भोपाल। शहीद कैप्टन देवाशीष शर्मा 10 दिसंबर 1994 को ऑपरेशन रक्षक के दौरान आतंकवादियों की गोलीबारी के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए थे. बलिदान के लिए उन्हें कीर्ति चक्र और वीर चक्र से सम्मानित किया गया था.शहीद की मां 76 वर्षीय निर्मला शर्मा साल 2007 से हर वर्ष अपने बेटे की याद में सिरेमिक एग्जीबिशन का आयोजन करती हैं. जिसमें वे अपने हाथों से बनाए सिरेमिक के पॉटस से प्राप्त राशि सशस्त्र सेना झंडा निधि में जमा करवाती है. इसी कड़ी में आज 7 दिसंबर से 10 दिसंबर तक चार दिवसीय एग्जीबिशन जिला सैनिक कल्याण बोर्ड में शुरु हुई. इसमें निर्मला शर्मा के साथ अन्य कलाकारों ने भी अपनी कलाकृतियां एग्जीबिट की.
एग्जीबिशन दोपहर 3 से 6 बजे चलेगी
एग्जीबिशन में ब्रिगेडियर आर विनायक विशिष्ट सेवा मेडल, राइटर डॉ. जयलक्ष्मी विनायक और बड़ी संख्या में आर्टिस्ट मौजूद थे. एग्जीबिशन में निर्मला शर्मा के सिरेमिक पॉट्स के साथ वीना सिंह, निशांत, शुभोजित, सुदीप्तो, संजय और अन्य आर्टिस्ट के काम को डिस्प्ले किया गया. एग्जीबिशन दर्शकों के लिए दोपहर 3 से 6 बजे तक खुली रहेगी.
देवाशीष की शौर्य गाथा के साथ गूंजा उन पर तैयार गीत
एग्जीबिशन में कैप्टन देवाशीष शर्मा की फोटो पर फूल चढ़ाए गए. इसके बाद डॉ. जयलक्ष्मी विनायक ने कैप्टन देवाशीष शर्मा की शौर्य गाथा को बताया. साथ ही उन्होंने देवाशीष पर तैयार किए गाने को भी प्रस्तुत किया.
'फ्लैग डे फंड में दूंगी सारी राशि'
कैप्टन देवाशीष शर्मा की मां और सिरेमिक आर्टिस्ट निर्मला शर्मा ने बताया कि 10 दिसंबर को बेटे का शहीदी दिवस है. मेरे इस अभियान में देशभर के आर्टिस्ट सहयोग करते हैं.हर साल वो अपना काम मुझे दे देते हैं. इस बार भी कई आर्टिस्ट ने अपने आर्टवर्क को डिस्प्ले किया है. उससे प्राप्त राशि और मेरे आर्ट वर्क की राशि के साथ मैंने जो सालभर एग्जीबिशन से फंड इक्ट्ठा किया है. उन सबको मिलाकर मैं 10 दिसंबर को फ्लैग डे फंड में सारा पैसा दे दूंगी.
निर्मला ने पूरा जीवन कला और फौज को किया समर्पित
ब्रिगेडियर आर विनायक ने कहा कि निर्मला जी का बेटा इस दुनिया में नहीं रहा्, लेकिन वो उसकी याद को फौज से जोड़े हुए हैं.इसलिए उन्होंने मिट्टी की कलाकृतियों को बनाने की जो कला सीखी थी। उससे वो हर साल वे भारतीय सेना के सशस्त्र सेना झंडा निधि के लिए राशि सौंपती हैं. न्होंने अपना पूरा जीवन कला और फौज को समर्पित कर दिया है.