भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति बीके कुठियाला के कारनामे परत दर परत खुल रहे हैं. कुठियाला ने अध्ययन केंद्र संचालकों को फायदा पहुंचाने के लिए यूनिवर्सिटी के अधिनियम 18 में बदलाव कर दिया था, जिसके चलते उनके कार्यकाल में 1297 अध्ययन केंद्र खोले गये थे.
कमीशन के लिए कुठियाला ने बदला था नियम, EOW ने मांगा अध्ययन केंद्रों का ब्यौरा?
माखनलाल विवि में अनियमितताओं के मामले में एक और खुलासा हुआ है. बीके कुठियाला ने विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 18 में इसलिए बदलाव किया था, ताकि ज्यादा से ज्यादा अध्ययन केंद्र खोले जा सकें और संचालकों को कम से कम नियमों का पालन करना पड़े.
ईओडब्ल्यू, भोपाल
भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति बीके कुठियाला के कारनामे परत दर परत खुल रहे हैं. कुठियाला ने अध्ययन केंद्र संचालकों को फायदा पहुंचाने के लिए यूनिवर्सिटी के अधिनियम 18 में बदलाव कर दिया था, जिसके चलते उनके कार्यकाल में 1297 अध्ययन केंद्र खोले गये थे.
Intro:भोपाल- माखनलाल राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति बीके कुठियाला के कारनामों का एक के बाद एक खुलासा हो रहा है पूर्व कुलपति बीके कुठियाला ने अध्ययन केंद्र संचालकों को फायदा पहुंचाने के लिए माखनलाल चतुर्वेदी यूनिवर्सिटी के अधिनियम अट्ठारह में बदलाव कर दिया था जिसके चलते उनके कार्यकाल में 1297 अध्ययन केंद्र खुल गए। अधिनियम की धारा मे इसलिए बदलाव किया गया ताकि ज्यादा से ज्यादा अध्ययन केंद्र खोले जा सके और संचालकों को अध्ययन केंद्र खोलने में कम से कम नियमों का पालन करना पड़े। माना जा रहा है कि अध्ययन केंद्रों के जरिए कुठियाला और उनके साथी दीपक शर्मा ने करोड़ों रुपए की उगाही की है।
Body:बताया जा रहा है कि कुठियाला के कार्यकाल में खुले गए अध्ययन केंद्रों में ना तो बिल्डिंग है नहीं फैकल्टी है और ना ही यह रिकॉर्ड है कि आखिरकार यहां कितने छात्र छात्राओं ने एडमिशन लिया और कितनों को डिग्री या डिप्लोमा बांटे गए, साथ ही अधिनियम की धारा 18 में बदलाव के के बाद भी अधिकांश ऐसे अध्धयन केंद्रों को मान्यता दी गई, जो योग्य और सक्षम नही है। लिहाजा अब इओडब्ल्यू इस पूरे मामले की छानबीन में जुट गया है और एमसीयू की जांच समिति को भी इन अध्ययन केंद्रों के बारे में रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।
बाइट- केएन तिवारी, डीजी, इओडब्ल्यू।
Conclusion:
Body:बताया जा रहा है कि कुठियाला के कार्यकाल में खुले गए अध्ययन केंद्रों में ना तो बिल्डिंग है नहीं फैकल्टी है और ना ही यह रिकॉर्ड है कि आखिरकार यहां कितने छात्र छात्राओं ने एडमिशन लिया और कितनों को डिग्री या डिप्लोमा बांटे गए, साथ ही अधिनियम की धारा 18 में बदलाव के के बाद भी अधिकांश ऐसे अध्धयन केंद्रों को मान्यता दी गई, जो योग्य और सक्षम नही है। लिहाजा अब इओडब्ल्यू इस पूरे मामले की छानबीन में जुट गया है और एमसीयू की जांच समिति को भी इन अध्ययन केंद्रों के बारे में रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।
बाइट- केएन तिवारी, डीजी, इओडब्ल्यू।
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