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शरद पूर्णिमा पर बांके बिहारी और बाबा बटेश्वर को कराया गया नौका विहार, भक्ति के रंग में लोग भूले सोशल डिस्टेंसिंग

भोपाल में शरद पूर्णिमा के अवसर पर शीतल दास की बगिया पर नौका विहार का कार्यक्रम आयोजित किया गया. शहर के कई मंदिरों में विशेष पूजा करके प्रसाद बांटा गया.

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Published : Oct 31, 2020, 8:08 AM IST

bhopal
शरद पूर्णिमा पर नौका विहार

भोपाल। शरद पूर्णिमा के अवसर पर देर शाम चंद्रमा के उदय के साथ ही मंदिरों और घरों में शरद पूर्णिमा की विशेष पूजा अर्चना की गई. इस दौरान शहर के कई मंदिर देर रात तक खुले रहे, तो वहीं कई मंदिरों में भजन संध्या का आयोजन भी किया गया. इसके अलावा कई स्थानों पर प्रसाद के रूप में तैयार की गई खीर का वितरण भी किया गया, शरद पूर्णिमा शुक्रवार को सर्वार्थ सिद्धि एवं रवि योग में मनाई गई.

शरद पूर्णिमा पर नौका विहार

शरद पूर्णिमा के अवसर पर हर वर्ष आयोजित होने वाले भव्य कार्यक्रम इस वर्ष कोरोना संक्रमण के चलते आयोजित नहीं किए गए, इस वर्ष शहर में कोरोना के अत्यधिक मामले होने की वजह से शीतल दास की बगिया घाट से प्रतीकात्मक बांके बिहारी एवं बाबा बटेश्वर को नौका विहार कराया गया. नाव को फूलों से विशेष तौर पर सुसज्जित किया गया था. जिसमें भगवान को विराजमान किया गया.

भक्ति के रंग में सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क पहनना भूले लोग

शीतल दास की बगिया पर आयोजित किए गए नौका विहार कार्यक्रम के दौरान वहां मौजूद लोग शरद पूर्णिमा की भक्ति में कुछ इस तरह से खो गए कि उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग और फेस मास्क का भी ध्यान नहीं रहा, जो लोगों के लिए खतरनाक भी साबित हो सकता है. क्योंकि शहर से अभी भी कोरोना का संक्रमण समाप्त नहीं हुआ है, लेकिन इस दौरान शीतल दास की बगिया पर काफी संख्या में भीड़ एकत्रित हो गई थी, लोगों के द्वारा कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जारी गाइडलाइन का पालन नहीं किया गया.

शहर के कई मंदिरों में की गई विशेष आरती

शहर के बिरला मंदिर में भी शरद पूर्णिमा के अवसर पर भगवान राधा-कृष्ण का विशेष श्रृंगार किया गया. इस दौरान पूरे विधि विधान के साथ मंदिर में स्थापित राधा-कृष्ण की प्रतिमाओं की पूजा अर्चना कर आरती संपन्न की गई, लेकिन इस वर्ष बिरला मंदिर में श्रद्धालुओं को खीर का प्रसाद नहीं बांटा गया, बल्कि लड्डू और पेड़े के प्रसाद ही भक्तों को वितरित किए गए, इसके अलावा गुफा मंदिर लालघाटी में महंत चंद्रमा दास त्यागी के सानिध्य में भगवान राधा कृष्ण का अभिषेक किया गया और पूजा अर्चना के बाद श्रद्धालुओं को खीर वितरित की गई.

तुलसी की परिक्रमा कर लोगों ने की सुख शांति की प्रार्थना

शरद पूर्णिमा के अवसर पर भक्तों के द्वारा सुबह से ही निर्जला व्रत रखा गया था, इस दौरान शरद पूर्णिमा पर व्रत धारी महिलाओं द्वारा मावा एवं शक्कर मिलाकर सात लड्डू बनाए गए. तुलसी माता के साथ भगवान कृष्ण को भोग लगा कर पूजा-अर्चना भी की गई. सुहागन महिलाओं ने शरद पूर्णिमा पर्व पर भगवान लक्ष्मी नारायण शालिग्राम के साथ तुलसी की पूजा कर मावा के लड्डू का भोग लगाया. इसके अलावा तुलसी की परिक्रमा कर घर में सुख शांति की प्रार्थना भी की गई.

मान्यता के अनुसार शरद पूर्णिमा पर बरसता है अमृत

ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन अमृत की वर्षा होती है. इसे देखते हुए मंदिरों एवं घरों की छतों पर लोगों के द्वारा तैयार की गई विशेष खीर चंद्रमा की रोशनी में रखी जाती है और बाद में इसे प्रसाद के स्वरूप ग्रहण किया जाता है, ऐसी भी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को माता लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं. चंद्रमा अपनी संपूर्ण 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है. पूर्णिमा तिथि का स्वामी भी स्वयं चंद्रमा ही हैं, इसलिए उसकी किरणों से इस रात अमृत की वर्षा होने की प्राचीन मान्यता चली आ रही है.

कोरोना संक्रमण के चलते मंदिरों से दूर रहकर भक्तों ने घर पर की पूजा अर्चना

शहर में बढ़ते कोरोना संक्रमण के चलते इस वर्ष लोगों ने मंदिरों से दूरी बनाई रखी. यही वजह है कि इस वर्ष मंदिरों में पिछले वर्ष की तरह भीड़ भाड़ देखने को नहीं मिली है. शहर के ज्यादातर लोगों ने घर पर रहकर ही पूजा अर्चना की.

भोपाल। शरद पूर्णिमा के अवसर पर देर शाम चंद्रमा के उदय के साथ ही मंदिरों और घरों में शरद पूर्णिमा की विशेष पूजा अर्चना की गई. इस दौरान शहर के कई मंदिर देर रात तक खुले रहे, तो वहीं कई मंदिरों में भजन संध्या का आयोजन भी किया गया. इसके अलावा कई स्थानों पर प्रसाद के रूप में तैयार की गई खीर का वितरण भी किया गया, शरद पूर्णिमा शुक्रवार को सर्वार्थ सिद्धि एवं रवि योग में मनाई गई.

शरद पूर्णिमा पर नौका विहार

शरद पूर्णिमा के अवसर पर हर वर्ष आयोजित होने वाले भव्य कार्यक्रम इस वर्ष कोरोना संक्रमण के चलते आयोजित नहीं किए गए, इस वर्ष शहर में कोरोना के अत्यधिक मामले होने की वजह से शीतल दास की बगिया घाट से प्रतीकात्मक बांके बिहारी एवं बाबा बटेश्वर को नौका विहार कराया गया. नाव को फूलों से विशेष तौर पर सुसज्जित किया गया था. जिसमें भगवान को विराजमान किया गया.

भक्ति के रंग में सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क पहनना भूले लोग

शीतल दास की बगिया पर आयोजित किए गए नौका विहार कार्यक्रम के दौरान वहां मौजूद लोग शरद पूर्णिमा की भक्ति में कुछ इस तरह से खो गए कि उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग और फेस मास्क का भी ध्यान नहीं रहा, जो लोगों के लिए खतरनाक भी साबित हो सकता है. क्योंकि शहर से अभी भी कोरोना का संक्रमण समाप्त नहीं हुआ है, लेकिन इस दौरान शीतल दास की बगिया पर काफी संख्या में भीड़ एकत्रित हो गई थी, लोगों के द्वारा कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जारी गाइडलाइन का पालन नहीं किया गया.

शहर के कई मंदिरों में की गई विशेष आरती

शहर के बिरला मंदिर में भी शरद पूर्णिमा के अवसर पर भगवान राधा-कृष्ण का विशेष श्रृंगार किया गया. इस दौरान पूरे विधि विधान के साथ मंदिर में स्थापित राधा-कृष्ण की प्रतिमाओं की पूजा अर्चना कर आरती संपन्न की गई, लेकिन इस वर्ष बिरला मंदिर में श्रद्धालुओं को खीर का प्रसाद नहीं बांटा गया, बल्कि लड्डू और पेड़े के प्रसाद ही भक्तों को वितरित किए गए, इसके अलावा गुफा मंदिर लालघाटी में महंत चंद्रमा दास त्यागी के सानिध्य में भगवान राधा कृष्ण का अभिषेक किया गया और पूजा अर्चना के बाद श्रद्धालुओं को खीर वितरित की गई.

तुलसी की परिक्रमा कर लोगों ने की सुख शांति की प्रार्थना

शरद पूर्णिमा के अवसर पर भक्तों के द्वारा सुबह से ही निर्जला व्रत रखा गया था, इस दौरान शरद पूर्णिमा पर व्रत धारी महिलाओं द्वारा मावा एवं शक्कर मिलाकर सात लड्डू बनाए गए. तुलसी माता के साथ भगवान कृष्ण को भोग लगा कर पूजा-अर्चना भी की गई. सुहागन महिलाओं ने शरद पूर्णिमा पर्व पर भगवान लक्ष्मी नारायण शालिग्राम के साथ तुलसी की पूजा कर मावा के लड्डू का भोग लगाया. इसके अलावा तुलसी की परिक्रमा कर घर में सुख शांति की प्रार्थना भी की गई.

मान्यता के अनुसार शरद पूर्णिमा पर बरसता है अमृत

ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन अमृत की वर्षा होती है. इसे देखते हुए मंदिरों एवं घरों की छतों पर लोगों के द्वारा तैयार की गई विशेष खीर चंद्रमा की रोशनी में रखी जाती है और बाद में इसे प्रसाद के स्वरूप ग्रहण किया जाता है, ऐसी भी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को माता लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं. चंद्रमा अपनी संपूर्ण 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है. पूर्णिमा तिथि का स्वामी भी स्वयं चंद्रमा ही हैं, इसलिए उसकी किरणों से इस रात अमृत की वर्षा होने की प्राचीन मान्यता चली आ रही है.

कोरोना संक्रमण के चलते मंदिरों से दूर रहकर भक्तों ने घर पर की पूजा अर्चना

शहर में बढ़ते कोरोना संक्रमण के चलते इस वर्ष लोगों ने मंदिरों से दूरी बनाई रखी. यही वजह है कि इस वर्ष मंदिरों में पिछले वर्ष की तरह भीड़ भाड़ देखने को नहीं मिली है. शहर के ज्यादातर लोगों ने घर पर रहकर ही पूजा अर्चना की.

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