भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा उपचुनाव की तारीख भले ही घोषित नहीं हुई है, लेकिन राजनीतिक दलों ने तैयारियां तेज कर दी हैं. 24 सीटों पर उपचुनाव होना है, लेकिन सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण ग्वालियर- चंबल क्षेत्र की 10 विधानसभा सीटों को माना जा रहा है. जहां से कांग्रेस के विधायक पहली बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. हालांकि ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ यह सभी विधायक बीजेपी में शामिल हो चुके हैं, 15 महीने बाद फिर जनता के बीच जाएंगे.
विधानसभा उपचुनाव की तैयारी
बीजेपी उम्मीदवारों के सामने कांग्रेस के साथ- साथ बहुजन समाज पार्टी भी चुनौती पेश करेगी. बसपा ग्वालियर- चंबल की सीटों के जरिए किंग मेकर बनने की रणनीति पर काम कर रही है. उम्मीदवारों को लेकर अभी कांग्रेस ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन बीजेपी ने साफ कर दिया है कि, सिंधिया के साथ आए पूर्व विधायक ही फिर चुनाव मैदान में उतरेंगे.
उपचुनाव के सफर में बसपा भी शामिल
विधानसभा उपचुनाव को लेकर बहुजन समाज पार्टी ने भी अपनी कमर कस ली है. बसपा की नजर ग्वालियर- चंबल संभाग की 16 विधानसभा सीटों में से 12 सीटों पर है. इन सीटों पर बहुजन समाज पार्टी का प्रभाव भी रह चुका है. बीएसपी को सत्ता की चाबी हथियाने की उम्मीद जग गई है. हालांकि बसपा उपचुनाव से दूरी बनाकर चलती आई है, लेकिन प्रदेश की मौजूदा परिस्थितियों में बसपा पूरी ताकत से चुनाव तैयारी में जुट गई है.
इन सीटों पर है बसपा का प्रभाव
विधानसभा चुनाव के इतिहास में बहुजन समाज पार्टी इससे पहले मेहगांव, जौरा, सुमावली, मुरैना, दिमनी, अंबाह, भांडेर, करेरा और अशोक नगर सीट पर जीत दर्ज कर चुकी है. वहीं ग्वालियर पूर्व, पोहरी में बसपा निर्णायक भूमिका निभाती आई है. पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा ने ग्वालियर पूर्व में 5446 वोट हासिल किए थे, वहीं पोहरी में कांग्रेस विधायक सुरेश धाकड़ को मुख्य चुनौती बसपा से मिली थी.
जिधर झुकेगी बसपा, उधर पलड़ा होगा भारी
राजनीतिक विश्लेषक शिव अनुराग पटेरिया के मुताबिक ग्वालियर- चंबल इलाके की 16 विधानसभा सीट पर चुनाव हमेशा कठिन होता रहा है, क्योंकि यहां त्रिकोणीय मुकाबला होता है. इस इलाके में हमेशा बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी का प्रभाव रहा है. पिछले चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने अपना असर दिखाया था. इसकी एक वजह दलित आंदोलन भी था. दलित आंदोलन की वजह से बीएसपी का वोट कांग्रेस की तरफ खिसका था, लेकिन इस बार परिस्थितियां बदल गई हैं. वैसे यदि बसपा ने गंभीरता से चुनाव लड़ा तो दो तीन सीट पर उसे फायदा हो सकता है. रणनीति के तौर पर वो जिस ओर झुकेगी, दूसरी पार्टी को नुकसान होगा.
कांग्रेस बोली पिछली बार जैसे होंगे नतीजे
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा दावा कर रहे हैं कि, चुनाव के नतीजे पिछले विधानसभा चुनाव जैसे ही आएंगे, उनका कहना है कि, पिछले चुनाव में भी बसपा चुनाव मैदान में थी. इसके बाद भी कांग्रेस ग्वालियर- चंबल संभाग की सभी सीटें जीती है, उन्होंने कहा कि, बसपा का वोटर समझ गया है कि, यह वोट कटवा पार्टी है. पिछली बार की तरह इस बार भी बसपा के वोटर कांग्रेस को समर्थन देंगे.
कांग्रेस विधायक जो पहली बार जीते थे चुनाव
2018 के विधानसभा चुनाव में अंबाह, अशोक नगर, करेरा, ग्वालियर पूर्व, दिमनी, पोहरी, भांडेर, मुरैना, मेहगांव, हाटपिपलिया सीट से कांग्रेस के टिकट पर पहली बार विधायक जीत कर आए थे. हाटपिपलिया को छोड़कर ग्वालियर चंबल संभाग की 16 सीटों पर बसपा का अच्छा प्रभाव रहा है.
अंबाह से कमलेश जाटव ने नेहा किन्नर को 7547 वोटों से हराया
अशोक नगर से जसपाल सिंह जिज्जी ने डूडू राम कोरी को 9730 वोटों से हराया
करेरा से जसवंत जाटव ने राज कुमार ओम प्रकाश को 14824 वोटों से हराया
ग्वालियर पूर्व से मुन्नालाल गोयल ने सतीश सिकरवार को 17819 वोटों से हराया
दिमनी से गिरिराज दंडोतिया ने शिवमंगल सिंह तोमर को 18477 वोटों से हराया
पोहरी से सुरेश धाकड़ ने कैलाश कुशवाहा को 7918 वोटों से हराया
भांडेर से रक्षा सरोनिया ने रजनी प्रजापति को 39896 वोटों से हराया
मुरैना से रघुराज कंसाना ने रुस्तम सिंह को 20849 वोटों से हराया
मेहगांव से ओपी एस भदौरिया ने राकेश शुक्ला को 25814 वोटों से हराया
हाटपिपलिया से मनोज चौधरी ने दीपक जोशी को 13519 वोटों से हराया
लिहाजा मध्यप्रदेश में 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए अभी तक तारीखों का एलान नहीं हुआ है, बीजेपी- कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है और इन दोनों पार्टियों के बीच बसपा भी अपनी दावेदारी पेश कर रही है, लेकिन कौन किस पर भारी होगा, ये तो चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा.