भोपाल। रातापानी में हुई कोर ग्रुप की बैठक (BJP Core Committee Meeting) में पार्टी की अंतर्कलह से कैसे निपटा जाए, साथ ही जीत कैसे हो, इसे लेकर रोड मैप तैयार किया गया, लेकिन एक बार फिर सिंधिया और तोमर के बीच का फासला बढ़ते जा रहा है. कोर ग्रुप की बैठक से सिंधिया ये कहकर बाहर चले गए की उनकी तबियत नासाज़ है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक सिंधिया और तोमर एक दूसरे के साथ बैठना पसंद नहीं करते. इसलिए पिछली बैठक में तोमर चले गए और इस बार की बैठक में सिंधिया साथ नहीं बैठे.
सिंधिया और तोमर के बीच की खाई गहरी: रातापानी की कोर ग्रुप की बैठक में दोनों नेता मौजूद तो थे लेकिन दोनों की मानें तो उनके बीच की दूरियां साफ दिख रही हैं (jyotiraditya scindia Vs narendra singh tomar). नगरीय निकायों में हमने देखा कि ग्वालियर और मुरैना नगर निगम बीजेपी के हाथ से छिन गई. पार्टी की समीक्षा में सामने आया कि सिंधिया और तोमर के समर्थकों के बीच खाई इतनी गहरी थी की पार्टी की लाख कोशिश के बाद भी वो दूरियां नहीं पाट पाई.
सिंधिया और तोमर दोनों की नजर ग्वालियर सीट पर: वहीं करीब 2 महीने पहले भोपाल बीजेपी कार्यालय में देर रात तक चली बैठक में कुछ इसी तरह का वाकया हुआ था. जब रात 10 बजे सिंधिया दिल्ली से बैठक में शामिल होने पहुंचते हैं तो सिंधिया की एंट्री होते ही तोमर बैठक से बाहर निकलकर रवाना हो गए थे.
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पार्टी सिंधिया को दे सकते हैं ज्यादा तवज्जो: बीजेपी के सामने आने वाले लोकसभा चुनावों में बड़ी चुनौतियां हैं. खास तौर से ग्वालियर सीट कोंलेकर, एक तरफ सिंधिया गुना से नहीं लड़ना चाहते उनकी नजर ग्वालियर सीट पर है तो वहीं दूसरी तरफ मुरैना से सांसद और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की नजर भी ग्वालियर सीट पर है. हालांकि पार्टी सूत्रों के मुताबिक पार्टी सिंधिया को ज्यादा तवज्जो दे सकती है, क्योंकि युवाओं में सिंधिया को लेकर क्रेज है.
तोमर की नजर भोपाल सीट पर भी: नरेंद्र सिंह शुरू से ही चाहते थे की भोपाल सीट से वे लड़ें लेकिन राजनीतिक समीकरण उनके लिए फिट नहीं बैठे. तोमर को पता है की भोपाल सीट से अच्छी कोई सीट नहीं हैं. लिहाजा उनको लगता है कि यदि पार्टी ने उनकी जगह सिंधिया को ज्यादा तवज्जो दी तो फिर उन्हें फिर मुरैना से ही लड़ना पड़ेगा, लेकिन मुरैना में वे खुद की जीत को लेकर संशय में हैं.