भोपाल। विधानसभा 2023 की तैयारी में जुटी भाजपा अब कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहती और खासतौर से उन राजनेताओं को लेकर जिन्हें पार्टी ने निलंबित किया था. नगरीय निकाय चुनाव के दौरान बीजेपी में कई बागी नेताओं ने खुलकर पार्टी की खिलाफत की थी जिसके बाद पार्टी ने उन्हें निलंबित कर दिया था लेकिन अब बीजेपी खुद के फैसले पर बैकफुट पर है. अनुशासन समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया है कि जो निलंबित हुए हैं उन्हें फिर से पार्टी वापस लेगी लेकिन इसके लिए उन्हें बाकायदा माफीनामा लिखवाया जाएगा, जिसमें यह भी जिक्र होगा कि वह पार्टी के खिलाफ नहीं जाएंगे और पार्टी की रीति नीति के साथ ही काम करेंगे.
जिला अध्यक्षों पर सख्त पार्टी: पार्टी से निलंबित हुए नेताओं की वापसी के बाद जिला अध्यक्ष की रिपोर्ट भी लगेगी और नेताओं के कामकाज और पार्टी के लिए इनका कितना योगदान रहा है ये भी जिलाध्यक्ष लिखेंगे. अनुशासन समिति की बैठक में सागर के महापौर पति के बारे में लेटर को भी गंभीरता से लिया गया. जिसमें उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ महिला से जुड़ा एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल किया था, 3 जून को नोटिस दिया जिसके बाद तिवारी ने माफी मांगी थी. सुशील तिवारी बीजेपी कार्यसमिति के सदस्य थे.
अनुशासन समिति की बैठक: अनुशासन समिति में फैसला लिया गया है कि हर 15 दिन में ऐसे प्रकरणों पर पार्टी चर्चा करेगी जहां पर अनुशासन हीनता के प्रकरण पाए गए हैं. इसमें चर्चा की भी होगी कि जिन्हें 15 दिन में जवाब देना था उन्होंने कारण बताओ नोटिस का जवाब नहीं दिया, उनसे जवाब मांगा जाएगा. पार्टी के मुताबिक ढाई सौ से ज्यादा बगावती नेताओं को पार्टी ने निलंबित किया था जिन्हें अब वापस लिया जाएगा वह भी माफीनामा के साथ.
प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ बयानबाजी: अभी हाल ही में पूर्व मंत्री और विधायक रहे हरेंद्र जीत सिंह बब्बू ने प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के खिलाफ जमकर आग उगली थी उन्होंने खुद को जान का खतरा भी बता दिया था, वहीं कटनी जिले से पूर्व विधायक ने भी पी सी शर्मा के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है ऐसे मामलों को लेकर पार्टी चिंतन मंथन कर रही है और आखिर यह मामले क्यों हो रहे हैं इसकी तहत तक भी जाने की कोशिश अनुशासन समिति कर रही है.