भोपाल। 2018 के चुनाव के पहले शिवराज सरकार आदिवासी वोट बैंक को रिझाने के लिए उन्हें जूते और चप्पल दिए थे. लेकिन जूतों को पहनने से कैंसर होने की अफवाह इतनी जोर से उठी की सरकार का इस योजना पर बैकफुट पर आना पड़ा, लेकिन इस बार सतर्कता बरती जा रही है और कहा जा रहा है कि अच्छी क्वालिटी के जूते चप्पल होना चाहिए (MP Government New Gifts for Adivasi). वहीं गर्मी और बरसात से बचने के लिए सरकार छतरी में 31 करोड़ खर्च करेगी.
भ्रम को मिटाने के लिए कांग्रेस के खिलाफ अभियान: इस बार कोई चूक न हो इसके लिए सरकार ने पूरी प्लानिंग कर ली है, सत्ता और संगठन के नेताओं से कहा गया है कि इस बार प्रचार ये करना है कि कांग्रेस नहीं चाहती की आदिवासियों के पैरों में जूते और चप्पल हो, लिहाजा भ्रम फैलाती है. सरकार के लोग उन्हें आश्वात करते हुए दिखाई देंगे कि ये जूते और चप्पल अच्छी क्वालिटी के हैं. आदिवासियों को रिझाने के लिए शिवराज सरकार द्वारा भोपाल के जंबूरी मैदान में आदिवासियों का बड़ा सम्मेलन किया जाऐगा. इस आयोजन में भी शिवराज सरकार करोड़ों खर्च करेगी.
2018 में 261.68 करोड़ खर्च किए थे सरकार ने: पिछले चुनाव के पहले सरकार चरण पादुका योजना लाई थी, जिसमें 261 करोड़ रु तेंदुपत्ता संग्राहकों को बांटा गया था, लेकिन कांग्रेस ने बांटे गए जूतों से कैंसर फैलने की बात कहकर विवाद खड़ा कर दिया था. लेकिन अब सरकार काफी सतर्क है. इस बार बजट और बढ़ गया. आदिवासियों को खुश करने के शिवराज सिंह ने फंड भी जारी कर दिया है. राशि की कोई कमी न हो, इसके लिए बजट बढ़ाया गया है. 267 करोड़ रु. में 21 लाख साड़ियां, 16.34 लाख जोड़ी जूते-चप्पल, पानी की बोतल सहित इस बार छतरी भी जोड़ी गई है. इसका जिम्मा वन विकास और इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के ब्याज से मप्र लघुवनोपज संघ यह राशि खर्च करेगा. मुख्यमंत्री ने दिसंबर में हुए वन मेले में वन मंत्री विजय शाह को ये सब व्यवस्था करने के निर्देश दिए थे. उन्होंने कहा था कि साल 2017-18 में हमने योजना शुरू की थी, बीच में दूसरी सरकार आई उसने बंद कर दी थी. हम इसे फिर से चालू करेंगे. मुख्यमंत्री ने 1071 लघु वनोपज समिति प्रबंधकों का मानदेय 10 हजार से बढ़ाकर 13 हजार करने की भी घोषणा की गई थी.
Shivraj Adivasi Politics मप्र में आदिवासियों और आधी आबादी को रिझाने चली शिवराज सरकार का बड़ा दाव
डिजाइन और क्वालिटी पर होगी नजर: 13 जनवरी को संघ के संचालक मंडल की बैठक में क्वालिटी और इनकी डिजाइन को मंजूरी दे दी गई, इसकी अध्यक्षता वन विभाग के अपर मुख्य सचिव जेएन कंसोटिया ने की. सदस्यों ने तय किया कि 2018 की तरह ही डिजाइन, क्वालिटी रखी जाना है. सैंपल का परीक्षण करने वाली एजेंसी भी 2018 की ही होगी. छतरी की जांच लघु वनोपज संघ द्वारा निर्धारित संस्था करेगी, सप्लाई व्यवस्था में भी बदलाव किया गया है. जिला यूनियनों को चार समूहों में बांटा गया है. लेकिन बैठक में साफ कह दिया गया है की इस बार कोई विवाद खड़ा नहीं होना चाहिए. इसमें तय किया गया है कि हस्त शिल्प एवं हथकरघा विकास निगम, खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड और पावरलूम बुनकर सहकारी संघ बुरहानपुर से सामग्री खरीदी करेगा, इसमें साड़ी व अन्य सामग्री शामिल हैं.
21 लाख महिलाओं को साड़ियां, 76 करोड़ होंगे खर्च: तेंदेपता संग्रहकों में महिलाओं को साड़ियां देने का फैसला किया है, सरकार महिलाओं के बीच 21 लाख से ज्यादा साड़ियां बांटेंगी, जिनकी कीमत करीब 76 करोड़ से ऊपर होगी. सरकार इस बार ज्यादा सतर्क है और साड़ियां बांटने से पहले और बाद में इसकी जांच भी कराएगी, ताकि कोई साड़ियों की क्वालिटी पर सवाल न खड़े कर सके.