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...तो सिंधिया ने बचा ली अपनी प्रतिष्ठा !

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Published : Nov 10, 2020, 3:30 PM IST

मध्यप्रदेश में बड़ी संख्या में हुए दलबदल के बाद हुए उपचुनाव में बागियों की हार की आशंका जताई जा रही थी, लेकिन बीजेपी ने एक सीट जीत के साथ 19 सीटों पर बढ़त बनाकर साबित कर दिया की चुनाव में दलबदल का असर नहीं हुआ.

Defection did not affect Madhya Pradesh by election
बच जाएगी सिंधिया की साख

भोपाल। इस बार सूबे में हुए 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव सिर्फ प्रदेश में सत्ता प्राप्ति की लड़ाई ही नहीं है, बल्कि कई दिग्गजों के लिए नाक की लड़ाई भी रहे हैं. पूरे चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी में आए सिंधिया समर्थक विधायकों को कांग्रेस गद्दार, बिकाऊ जैसे तमाम तरह के आरोप लगाए. प्रचार के दौरान कई सीटों पर कांग्रेस के पक्ष में मतदाता जाता हुआ भी दिखाई दिया, लेकिन वोट कांग्रेस के पक्ष में न कर, बीजेपी को किया है.

दोपहर 1:30 बजे तक हुई मतगणना में बीजेपी ने एक सीट के साथ 19 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं, जिससे कहा जा सकता है कि सिंधिया के समर्थकों पर लगे दाग को जनता ने अपने वोट के जरिए धो दिया है. दोपहर 1:30 बजे तक हुई मतगणना के आधार पर कांग्रेस 7 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है, वहीं एक सीट पर बीएसपी बढ़त में हैं.

कुछ देर में तस्वीर होगी साफ

अभी तक आए रुझानों में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए कांग्रेस के बागियों में से 7 प्रत्याशी पीछे चल रहे हैं. खास बात इसमें यह है कि सिंधिया के समर्थन से मंत्री बने गिर्राज दंडोतिया और ऐदल सिंह कंषाना पीछे चल रहे हैं. इसलिए कहा जा सकता है कि सिंधिया के साख को बहुत भारी चोट तो नहीं पहुंच रही लेकिन उनके दो मंत्रियों का पीछे होना कहीं न कहीं उनकी साख को बट्टा लग रहा है.

मंत्रियों का राजनीतिक सफर दांव पर

उपचुनाव में सबसे बड़ी चुनौती उन नेताओं के लिए है, जो सिंधिया के साथ कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा में शामिल हुए, फिर यहां मंत्री पद संभाले हुए हैं. इनमें मुख्य रूप से तुलसी सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत, इमरती देवी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, डॉ. प्रभुराम चौधरी और राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव का राजनीतिक करियर दांव पर लगा है. अगर ये नेता चुनाव हार जाते हैं, ऐसी स्थिति में इनका राजनीतिक करियर मुश्किल में आ जाएगा.

भोपाल। इस बार सूबे में हुए 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव सिर्फ प्रदेश में सत्ता प्राप्ति की लड़ाई ही नहीं है, बल्कि कई दिग्गजों के लिए नाक की लड़ाई भी रहे हैं. पूरे चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी में आए सिंधिया समर्थक विधायकों को कांग्रेस गद्दार, बिकाऊ जैसे तमाम तरह के आरोप लगाए. प्रचार के दौरान कई सीटों पर कांग्रेस के पक्ष में मतदाता जाता हुआ भी दिखाई दिया, लेकिन वोट कांग्रेस के पक्ष में न कर, बीजेपी को किया है.

दोपहर 1:30 बजे तक हुई मतगणना में बीजेपी ने एक सीट के साथ 19 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं, जिससे कहा जा सकता है कि सिंधिया के समर्थकों पर लगे दाग को जनता ने अपने वोट के जरिए धो दिया है. दोपहर 1:30 बजे तक हुई मतगणना के आधार पर कांग्रेस 7 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है, वहीं एक सीट पर बीएसपी बढ़त में हैं.

कुछ देर में तस्वीर होगी साफ

अभी तक आए रुझानों में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए कांग्रेस के बागियों में से 7 प्रत्याशी पीछे चल रहे हैं. खास बात इसमें यह है कि सिंधिया के समर्थन से मंत्री बने गिर्राज दंडोतिया और ऐदल सिंह कंषाना पीछे चल रहे हैं. इसलिए कहा जा सकता है कि सिंधिया के साख को बहुत भारी चोट तो नहीं पहुंच रही लेकिन उनके दो मंत्रियों का पीछे होना कहीं न कहीं उनकी साख को बट्टा लग रहा है.

मंत्रियों का राजनीतिक सफर दांव पर

उपचुनाव में सबसे बड़ी चुनौती उन नेताओं के लिए है, जो सिंधिया के साथ कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा में शामिल हुए, फिर यहां मंत्री पद संभाले हुए हैं. इनमें मुख्य रूप से तुलसी सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत, इमरती देवी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, डॉ. प्रभुराम चौधरी और राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव का राजनीतिक करियर दांव पर लगा है. अगर ये नेता चुनाव हार जाते हैं, ऐसी स्थिति में इनका राजनीतिक करियर मुश्किल में आ जाएगा.

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