भोपाल। राजधानी में कुत्तों द्वारा लोगों को काटने के मामले में पीपुल्स फॉर एनिमल संस्था ने भोपाल नगर निगम को कोर्ट में घसीटा है. भोपाल मेयर, कमिश्नर को शहर के आवारा कुत्तों के विषय में अब अपना पक्ष सुप्रीम कोर्ट के सामने रखना होगा. बता दें कि कुत्तों और पशु प्रमियों पर हो रही बर्बरता के खिलाफ संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी. आरोप है कि भोपाल में कई जगहों पर जानवरो पर निगम कर्मियों ने प्राणघातक हमले भी किये हैं, जिसके विरोध में याचिका दायर की गई है.
आवारा कुत्तों का मामला गर्म : बता दें कि राजधानी में आवारा कुत्तों द्वारा लोगों को काटने का मामला थम नहीं रहा है. भोपाल के अयोध्या नगर के मिनाल में बीते दिनों सात माह के मासूम को आवारा कुत्तों ने नोच-नोचकर मार डाला था. इसके बाद कई लोगों को कुत्तों द्वारा काटा गया. इसमें ज्यादातर संख्या बच्चों की है. इसके बाद नगर निगम द्वारा आवारा कुत्तों की धरपकड़ के लिए अभियान चलाया जा रहा है. वहीं कार्रवाई में बाधा पैदा करने वाले पेट लवर्स के खिलाफ निगम एफआईआर भी करा रहा है, लेकिन अब यह पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है.
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सुनवाई से पहले जवाब मांगा : एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया नाम की संस्था ने नगर निगम द्वारा आवारा कुत्तों की धरपकड़ के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है. जिसमें इस कार्रवाई को गलत ठहराया गया है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों से सुनवाई की तारीख से एक सप्ताह पहले अपना जबाव प्रस्तुत करने को कहा है. याचिका में कहा गया है कि नगर निगम द्वारा अवारा कुत्तों को पकड़ कर उनकी नसबंदी के बाद एक से दूसरे स्थान पर शिफ्ट किया जा रहा है, जबकि नियम है कि बच्चा होने के बाद मादा कुत्ते की नसबंदी करीब ढाई माह बाद की जानी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना में आता है. वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने भी एक पत्र भोपाल नगर निगम को लिखा है.