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किसका होगा मंगल: बीजेपी और कांग्रेस का सत्ता के लिए संघर्ष, 'प्लान बी' पर विचार विमर्श - मध्यप्रदेश उपचुनाव

मंगलवार को मध्यप्रदेश उपचुनाव के परिणाम आने वाले हैं. लेकिन उससे पहले ही तमाम सियासी दल राजनीतिक समीकरणों को साधने में लगे हुए हैं. चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस सभी अपने-अपने प्लान तैयार कर रहे हैं.

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Published : Nov 9, 2020, 8:52 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश उपचुनाव के परिणाम को लेकर बीजेपी ने प्लान बी एक्टिव कर दिया है. बीजेपी के सीनियर नेता इस प्लान को अंजाम देने में जुट गए हैं. भले ही बीजेपी को सरकार बचाने के लिए महज 8 सीटों की जरूरत है, लेकिन शीर्ष नेतृत्व को रिस्क नहीं लेना चाहता है. लिहाजा बीजेपी नेता बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों को साधने में लगे हुए हैं. इसके अलावा कांग्रेस की कमजोर कड़ियों पर भी नजर बनाए हुए हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर सेंधमारी की जा सके. इसका ताजा उदाहरण दमोह में देखने मिला. यहां से कांग्रेस विधायक राहुल सिंह ने इस्तीफा तो दिया ही, साथ ही बीजेपी का दामन भी थाम. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बीजेपी सभी पहलुओं का ध्यान रख रही है.

मंत्री अरविंद भदौरिया

मंत्री अरविंद भदौरिया को सौंपी गई जिम्मेदारी

माना जा रहा है कि प्रदेश में निर्दलीय समेत अन्य दलों के साथ कांग्रेस विधायकों से संपर्क साधने की जिम्मेदारी सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया को सौंपी गई है. अरविंद भदौरिया वही शख्स हैं, जिन्होंने कांग्रेस की सरकार गिराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. सूत्रों के हवाले से से खबरें आ रहीं हैं कि कांग्रेस के कई विधायक अरविंद भदौरिया के संपर्क में हैं. इनमें प्रवीण पाठक, संजय शुक्ला, संजय शर्मा, सचिन बिरला जैसे नाम शामिल हैं.

शिव अनुराग पटेरिया

मंत्री भूपेंद्र सिंह भी संभाल रहे मोर्चा

सत्ता में बने रहने के लिए बीजेपी ने अपने सभी सेनापतियों को मोर्चे पर तैनात कर दिया है. अरविंद भदौरिया के साथ-साथ कैबिनेट मंत्री भूपेंद्र सिंह भी इसमें अहम भूमिका निभा रहे हैं. कैबिनेट मंत्री भूपेंद्र सिंह ने हाल ही में बसपा विधायक संजीव कुशवाह से मुलाकात की थी. निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा भी उनसे मिलने पहुंचे थे. इन मुलाकातों के बाद बीजेपी ने दावा किया था कि बसपा के दोनों विधायक उनके साथ हैं. बीजेपी निर्दलीय विधायकों के बारे में भी यही दावा करती आई है. इतना ही नहीं कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर बीजेपी को उपचुनाव में कम सीटें मिलती हैं, तो सरकार बचाने के एवज में बसपा और निर्दलीय विधायकों को मंत्री पद भी ऑफर कर सकती है. कुल मिलाकर बीजेपी सत्ता में बने रहने के लिए पूरी ताकत लगा रही है.

पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा

मंत्री अरविंद भदौरिया का बयान

सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया का कहना है कि हम कोई तोड़-फोड़ नहीं कर रहे हैं. लोग अपने मन से और अपनी नाराजगी से पार्टी छोड़ते हैं, तो इसमें बीजेपी का कोई कसूर नहीं है. सभी नेता विधायक हमसे बातचीत करते रहते हैं. उन्होंने कहा कि उपचुनाव परिणाम बीजेपी के पक्ष में आएंगे और सरकार बनी रहेगी.

सज्जन सिंह वर्मा ने अरविंद भदौरिया को कहा बड़बोला

कांग्रेस के सीनियर नेता और पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि अरविंद भदौरिया बड़बोले हैं. निर्दलीय विधायकों से संपर्क करने से कुछ नहीं होगा. वे समझदार हैं, लिहाजा उन्हीं का साथ देंगे जो उनके क्षेत्र का विकास करेंगे. कांग्रेस की सरकार बन रही है, इसलिए सभी कांग्रेस का साथ देंगे.

उपचुनाव के परिणाम मध्यप्रदेश की नई सियासत तय करेंगे

राजनीतिक जानकार शिव अनुराग पटेरिया का कहना है कि मौजूदा समय में जिस तरीके से चुनाव परिणाम की संभावनाएं नजर आ रहीं है. उसको लेकर बीजेपी ने अपना प्लान तैयार कर लिया है. निर्दलीय विधायकों के साथ को बीजेपी के संपर्क में कांग्रेस के विधायक भी हैं. जो खुद उनके कई वरिष्ठ नेता इस बात को कह चुके हैं और यही वजह है कि कांग्रेस पार्टी से नाराज विधायकों को साधने के लिए बीजेपी ने अपने वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारी दी है.

कांग्रेस भी पलटवार करने को तैयार

राजनीतिक जानकार शिव अनुराग पटेरिया का कहना है कि सिर्फ बीजेपी ही प्लानिंग नहीं कर रही है, कांग्रेस ने भी तैयारी कर रखी है. जो नजारा विधानसभा में एक बिल को लेकर हुए टेस्ट के दौरान और सत्ता परिवर्तन के समय देखा गया था, कांग्रेस इस बार भी उसे दोहराना चाहेगी. बीजेपी के दो विधायक उस समय कांग्रेस के संपर्क थे. तो अगर कांग्रेस मजबूत स्थिति में आती है, तो बीजेपी का किले में भी सेंधमारी की पूरी गुंजाइश दिखाई पड़ती है.

बहुमत का समीकरण

बीजेपी के पास 107 विधायक हैं. कांग्रेस विधायक राहुल सिंह के इस्तीफे का बाद बहुमत का आंकड़ा 115 हो गया है. इसलिए 8 सीटें जीतने पर बीजेपी सत्ता बचाने में कामयाब हो जाएगी. जबकि कांग्रेस के पास महज 87 सीटें हैं. जादुई आंकड़े तक कांग्रेस को कम से कम 21 सीट जीतने का साथ-साथ निर्दलीय, सपा, बसपा विधायकों का विश्वास भी जीतना होगा. इसके अलावा कांग्रेस सभी 28 सीटों पर कांग्रेस जीत जाती है तो भी सरकार में वापसी कर सकेगी.

निर्दलीय विधायक

  • प्रदीप जायसवाल वारासिवनी विधायक
  • विक्रम सिंह राणा, सुसनेर विधायक
  • सुरेंद्र सिंह शेरा, बुरहानपुर विधायक
  • केदार डावर, भगवानपुरा विधायक

बसपा

  • संजीव सिंह कुशवाहा भिंड विधायक
  • राम बाई सिंह पथरिया विधायक

समाजवादी पार्टी

राजेश कुमार शुक्ला, बिजावर विधायक

भोपाल। मध्यप्रदेश उपचुनाव के परिणाम को लेकर बीजेपी ने प्लान बी एक्टिव कर दिया है. बीजेपी के सीनियर नेता इस प्लान को अंजाम देने में जुट गए हैं. भले ही बीजेपी को सरकार बचाने के लिए महज 8 सीटों की जरूरत है, लेकिन शीर्ष नेतृत्व को रिस्क नहीं लेना चाहता है. लिहाजा बीजेपी नेता बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों को साधने में लगे हुए हैं. इसके अलावा कांग्रेस की कमजोर कड़ियों पर भी नजर बनाए हुए हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर सेंधमारी की जा सके. इसका ताजा उदाहरण दमोह में देखने मिला. यहां से कांग्रेस विधायक राहुल सिंह ने इस्तीफा तो दिया ही, साथ ही बीजेपी का दामन भी थाम. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बीजेपी सभी पहलुओं का ध्यान रख रही है.

मंत्री अरविंद भदौरिया

मंत्री अरविंद भदौरिया को सौंपी गई जिम्मेदारी

माना जा रहा है कि प्रदेश में निर्दलीय समेत अन्य दलों के साथ कांग्रेस विधायकों से संपर्क साधने की जिम्मेदारी सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया को सौंपी गई है. अरविंद भदौरिया वही शख्स हैं, जिन्होंने कांग्रेस की सरकार गिराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. सूत्रों के हवाले से से खबरें आ रहीं हैं कि कांग्रेस के कई विधायक अरविंद भदौरिया के संपर्क में हैं. इनमें प्रवीण पाठक, संजय शुक्ला, संजय शर्मा, सचिन बिरला जैसे नाम शामिल हैं.

शिव अनुराग पटेरिया

मंत्री भूपेंद्र सिंह भी संभाल रहे मोर्चा

सत्ता में बने रहने के लिए बीजेपी ने अपने सभी सेनापतियों को मोर्चे पर तैनात कर दिया है. अरविंद भदौरिया के साथ-साथ कैबिनेट मंत्री भूपेंद्र सिंह भी इसमें अहम भूमिका निभा रहे हैं. कैबिनेट मंत्री भूपेंद्र सिंह ने हाल ही में बसपा विधायक संजीव कुशवाह से मुलाकात की थी. निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा भी उनसे मिलने पहुंचे थे. इन मुलाकातों के बाद बीजेपी ने दावा किया था कि बसपा के दोनों विधायक उनके साथ हैं. बीजेपी निर्दलीय विधायकों के बारे में भी यही दावा करती आई है. इतना ही नहीं कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर बीजेपी को उपचुनाव में कम सीटें मिलती हैं, तो सरकार बचाने के एवज में बसपा और निर्दलीय विधायकों को मंत्री पद भी ऑफर कर सकती है. कुल मिलाकर बीजेपी सत्ता में बने रहने के लिए पूरी ताकत लगा रही है.

पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा

मंत्री अरविंद भदौरिया का बयान

सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया का कहना है कि हम कोई तोड़-फोड़ नहीं कर रहे हैं. लोग अपने मन से और अपनी नाराजगी से पार्टी छोड़ते हैं, तो इसमें बीजेपी का कोई कसूर नहीं है. सभी नेता विधायक हमसे बातचीत करते रहते हैं. उन्होंने कहा कि उपचुनाव परिणाम बीजेपी के पक्ष में आएंगे और सरकार बनी रहेगी.

सज्जन सिंह वर्मा ने अरविंद भदौरिया को कहा बड़बोला

कांग्रेस के सीनियर नेता और पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि अरविंद भदौरिया बड़बोले हैं. निर्दलीय विधायकों से संपर्क करने से कुछ नहीं होगा. वे समझदार हैं, लिहाजा उन्हीं का साथ देंगे जो उनके क्षेत्र का विकास करेंगे. कांग्रेस की सरकार बन रही है, इसलिए सभी कांग्रेस का साथ देंगे.

उपचुनाव के परिणाम मध्यप्रदेश की नई सियासत तय करेंगे

राजनीतिक जानकार शिव अनुराग पटेरिया का कहना है कि मौजूदा समय में जिस तरीके से चुनाव परिणाम की संभावनाएं नजर आ रहीं है. उसको लेकर बीजेपी ने अपना प्लान तैयार कर लिया है. निर्दलीय विधायकों के साथ को बीजेपी के संपर्क में कांग्रेस के विधायक भी हैं. जो खुद उनके कई वरिष्ठ नेता इस बात को कह चुके हैं और यही वजह है कि कांग्रेस पार्टी से नाराज विधायकों को साधने के लिए बीजेपी ने अपने वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारी दी है.

कांग्रेस भी पलटवार करने को तैयार

राजनीतिक जानकार शिव अनुराग पटेरिया का कहना है कि सिर्फ बीजेपी ही प्लानिंग नहीं कर रही है, कांग्रेस ने भी तैयारी कर रखी है. जो नजारा विधानसभा में एक बिल को लेकर हुए टेस्ट के दौरान और सत्ता परिवर्तन के समय देखा गया था, कांग्रेस इस बार भी उसे दोहराना चाहेगी. बीजेपी के दो विधायक उस समय कांग्रेस के संपर्क थे. तो अगर कांग्रेस मजबूत स्थिति में आती है, तो बीजेपी का किले में भी सेंधमारी की पूरी गुंजाइश दिखाई पड़ती है.

बहुमत का समीकरण

बीजेपी के पास 107 विधायक हैं. कांग्रेस विधायक राहुल सिंह के इस्तीफे का बाद बहुमत का आंकड़ा 115 हो गया है. इसलिए 8 सीटें जीतने पर बीजेपी सत्ता बचाने में कामयाब हो जाएगी. जबकि कांग्रेस के पास महज 87 सीटें हैं. जादुई आंकड़े तक कांग्रेस को कम से कम 21 सीट जीतने का साथ-साथ निर्दलीय, सपा, बसपा विधायकों का विश्वास भी जीतना होगा. इसके अलावा कांग्रेस सभी 28 सीटों पर कांग्रेस जीत जाती है तो भी सरकार में वापसी कर सकेगी.

निर्दलीय विधायक

  • प्रदीप जायसवाल वारासिवनी विधायक
  • विक्रम सिंह राणा, सुसनेर विधायक
  • सुरेंद्र सिंह शेरा, बुरहानपुर विधायक
  • केदार डावर, भगवानपुरा विधायक

बसपा

  • संजीव सिंह कुशवाहा भिंड विधायक
  • राम बाई सिंह पथरिया विधायक

समाजवादी पार्टी

राजेश कुमार शुक्ला, बिजावर विधायक

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