेहन में है.
मुख्यमंत्री कमलनाथ का कहना है कि राजनीति क्षेत्र में उनकी कमी हमेशा महसूस की जाती रहेगी.उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी की कविता “ कहीं आजादी फिर से न खोएं” शेयर करते हुए वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों पर टिप्पणी भी की है.
“ कहीं आजादी फिर से न खोएं...” शेयर करते हुए वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों पर टिप्पणी भी की है।Body:मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट करते हुए कहा है कि.....
देश के पूर्व प्रधानमंत्री,भारत रत्न,स्व.अटलबिहारी वाजपेयी जी की जयंती के अवसर पर उन्हें नमन करते हुए आदरांजलि अर्पित करता हूँ
मध्यप्रदेश के ग्वालियर में जन्मे अटलजी की सादगी,सरलता,सहजता,उनके सिद्धांत,प्रतिस्पर्धी व विरोधी को भी सम्मान देने का उनका व्यक्तित्व,आज भी जेहन में है
राजनीति क्षेत्र में उनकी कमी हमेशा महसूस की जाती रहेगी।
कविवर अटलजी की यूँ तो सारी कविताएँ श्रेष्ठ है लेकिन आज के दिन उनकी एक कविता बहुत याद आ रही है।
“ कहीं आजादी फिर से न खोएं...”
मासूम बच्चों,
बूढ़ी औरतों,
जवान मर्दों की लाशों के ढेर पर चढ़कर
जो सत्ता के सिंहासन तक पहुंचना चाहते हैं
उनसे मेरा एक सवाल है ,
क्या मरने वालों के साथ
उनका कोई रिश्ता न था?
न सही धर्म का नाता,
वे यदि घोषणा पत्र हैं तो पशुता का,
प्रमाश हैं तो पतितावस्था का,
ऐसे कपूतों से
मां का निपूती रहना ही अच्छा था,
निर्दोष रक्त से सनी राजगद्दी,
श्मशान की धूल से गिरी है,
सत्ता की अनियंत्रित भूख
रक्त-पिपासा से भी बुरी है।
पांच हजार साल की संस्कृति :
गर्व करें या रोएं?
स्वार्थ की दौड़ में
कहीं आजादी फिर से न खोएं।
https://twitter.com/OfficeOfKNath/status/1209699150536699905?s=19Conclusion: