भोपाल। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भोपाल में मध्यप्रदेश राज्य की अनुसूचित जाति की सलाहकार मंडल की बैठक ली. सीएम कमलनाथ ने कहा कि पिछली सरकार ने अपने पूरे कार्यकाल में मंडल की बैठक आयोजित नहीं की. इस पर उन्हें हैरत हो रही है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. अनुसूचित जाति के हितों के लिए राज्य सरकार हमेशा खड़ी रहेगी.
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बैठक में साफ-साफ कहा कि अनुसूचित जाति सलाहकार मंडल की बैठक 6 साल बाद हो रही है. इस तरह की बैठक लगातार होती रहनी चाहिए. यह बैठक केवल चाय, नाश्ता और कॉफी तक सीमित नहीं होनी चाहिए और न ही इसे औपचारिक बैठक बनाया जाए.
सभी सदस्यों को बैठक की सूचना एक महीने पहले दी जानी चाहिए और बैठक होने से पहले 15 दिन पहले ही सभी से सुझाव मांग लिए जाने चाहिए. इस तरह की बैठक अनुसूचित जाति वर्ग को लाभ पहुंचाने का एक सबसे सरल माध्यम है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान में अनुसूचित जाति वर्ग के लिए जो प्रावधान और अधिकार हैं, उनका सभी शासकीय विभागों में सख्ती से पालन किया जाए. सलाहकार मंडल सार्थक हो और इसके जरिए अनुसूचित जाति वर्ग को लाभ पहुंचना सुनिश्चित हो, यह जिम्मेदारी हम सभी की है.
योजनाओं की क्रियान्वयन पर जताई चिंता
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि यह चिंता का विषय है कि हमारी योजनाओं की क्रियान्वयन प्रक्रिया ठीक नहीं है. इसमें व्यापक सुधार करने की आवश्यकता है. सीएम ने सलाहकार मंडल के सिस्टम में बदलाव की बात कही. इसके लिए बैठक के पहले सदस्यों के सुझाव मांगाए जाएं.
सुझावों का अहम योगदान
इस वर्ग को लाभ पहुंचाने में सरकार कहां कहां तक असफल रही है, यह सुझाव भी सभी को देनी चाहिए, ताकि उन कमियों को दूर किया जा सके. योजनाओं की क्रियान्वयन ठीक ना होना चिंता का विषय है.
6 साल बाद आयोजित हुई बैठक
6 साल के इंतजार के बाद भोपाल स्थित मंत्रालय में अनुसूचित जाति सलाहकार मंडल की बैठक मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में संपन्न हुई. बैठक को लेकर कई बार योजना तो बनाई गई, लेकिन बैठक नहीं कराई गई. अनुसूचित जाति सलाहकार मंडल सरकार से बैठक को लेकर बार-बार निवेदन करता रहा था, इसके बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बैठक आयोजित कराकर सभी की नाराजगी को दूर करने का प्रयास किया है.
बैठक नहीं होने को सीएम ने बताया अहम चूक
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि यह एक गंभीर चूक थी और आगे ऐसा न हो, यह सुनिश्चित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि आज की बैठक में सलाहकार मंडल की भूमिका और उसकी सार्थकता के साथ एक ऐसी व्यवस्था बने, जो अनुसूचित जाति के अधिकारों की रक्षा कर सके. मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान, कानून और अनुसूचित जाति वर्ग के हितों का संरक्षण करने वाली योजनाओं का सख्ती से पालन हो.
2013 के बाद से नहीं हुई बैठक
अनुसूचित जाति सलाहकार मंडल की बैठक 2013 से नहीं हुई है. 6 साल के अंतराल के बाद आखिरकार मुख्यमंत्री ने बैठक की.