भोपाल। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 74वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कहा था कि आने वाले 1000 दिनों में देश का हर गांव ऑप्टिकल फाइबर केबल से जोड़ा जाएगा. देश में डिजिटल डिवाइड की स्थिति समाप्त हो जाएगी. लेकिन मध्य प्रदेश में प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया के सपने को पूरा होने में वक्त लगेगा. प्रदेश में ब्रॉडबैंड सेवा तो 13 हजार ग्राम पंचायतों तक पहुंच गई है. लेकिन डिजिटल डिवाइड की खाई इतनी बड़ी है कि भरने का नाम नहीं ले रही. नेशनल सैंपल सर्वे के अनुसार मध्य प्रदेश के गांवों और शहरी क्षेत्रों की तुलना की जाए तो शहरी क्षेत्रों में जहां 20 प्रतिशत घरों में इंटरनेट सेवा के साधन मौजूद हैं. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में यह आंकड़ा महज 4 प्रतिशत तक आ जाता है.
प्रशासनिक अधिकारी दावा तो कर रहे है कि मात्र 9 हजार ग्राम पंचायतों में ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवा पहुंचाना बाकी है. वास्तविक्ता देखी जाए तो गांवों में ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवा तो पहुंच गई है, लेकिन डिजिटल डिवाइड की स्थिती अभी भी बनी हुई है. डिजिटल डिवाइड की स्थिती न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में है, बल्कि शहरी क्षेत्रों में भी स्थिती बहुत अच्छी नहीं है. पहाड़ी इलाकों में इंटरनेट सेवा पहुंचाना जटील काम बन चुका है.
प्रदेश सरकार के आंकड़ों में 13,899 पंचायतों को ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवा से जोड़ दिया गया है. लेकिन उसका इस्तेमाल कौन कर रहा है इसका आंकड़ा नहीं है. प्रदेश सरकार सूबे की सभी पंचायतों में कंप्यूटर प्रिंटर से लेकर कई सुविधाएं और उपकरण 7 साल पहले ही दे चुकी है. लेकिन पंचायत में रहने वाली जनता इंटरनेट सुविधा का कितना उपयोग कर पा रही है इसका भी कोई आंकड़ा नहीं है.
नेट परियोजना से जुड़े प्रदेश के 13 हजार गांव
मध्य प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी कामों में तेजी लाने के लिए भारत नेट प्रोजेक्ट के तहत पंचायतों को ब्रॉडबैंड सेवा से जोड़ा जा रहा है. भारत नेट प्रोजेक्ट साल 2011 में शुरू हुआ था. इस योजना के तहत मार्च 2021 तक सभी पंचायतों को ब्रॉडबैंड से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है. लेकिन इंटरनेट सुविधा सिर्फ सरकारी कार्यालयों तक सिमित हैं. ग्रामीण क्षेत्रों के घर-घर तक इंटरनेट सुविधा पहुंचाने का अधूरा है. पंचायत राज संचालनालय के आयुक्त बीएस जामोद के मुताबिक इस योजना के तहत प्रदेश भर की सभी 23,922 पंचायतों को ब्रॉडबैंड से जोड़ा जाना है. हालांकि अभी तक प्रदेश की 13,899 पंचायतों को ही इससे जोड़ा जा सका है. अभी 8,912 पंचायतों को इससे जोड़ा जाना बाकी है.
आईटी डिपार्टमेंट को बनाया नोडल डिपार्टमेंट
मध्य प्रदेश में आईटी डिपार्टमेंट को इसका नोडल विभाग बनाया गया है. राज्य सरकार ने उन गांवों की भी लिस्टिंग की है जहां कनेक्टिविटी को बेहतर किया जाना है. माना जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट के बाद प्रदेश के ग्रामीण अंचल तक नेट की बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी. सरकारी काम काज के साथ-साथ लोगों तक सरकारी सेवाओं का लाभ आसानी से मिल सकेगा. सरकार को चाहिए कि वो डिजिटल डिवाइड को दूर करने के लिए भी कोई डिपार्टमेंट बनाए. तभी सर्वे के चौकाने वाले आंकड़ों के मकड़जाल से बाहर निकला जा सकता है.
ऑनलाइन सेवाओं को बढ़ा रही सरकार
प्रदेश सरकार अपनी योजना में सरकारी तंत्र को तो मजबूत और ऑनलाइन कर रही है. एक कदम आगे बढ़ते हुए आय प्रमाण पत्र और स्थाई निवासी प्रमाण पत्र के लिए भी ऑनलाइन व्यवस्था शुरू कर दी गई है. लोग घर बैठे व्हाट्सएप पर आवेदन कर सकेंगे. 1 दिन में यह प्रमाण पत्र लोगों को व्हाट्सएप पर ही मिल जाएंगे.
घर बैठे मिलेंगे जरूरी प्रमाण पत्र
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले दिनों इसकी शुरुआत करते हुए कहा कि, जल्द इस तरह की और भी सेवाओं को इंटरनेट से जोड़ा जाएगा. इससे लोगों को घर बैठे ही जरूरी प्रमाण पत्र मिल सकेंगे. सरकार सुशासन के लिए डिजिटल राह अपना रही है ताकि लोक सेवाओं की पहुंच को और आसान बनाया जा सके. प्रदेश में चल रहे विभिन्न पोर्टल के स्थान पर राज्य सरकार एक रिपोर्ट तैयार कर रही है. इसी तरह चैट बोट सेवा सरकार शुरू कर चुकी है. साथ ही सरकारी कर्मचारियों को भी आईडी के उपयोग के लिए ट्रेनिंग दिलाई जा रही है.
2 साल में 40 फ़ीसदी बढ़े कियोस्क सेंटर
ऑनलाइन सेवाओं से लोगों की परेशानियां काफी कम हुई है. कुछ साल पहले मध्य प्रदेश में शुरू किए गए एमपी ऑनलाइन कियोस्क की संख्या बढ़कर 28 हज़ार हो गई है. बीते 2 सालों में कियोस्क की संख्या करीब 40 फीसदी बढ़ी है. इससे ऑनलाइन सेवा आसान हुई है, साथ ही लोगों के लिए रोजगार के साधन भी बढ़े हैं.