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Budh Pradosh Vrat 2021: शिव करते हैं तांडव, देवता भी होते हैं नत मस्तक, इन मंत्रों का किया जाप तो प्रसन्न होंगे भोलेनाथ

बुध प्रदोष व्रत आज 21 (Budh Pradosh Vrat 2021) जुलाई (बुधवार) को है. हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है. हर माह की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखने की प्रथा है. शास्त्रों के अनुसार, त्रयोदशी तिथि भगवान शंकर को समर्पित होती है. ऐसे में प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं. इस बार इंद्र योग है जो विशेष फलदायी है.

Budh pradosh 2021
बुध प्रदोष 2021
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Published : Jul 21, 2021, 6:24 AM IST

Updated : Jul 21, 2021, 8:05 AM IST

भोपाल। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव की प्रदोष व्रत के दिन विधि-विधान से पूजा करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. हर माह कुल दो प्रदोष व्रत रखते हैं. इस तरह से कुल 24 प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) रखे जाते हैं. इस व्रत को रखने से चंद्रग्रह के दोष दूर होते हैं और संतान सुख की प्राप्ति होती है. हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी 21 जुलाई को है. बुधवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है.

ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 21 जुलाई दिन बुधवार को शाम 4 बजकर 6 मिनट से होकर अगले दिन 22 जुलाई को दोपहर बाद 1 बजकर 32 मिनट तक रहेगी. चूंकि प्रदोष काल का समय 21 जुलाई को शाम 07:18 से 09:22 तक है, इसलिए प्रदोष व्रत 21 जुलाई को रखा जाएगा.

भगवान करते हैं तांडव (Shiv Tandav)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार त्रयोदशी तिथि को प्रदोष काल में भगवान शिव कैलाश पर्वत के रचित भवन में आनंद तांडव करते हैं. सभी देवी देवता उनकी स्तुति करते हैं, इसलिए जो भी शिवभक्त व्रत रखकर प्रदोष काल में भगवान शिव की अराधना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं भगवान शिव अवश्य पूर्ण करते हैं.

प्रदोष व्रत महत्व (Significance of Pradosh)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है. इस संतान को करने से संतान पक्ष को लाभ मिलता है. प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है. प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है. प्रदोष काल संध्या के समय सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले शुरू हो जाता है.

प्रदोष व्रत पूजा- विधि (Puja Vidhi)

सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें. स्नान करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहनें. घर के मंदिर में दीप जलाएं और अगर संभव हो तो व्रत रखें. भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें. उन्हें पुष्प अर्पित करें. इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें. किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है. भगवान शिव को भोग लगाएं. इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है. भगवान शिव की आरती करें.

प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहुर्त (Pradosh Vrat Shubh Muhurat)

पूजा का मुहूर्त प्रदोष काल में होता है. प्रदोष काल शाम के समय सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले शुरु हो जाता है. यह समय पूजा का लिए शुभ माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार मान्यता है कि इस समय भगवान शिव साक्षात शिवलिंग में प्रकट होते हैं. इस दिन भगवान शिव के पूजन से विशेष फल की प्राप्ति होती है तथा चंद्रमा के अशुभ असर और दोष से छुटकारा मिलता है. यानी आपके शरीर के चंद्र तत्वों में सुधार होता है.

चंद्रमा मन का स्वामी होता है, इसलिए चंद्रमा संबंधी दोष दूर होने से मन को शांति मिलती है.

बुध प्रदोष का महत्व (Significance of Budh Pradosh)

वहीं आपको बता दें सप्ताह के सातो दिनों के प्रदोष व्रत का अपना-अलग अलग महत्व है. बुधवार को प्रदोष काल पड़ने के कारण इसे बुध प्रदोष काल भी कहा जाता है. बुधवार का प्रदोष व्रत रखने से भोलेनाथ जीवन के सभी कष्टों को दूर करते हैं और संतान सुख की प्राप्ति होती है. बुध प्रदोष को जीवन में हर प्रकार की सफलता प्रदान करने वाला कहा गया है. इस व्रत को करने से शत्रुओं का नाश होता है. नौकरी में मनचाही सफलता मिलती है. जीवन में उन्नति के द्वार खुल जाते हैं.

भगवान शिव के मंत्र (Shiv Mantras)

ॐ नमः शिवाय

नमो नीलकण्ठाय

ॐ पार्वतीपतये नमः

ॐ वामदेवाय नम:

ओम अघोराय नम:

ओम तत्पुरूषाय नम:

ओम ईशानाय नम:

भोपाल। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव की प्रदोष व्रत के दिन विधि-विधान से पूजा करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. हर माह कुल दो प्रदोष व्रत रखते हैं. इस तरह से कुल 24 प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) रखे जाते हैं. इस व्रत को रखने से चंद्रग्रह के दोष दूर होते हैं और संतान सुख की प्राप्ति होती है. हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी 21 जुलाई को है. बुधवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है.

ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 21 जुलाई दिन बुधवार को शाम 4 बजकर 6 मिनट से होकर अगले दिन 22 जुलाई को दोपहर बाद 1 बजकर 32 मिनट तक रहेगी. चूंकि प्रदोष काल का समय 21 जुलाई को शाम 07:18 से 09:22 तक है, इसलिए प्रदोष व्रत 21 जुलाई को रखा जाएगा.

भगवान करते हैं तांडव (Shiv Tandav)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार त्रयोदशी तिथि को प्रदोष काल में भगवान शिव कैलाश पर्वत के रचित भवन में आनंद तांडव करते हैं. सभी देवी देवता उनकी स्तुति करते हैं, इसलिए जो भी शिवभक्त व्रत रखकर प्रदोष काल में भगवान शिव की अराधना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं भगवान शिव अवश्य पूर्ण करते हैं.

प्रदोष व्रत महत्व (Significance of Pradosh)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है. इस संतान को करने से संतान पक्ष को लाभ मिलता है. प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है. प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है. प्रदोष काल संध्या के समय सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले शुरू हो जाता है.

प्रदोष व्रत पूजा- विधि (Puja Vidhi)

सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें. स्नान करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहनें. घर के मंदिर में दीप जलाएं और अगर संभव हो तो व्रत रखें. भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें. उन्हें पुष्प अर्पित करें. इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें. किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है. भगवान शिव को भोग लगाएं. इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है. भगवान शिव की आरती करें.

प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहुर्त (Pradosh Vrat Shubh Muhurat)

पूजा का मुहूर्त प्रदोष काल में होता है. प्रदोष काल शाम के समय सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले शुरु हो जाता है. यह समय पूजा का लिए शुभ माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार मान्यता है कि इस समय भगवान शिव साक्षात शिवलिंग में प्रकट होते हैं. इस दिन भगवान शिव के पूजन से विशेष फल की प्राप्ति होती है तथा चंद्रमा के अशुभ असर और दोष से छुटकारा मिलता है. यानी आपके शरीर के चंद्र तत्वों में सुधार होता है.

चंद्रमा मन का स्वामी होता है, इसलिए चंद्रमा संबंधी दोष दूर होने से मन को शांति मिलती है.

बुध प्रदोष का महत्व (Significance of Budh Pradosh)

वहीं आपको बता दें सप्ताह के सातो दिनों के प्रदोष व्रत का अपना-अलग अलग महत्व है. बुधवार को प्रदोष काल पड़ने के कारण इसे बुध प्रदोष काल भी कहा जाता है. बुधवार का प्रदोष व्रत रखने से भोलेनाथ जीवन के सभी कष्टों को दूर करते हैं और संतान सुख की प्राप्ति होती है. बुध प्रदोष को जीवन में हर प्रकार की सफलता प्रदान करने वाला कहा गया है. इस व्रत को करने से शत्रुओं का नाश होता है. नौकरी में मनचाही सफलता मिलती है. जीवन में उन्नति के द्वार खुल जाते हैं.

भगवान शिव के मंत्र (Shiv Mantras)

ॐ नमः शिवाय

नमो नीलकण्ठाय

ॐ पार्वतीपतये नमः

ॐ वामदेवाय नम:

ओम अघोराय नम:

ओम तत्पुरूषाय नम:

ओम ईशानाय नम:

Last Updated : Jul 21, 2021, 8:05 AM IST
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