भोपाल। बीजेपी हिंदुत्व के जरिए सत्ता का रास्ता खोज रही है तो कांग्रेस भी खुद को सेक्युलर बताने से पीछे नहीं हट रही. पिछले चुनाव में बीजेपी से हिंदुओं का वोट बैंक छिटक गया और एमपी में कांग्रेस को 15 साल बाद सत्ता मिली. वजह रहा दिग्विजय सिंह का नर्मदा प्रेम. छह महीने नर्मदा परिक्रमा और नर्मदा जल की सौगंध खिलाकर निष्ठा के साथ पार्टी का काम करने की कसमें खिलाई गईं. कमलनाथ ने चुनावी शंखनाद भोपाल के गुफा मंदिर से किया. मायने साफ थे कि कांग्रेस हिंदू वोट बैंक को अपनी तरफ खींचना चाहती थी. असर भी दिखा. कमलनाथ पर प्रदेश की जनता ने भरोसा जताया और कांग्रेस ने सरकार बना ली.
![CM Shivraj and Sadhna Singh](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-bho-poojan-shots_22032023200139_2203f_1679495499_1038.jpg)
एजेंडे पर चल रहे शिवराज: सूबे के मुखिया शिवराज सिंह की इमेज सर्वधर्म समभाव की है. विवादित मुद्दों पर शिवराज का शांत रहना उनकी अलग छवि बनाता है. सोशल इंजीनियरिंग के जरिए सभी वर्गों को साधने वाले शिवराज 2018 के बाद बदले-बदले से हैं. उनके बयानों में भी तीखापन आया है. हिंदुत्व के मुद्दे पर अब शिवराज खुलकर बोलते हैं. हालांकि, बीजेपी का एजेंडा हिदुत्व का ही है. इसी एजेंडे पर पर शिवराज भी चल पड़े हैं.
![Kamal Nath worshiped in Congress office in Chaitra Navratri](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/18058360_frzvp1fxoautcof.jpg)
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हिंदू पर्व की झांकियां: बीजेपी कार्यालय में गणेश स्थापना तो कांग्रेस कार्यालय में हिंदुओं के पर्व पर झांकियां देखने को मिलती हैं. कांग्रेस की मेंटलिटी में परिवर्तन 2014 से देखने को मिल रहा है. प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में बड़े हिंदू त्योहारों पर झांकियां सजाई जाने लगी हैं. पहले यह परंपरा नहीं थी. कांग्रेस को समझ आया कि हिंदू वोट बैंक को अपनी तरफ खींचना है तो उनके पर्वों को पार्टी कार्यालय में मनाना ही होगा. इसके बाद रिवाज बदल गया.