भोपाल। मध्यप्रदेश युवा कांग्रेस के चुनाव में मतदान के बाद और वोटिंग से पहले वोट रद्द करने के नियम जारी होने को लेकर युवा कांग्रेस के सदस्यों और उम्मीदवारों में जमकर नाराजगी है. उम्मीदवारों ने इसे सुनियोजित एजेंडे का हिस्सा बताया है. उम्मीदवारों ने इस बात पर नाराजगी जताई है कि 50% सदस्यों को मतदान का अवसर नहीं मिला है. उनकी मांग है कि हर उम्मीदवार को कहां से कितने वोट प्राप्त हुए हैं, यह जानने का अधिकार है.
मतदान के बाद जारी हुए वोट रद्द करने के नियम
मध्यप्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी विवेक त्रिपाठी ने शिकायत दर्ज कराई है कि मंगलवार को युवा कांग्रेस के अधिकृत व्हाट्सएप ग्रुप पर एक संदेश डाला गया है. संदेश में मतदान के 3 दिन बाद वोट रद्द करने के नियम जारी किए गए हैं. जिसके कारण युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में नाराजगी का भाव उत्पन्न हुआ है. कार्यकर्ताओं का कहना है कि चुनाव की प्रक्रिया को शुरू हुए 3 साल से ज्यादा हो चुके हैं. जब चुनाव परिणाम आने वाले हैं, उसके पहले हमें तुगलकी आदेश प्राप्त होता है. जिसमें अव्यावहारिक बातों का ज्यादा उल्लेख है.
आधे सदस्यों को नहीं मिला मतदान का मौका
प्रदेश में लगभग 3.5 लाख से ज्यादा सदस्यों को युवा कांग्रेस में जोड़ा गया. लेकिन इसमें से 50 फ़ीसदी से ज्यादा सदस्य सिर्फ इसलिए अपना वोट नहीं डाल पाए, क्योंकि 3 साल पहले वाला उनका मोबाइल नंबर बदल चुका है. मध्यप्रदेश में ज्यादातर आबादी गांव में निवास करती है. जहां नेटवर्क की समस्या बनी रहती है और ग्रामीण युवा मोबाइल को लेकर ज्यादा जागरूक भी नहीं रहते हैं. पुरानी सिम फिर से वापस मिलना उसका नंबर फिर से मिलना बड़ी समस्या है. इन परिस्थितियों में मतदान से वंचित करना सदस्यों से सौतेला व्यवहार है.
कई बार शिकायत पर भी नहीं हुआ सुधार
विवेक त्रिपाठी ने शिकायत में कहा है कि कई युवाओं के जो नंबर पोर्टल पर जारी हुई मतदाता सूची में प्रदर्शित हो रहे हैं, उन्होंने जब वोट डालने का प्रयास किया, तो वोट डालने में असमर्थ रहे. मतदाता सूची में आए नहीं या तो रिजेक्ट लिस्ट में ही दिखाते रहे. इस बारे में कई बार डीआरओ से प्रत्याशियों द्वारा आग्रह किया गया, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ.
वोटिंग के बाद नियम जारी करना सुनियोजित एजेंडे का हिस्सा
विवेक त्रिपाठी ने अपनी शिकायत में कहा है कि हम सभी प्रत्याशियों ने पूरी ईमानदारी के साथ इस प्रक्रिया में हिस्सा लिया है. इसलिए इनके मानदंडों से हमें कोई आपत्ति नहीं है. हमे सिर्फ इस बात की आपत्ति है कि यह सारी बातें चुनाव पूर्व जारी करने हैं की जरूरत थी. चुनाव के 3 दिन बाद उल्लेखित करना किसी सुनियोजित एजेंडे का हिस्सा प्रतीत होता है.मेरा आग्रह है कि प्रत्याशी को जानने का अधिकार है कि उसको कहां से कितना वोट प्राप्त हुआ है.