भोपाल। देखिए अभी ट्रायल चल रहा है, हो सकता है कि इसलिए रिस्पांस नहीं मिला….बटन दबाने के बाद मालिक के पास कॉल जाएगा, फिर वो कॉल करके ड्राइवर से पूछेगा. कम से कम 30 सेकंड दबाकर रखना पड़ेगा, तब रिस्पांस आएगा. अभी तो ट्रायल चल रहा है, गो लाइव होने के बाद रिस्पांस मिलेगा. बटन दबाने के बाद पहले हमारे पास कॉल आएगा. यह जवाब हैं भोपाल आरटीओ दफ्तर में बैठे उन कर्मचारियों के जो पैनिक बटन की मॉनीटरिंग के लिए बनाए गए सेंटर में बैठे हैं. दरअसल इनसे पैनिक बटन के काम करने को लेकर सवाल पूछे गए थे. ईटीवी भारत से कुछ महिला यात्रिओं ने शिकायत की थी कि जिन टैक्सी का वे इस्तेमाल करती हैं, उसमें लगा पैनिक बटन काम नहीं कर रहा है.
टैक्सी का मुआयना: इन शिकायतों की सच्चाई जानने के लिए ईटीवी भारत ने रेंडमली उन टैक्सी का मुआयना किया, जिनमें पैनिक बटन लगा हुआ था. 6 नंबर पर खड़ी एक टैक्सी के ड्राइवर से पूछा कि क्या आपकी टैक्सी में पैनिक बटन है तो उसने कहा कि हां लगा हुआ है. हमने उनसे गाड़ी स्टार्ट करवाकर टैक्सी में लगा पैनिक बटन दबाया और 6 नंबर से 5 नंबर स्टॉप, नूतन कॉलेज के सामने से होते हुए 6 नंबर तक यात्रा की. इस दौरान बीच में 15 मिनट तक एक जगह सुनसान रोड पर टैक्सी रोककर खड़े रहे. इस बीच में 8 से 10 बार पैनिक बटन दबाया, लेकिन सिंगल टाइम न तो पुलिस का ड्राइवर के पास फोन आया और न ही टैक्सी ऑनर के पास ही कॉल आया. ऐसे और भी टैक्सी में ट्रायल लिया, लेकिन काम नहीं किया. बता दें कि इन टैक्सी के नंबर हमारे पास मौजूद हैं, लेकिन गोपनीयता के कारण हम इसे उजागर नहीं कर रहे हैं. ड्राइवर का कहना है कि ''शिकायत के मामले सामने आते ही हमें टारगेट करके कार्रवाई की जाती है.'' टैक्सी ड्राइवर ने बताया कि ''यह पैनिक बटन 16 हजार रुपए कीमत में आरटीओ द्वारा वैध किए गए वेंडर से लगवाए हैं.''
सुरक्षा के लिए नहीं, फिटनेस के लिए जरूरी: लिंक रोड नंबर 2 पर खड़ी टैक्सी के ड्राइवर से पूछा कि क्या आपकी टैक्सी में पैनिक बटन लगा है, तो उसने बताया कि अभी नहीं लगवाया. कारण बताते हुए बोला कि ''जब करवाने गए तो बोले कि फिटनेस रिन्यु होगा, तब लगाएंगे.'' ड्राइवर बोला कि ''15 से 16 हजार रुपए कीमत का लग रहा है, लेकिन कभी कभार ही काम करता है. एक बार कॉल आया भी, ऊपर से हर दो साल में रिन्युल चार्ज 6500 रुपए मांग रहे हैं. एक्टिवेशन चार्ज के रूप में 1250 रुपए हर साल अलग से लगेगा.''
आरटीओ में यह स्थिति: पूरे मामले की तस्दीक करने के लिए कोकता के पास स्थित आरटीओ दफ्तर गए. यहां गाड़ियाें का फिटनेस कर रहे अफसरों से पूछा कि पैनिक बटन लगवाना है तो वह बोले कि ''बाहर चले जाइए, हमने उन्हें अधिकृत किया है.'' बाहर जाने पर दो एजेंट मिले, पहले ने पैनिक बटन लगाने के रेट 14 हजार रुपए बताए. उसने कहा कि ''लगने के बाद जैसे ही बटन दबाएंगे पुलिस कंट्रोल रूम से कॉल आ जाएगा, अपडेट करके दूंगा. रसीद जीएसटी वाली नहीं मिल पाएगी.'' दूसरे एजेंट शैलेंद्र शर्मा से मिले तो वह बोले कि ''13 हजार 500 रुपए में लगा दूंगा और रसीद भी दूंगा, दबाते ही कॉल आएगा.''
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सेंटर वाले बोले-अभी टेस्टिंग चल रही है: आरटीओ ऑफिस के भीतर ही पैनिक बटन की मॉनीटरिंग के लिए एक सेंटर बनाया गया है. इसे स्टेट कंट्रोल एंड कमांड सेंटर नाम दिया है. चार महीने पहले मप्र में कॉमर्शियल वाहन जैसे पब्लिक ट्रांसपोर्ट से जुड़े वाहनों में लगे पैनिक बटन का ट्रायल शुरू कर दिया गया था. जिस डिवाइस की ट्रेकिंग की जाती है, उसका नाम व्हीकल लोकेशन एंड ट्रेकिंग (VLTD) डिवाइस है. दावा है कि यहां से जिले के 46 एवं प्रदेश के करीब सवा 325 वाहनों की मॉनिटरिंग शुरू कर दी गई है. इस सेंटर को बनाने के लिए करीब 18 करोड़ खर्च भी किए गए. लेकिन जब यहां के कर्मचारियों से बात की तो अलग ही जवाब दिए. भास्कर नामक कर्मचारी ने बताया कि ''अभी टेस्टिंग चल रही है और कई बार 30 सेकंड दबाने के बाद ही रिस्पांस मिलता है.''
अफसर ने नहीं दिया जवाब: पूरे मामले को लेकर ट्रांसपोर्ट कमिश्नर संजय कुमार झा से बात करने के लिए दो बार कॉल किया. लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया इसके बाद उन्हें टैक्स्ट और व्हाट्सएप मैसेज भेजे, लेकिन उन्होंने रिप्लाई नहीं दिया. तब विभागीय मंत्री गोविंद सिंह राजपूत से संपर्क किया. हर बार एक ही जवाब मिला मंत्री जी कार्यक्रम में हैं, जब दोबारा लगाया तो कॉल ही रिसीव नहीं किया.